चुनाव आयोग का नया प्रयोग रहा कामयाब

Thursday, Apr 21, 2016 - 08:23 PM (IST)

प्राय:ऐसा कई बार हुआ है कि एक ही क्षेत्र से कई लोग चुनाव में अपना भाग्य आजमाते हैं। मतदाता के लिए उपयुक्त उम्मीदवार का चयन करना मुश्किल हो जाता है। वह घर से कुछ सोच कर चलता है,लेकिन मतदान केद्र में प्रवेश करते ही उसका फैसला बदल जाता है। परेशानी उसे तब भी होती है जब एक ही नाम के कई उम्मीदवार उस सीट से चुनाव लड़ रहे हों। हालांकि उसे अपने पसंदीदा उम्मीदवार को ढूंढने में थोड़ा समय लगता है,लेकिन कई बार हड़बड़ाहट में गलत नाम का बटन दबा आता है। वोट का सही प्रयोग नहीं होने के कारण उसे निराशा ही मिलती है। मतदाताओं को इस समस्या से निजात दिलाने के लिए पश्चिम बंगाल में चुनाव आयोग ने एक नायाब प्रयोग किया है और वह कामयाब भी रहा। 

विधानसभा चुनावों में मतदान के प्रतिशत में बढ़ोतरी होने से साबित होता है​ कि जागरुकता के कारण लोगों की इनके प्रति रुचि बढ़ी है। मतदान के अंतिम समय में भी केंद्रों के बाहर मतदाता लंबी लाइनों में खड़े होकर अपनी बारी आने का बेसब्री से इंतजार कर रहे होते हैं। इस ​स्थिति में मतदान केंद्र के अंदर जब मतदाता प्रवेश करता है तो सारी औचारिकताएं पूरी करके वह बैलेट मशीन के पास पहुंचता है। यदि एक ही नाम के कई उम्मीदवार हों तो उन्हें देखकर वह कंफ्यूज हो जाता है। मतदाताओं की संख्या बढ़ने से केंद्र में तैनात चुनाव अधिकारियों के पास भी समय कम होता है। एक नियत समय में उन्हें मतदान प्रक्रिया करवानी होती है। विलंब न हो जाए वे लोगों से जल्द से जल्द वोट देने का आग्रह करते है। यह जरूरी भी है,अन्यथा सारी प्रक्रिया की गति धीमी पड़ जाती है। 

पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव में कुछ सीटों पर एक ही नाम के कई उम्मीदवार मैदान होने के कारण मतदाता उलझ न जाएं उनकी सुविधा के लिए मतदान केन्द्रों पर ही उम्मीदवारों की तस्वीरें लगा दी गईंं। उम्मीदवारों की सूची दर्शाने वाले फॉर्म 7-ए में उनके नामों के साथ पार्टी के चुनाव चिह्न और उनकी रंगीन तस्वीरें भी लगाई गईं थीं। इनकी मदद से मतदाता अपने उम्मीदवार को आसानी से पहचान पाए। यह प्रयोग एक नहीं,सभी मतदान केन्द्रों पर किया गया। मतदाताओं की सुविधा के लिए पहली बार किया गया नया प्रयोग काबिलेतारीफ है। 

हालांकि मतदान केंद्र में चुनाव प्रक्रिया प्रभावित न हो इसके लिए किसी को भी उसमें पाटी का चुनाव चिह्न लेकर जाने की मनाही होती है। वहां किसी को भी प्रचार करने की अनुमति नहीं होती है। इस संबंध में चुनाव आयोग के पास कुछ शिकायतें भी आ चुकी हैं। इनमें लोकसभा चुनाव के दौरान नरेंद्र मोदी भी शामिल रहे हैं। इसे आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन माना जाता है। लेकिन पश्चिम बंगाल में चुनाव आयोग ने मतदाताओं की सहायता के लिए स्वयं यह प्रयोग किया। इससे मतदाता कम समय में सही फैसला कर पाएं कि उन्हें किसे चुनना है।

कम पढ़े-लिखे, अशिक्षित ग्रामीण और विशेषकर बुजुर्ग मतदाताओं को नए प्रयोग से अधिक सुविधा हुई। वे मौखिक रूप से अपने उम्मीदवार का नाम जानते थे और तस्वीर से उसे पहचानते थे। मतदान करते समय उन्हें उसे तलाश करने में आसानी हुई। इस प्रयोग से एक फायदा और भी होगा। कुछ चुनाव एजेंट सहायता के नाम पर मतदाता से अपनी पार्टी के उम्मीदवार के नाम पर जल्दबाजी में बटन दबवाने में कामयाब हो जाते हैं। तस्वीर लगाए जाने से मतदाता इस जल्दबाजी और हड़बड़ी से बच जाएगा। चुनाव के दौरान इस प्रयोग को देश के अन्य हिस्सों में भी इस्तेमाल किया जाना चाहिए।

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