निर्भया कांड की छठी बरसी: आज भी झकझोरती है उस काली रात की बर्बरता
Sunday, Dec 16, 2018 - 10:30 AM (IST)
नई दिल्ली: 16 दिसंबर 2012 को दिल्ली में एक दिल दहलाने वाली घटना हुई। चलती बस में एक लड़की का बर्बरता से गैंगरेप किया गया। रेप के बाद निर्भया 13 दिनों तक अस्पताल में जिंदगी और मौत के बीच जूझती रही और आखिरकार 29 दिसंबर को उसने दम तोड़ दिया था। इंसानियत को शर्मसार करने वाली वो वारदात जिसने सड़क से संसद तक ही नहीं बल्कि देश और दुनिया में तहलका मचा दिया था।
लड़कियां खुद को कमजोर न समझें: आशा देवी
निर्भया के गुनहगारों को फांसी पर कब लटकाया जाएगा, यह सवाल अभी कायम है। निर्भया के पिता का कहना है कि रिव्यू पिटिशन खारिज होने के बाद अभी तक क्यूरेटिव पिटिशन दाखिल नहीं किया गया है और न ही दया याचिका दाखिल की गई है। ऐसे में वे इस तथ्य को लेकर अंधेरे में हैं कि आखिर निर्भया के गुनहगारों को फांसी पर कब लटकाया जाएगा। निर्भया की मां आशा देवी का कहना है कि निर्भया के अपराधी आज भी जिंदा हैं और यह कानून व्यवस्थआ की हार है। हालांकि उन्होंने अपने दुख को व्यक्त हुए यह भी कहा है कि हम सभी लड़कियों से यह कहना चाहते हैं कि वे खुद को कमजोर न समझें।
Asha Devi, mother of Dec 16 Delhi gangrape victim: Culprits in a criminal case like this are still alive. It's a failure of law & order situation. We want to tell the girls everywhere to not consider themselves weak & request parents to not deprive their girls of education pic.twitter.com/SwzVxdH9ss
— ANI (@ANI) December 15, 2018
एक नजर पूरे मामले पर:
16 दिसंबर 2012
देश की राजधानी दिल्ली पर एक बदनुमा दाग की तरह ठहरी हुई ये वारदात आज भी उतनी खौफनाक लगती है जितनी 6 साल पहले थी। उस रात एक चलती बस में पांच बालिग और एक नाबालिग ने जिस तरह से निर्भया के साथ हैवानियत का खेल खेला वे बेहद ही शर्मनाक था।
23 साल की निर्भया पैरामेडिकल की छात्रा थी। वो फिल्म देखने के बाद अपने एक दोस्त के साथ बस में सवार होकर मुनिरका से द्वारका जा रही थी। बस में उन दोनों के अलावा 6 लोग और थे, जिन्होंने निर्भया के साथ छेड़छाड़ शुरू कर दी। विरोध करने पर आरोपियों ने निर्भया के दोस्त को इतना पीटा कि वह बेहोश हो गया। रात के इस घने अंधेरे और सड़क पर दौड़ती इस तेज रफ्तार बस में निर्भया अकेली थी।
उसने कई देर तक उन वहशी दरिंदों का सामना किया लेकिन उसकी हिम्मत जवाब दे चुकी थी। उन सबने निर्भया के साथ सामूहिक बलात्कार किया। यही नहीं उनमें से एक ने जंग लगी लोहे की रॉड निर्भया के प्राइवेट पार्ट में डाल दी। इस हैवानियत की वजह से निर्भया की आंतें शरीर से बाहर निकल आईं। बाद में उन शैतानों ने निर्भया और उसके दोस्त को दक्षिण दिल्ली के महिपालपुर के नजदीक वसंत विहार इलाके में चलती बस से फेंक दिया था।
आधी रात के बाद वसंत विहार इलाके में कुछ लोगों ने पुलिस को सूचना दी जिसके बाद पुलिस ने लड़की को गंभीर हालत में दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में भर्ती कराया। ये मामला मीडिया की सुर्खियों में आ गया था। इस दरिंदगी से हर कोई आक्रोश में था। आरोपियों की गिरफ्तारी को लेकर आवाज उठने लगी।
घटना के दो दिन बाद दिल्ली पुलिस ने दावा किया कि आरोपी बस ड्राइवर को गिरफ्तार कर लिया गया जिसका नाम राम सिंह बताया गया। बाद में पुलिस ने जानकारी दी कि इस मामले में 4 आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है। पुलिस सभी आरोपियों से लगातार पूछताछ कर रही थी। पूरे देश में घटना के खिलाफ प्रदर्शन हो रहे थे। लोग सड़कों पर उतर आए थे और पूरे देश की निगाहें केवल दिल्ली पुलिस की जांच और कार्रवाई पर लगी हुई थी।
29 दिसंबर, 2012
इन सबके बीच निर्भया जिंदगी और मौत की जंग लड़ रही थी। उसका दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में इलाज चल रहा था, लेकिन हालत में सुधार न होने पर उसे सिंगापुर भेजा गया। वहां अस्पताल में इलाज के दौरान वह जीवन की जंग हार गई। रात के करीब सवा 10 बजे निर्भया ने दम तोड़ दिया।
11 मार्च 2013
मामला कोर्ट में चल रहा था, पुलिस को मामले में 80 लोगों की गवाही भी मिली थी, सुनवाई हो रही थी। मगर तभी आरोपी बस चालक ने तिहाड़ जेल में आत्महत्या कर ली।हालांकि राम सिंह के परिवार वालों और उसके वकील का मानना है कि जेल में उसकी हत्या की गई थी।
10 सितंबर, 2013 से 13 मार्च 2014
फास्ट ट्रैक कोर्ट ने 10 सितंबर, 2013 को चारों बालिग आरोपियों को दोषी करार दिया और 13 सितंबर 2013 को उन्हें मौत की सजा सुनाई। आरोपियों ने फास्टट्रैक कोर्ट के फैसले को दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दी।
2014-2018
- 2 जून, 2014 को दो आरोपियों ने हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की।
- 14 जुलाई, 2014 को सुप्रीम कोर्ट ने चारों आरोपियों की फांसी पर सुनवाई पूरी होने तक रोक लगा दी।
- 15 मार्च 2014 को दो आरोपियों के वकील एमएल शर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की। अन्य दोषियों की तरफ से वकील एपी सिंह भी सुप्रीम कोर्ट पहुंचे।
- 20 दिसंबर,2015 नाबालिग अपराधी को बाल सुधार गृह से रिहा कर दिया गया, जिसे लेकर देशभर में व्यापक विरोध-प्रदर्शन हुए।
- दोषी सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए। चार अप्रैल 2016 उनकी फांसी की सजा पर रोक लग गई।
- देरी होते देख सुप्रीम कोर्ट ने 11 जुलाई 2016 को केस तीन जजों की बेंच को भेजा। केस में मदद के लिए दो एमिकस क्यूरी नियुक्त किए गए।
- 18 जुलाई 2016 से सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई फास्ट ट्रैक कोर्ट की तरह की।
- 27 मार्च 2017 को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई पूरी हुई, फैसला सुरक्षित रखा गया।
- 5 मई 2017 को सुप्रीम कोर्ट ने दोषियों की सज़ा बरकरार रखी।
- 9 जुलाई 2018 को दोषियों की ओर से दाखिल की गई पुनर्विचार याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज करते हुए मौत की सजा को बरकरार रखा।
- 13 दिसंबर 2018 चारों दोषियों को तुरंत मौत की सजा देने के निर्देश देने की मांग वाली याचिका को सुप्रमी कोर्ट ने खारिज कर दिया।
- अब यहां ये तय किया जाना है कि इन तीनों दोषियों को कब फांसी की सजा दी जानी है।