कांग्रेस मुक्त भारत का नारा पार्टी विशेष के खिलाफ नहींः अमित शाह

Wednesday, May 25, 2016 - 08:51 PM (IST)

नई दिल्लीः भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अध्यक्ष अमित शाह ने‘कांग्रेस मुक्त भारत’के नारे की नयी परिभाषा देते हुए आज कहा कि यह नारा पार्टी विशेष के खिलाफ नहीं, उस कार्यशैली के खिलाफ है जो कांग्रेस के शासनकाल में पनपी और जिसने व्यक्तिगत स्वार्थ के लिये देशहित को बलि चढ़ा दिया।   

 
शाह ने मोदी सरकार के दो साल पूरे होने के मौके पर विकास पर्व पखवाड़े की पूर्व संध्या पर संवाददाताओं से यहां बातचीत मेें कहा कि कांग्रेस मुक्त भारत का नारा अव्यवस्था के खिलाफ है, ना कि किसी पार्टी विशेष के विरुद्ध। कांग्रेस ने अपने शासनकाल में नेताओं के निहित स्वार्थ की खातिर देशहित की बलि चढ़ा दी। संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) के दस साल के शासन में ऐसे अनगिनत उदाहरण हैं।   
 
उन्होंने कहा कि इसी वजह से देश में अब कांग्रेस का आधार सिकुडऩे लगा है। पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में भी यही दिखायी दिया है। भाजपा देश हित के लिये राजनीति कर रही है और इसी वजह से उसे सफलता मिल रही है। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के विस्तार के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर लोकतांत्रिक गठबंधन भी इसी के तहत गठित किया गया है जिसमें पूर्वोत्तर के अनेक छोटे छोटे दल शामिल हो रहे हैं। हाल में हुए पांच राज्यों में विधानसभा चुनावों में असम के बाद केरल में भाजपा को आशा नकार आयी है और उसे भरोसा जगा है कि अगली बार वह सरकार बनाने के लिये मैदान में उतरेगी।   
 
उन्होंने कहा कि केरल में हर सीट पर 15 प्रतिशत वोट मिला है और प्रचार के दौरान 97 प्रतिशत गांवों में भाजपा की यात्रा पहुंची थी। गुजरात, कर्नाटक के अनुभव को देखें तो अगले चुनाव में बहुमत हासिल करना कठिन नहीं होगा। गुजरात में 1985 में 11 प्रतिशत वोट मिला था लेकिन 1990 में सरकार बन गयी। कर्नाटक में भी 12 प्रतिशत वोट पाने के बाद अगली बार सरकार बन गयी। गुजरात के अगले चुनाव के बारे में पूछे जाने पर शाह ने कहा कि अगले चुनाव में भाजपा वहां दो तिहाई बहुमत से जीत कर आयेगी। पंजाब के बारे में एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि वहां भाजपा शिरोमणि अकाली दल के साथ मिल कर चुनाव लड़ेगी। चुनावी माहौल में अकाली-भाजपा गठबंधन की हालत खराब होने की बात कहे जाने पर शाह ने कहा कि अभी ऐसा दिखायी दे रहा है, लेकिन आगे स्थितियाँ बदलेंगी।  
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