ऑफ द रिकॉर्डः किसानों से बात करने वाले सिख नेता की ‘भाजपा को कमी खली’

Wednesday, Dec 30, 2020 - 06:10 AM (IST)

नई दिल्लीः भारतीय खुफिया एजैंसियों ने कम से कम 2 महीने पहले सरकार को सचेत कर दिया था कि पाकिस्तान की आई.एस.आई. नई तिकड़म में लगी है और उसने पंजाब पर अपना जोर लगाना शुरू कर दिया है जहां कृषि कानूनों को लेकर किसानों का संघर्ष बढ़ रहा है। ऐसे हालात में पाकिस्तानी एजैंसी किसानों के असंतोष की फसल काट सकती है। परंतु ऐसा लगता है कि जो लोग यहां ऐसी फील्ड रिपोर्टों को देखने के लिए जिम्मेदार हैं, वे इन्हें लेकर बहुत परवाह नहीं करते। 

पंजाब में बहुत से न्यूज चैनल और समाचारपत्र रातों-रात खड़े हो गए और जो उनके जी में आ रहा है,उसे वे प्रसारित कर रहे हैं या छाप रहे हैं। इन न्यूज चैनलों व समाचारपत्रों ने पहले से गर्म माहौल को और भभका दिया है। जो आंदोलन पंजाब के किसानों तक सीमित था, उसमें दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान, यू.पी. और अन्य राज्यों के किसान भी शामिल हो गए हैं। मोदी सरकार ने इसके बारे में सोचा भी न था। पंजाब में हालात चिंताजनक हैं क्योंकि आई.एस.आई. खुलकर खेल रही है और आतंकवाद फिर से सिर उठा सकता है। 

पिछले सप्ताह से अब तक बी.एस.एफ. व पंजाब पुलिस ने संयुक्त आप्रेशन में गुरदासपुर जिले के सीमावर्ती वजीरपुर चक गांव के इलाके में कम से कम 11 चीन निर्मित ग्रेनेड, 2 ए.के.-47 राइफलें व कई जिंदा कारतूस बरामद किए हैं। सत्तारूढ़ सरकार के कुछ पदाधिकारियों ने किसानों के आंदोलन को खालिस्तानी या आतंकवादी बताकर इसे बदनाम करने की कोशिश की परंतु नॉर्थ ब्लॉक में उच्चस्तरीय बैठक के बाद इस रणनीति से हाथ खींच लिया गया। 

भाजपा की एक बड़ी कमजोरी यह है कि उसके पास कोई एक भी ऐसा बड़ा सिख नेता नहीं है जो किसानों से कृषि कानूनों पर बात कर सकता। नवजोत सिंह सिद्धू नाराज होकर भाजपा छोड़कर चले गए थे और वरिष्ठ लोकसभा सांसद एस.एस. आहलूवालिया को मोदी सरकार अजीब कारणों से दूर ही रखती है। 

केंद्रीय मंत्री हरदीप पुरी प्रधानमंत्री मोदी के सबसे विश्वसनीय सिख हैं परंतु उनकी भी सीमाएं हैं। सरकार ने अब बातचीत की नई रणनीति बनाई है और मृदुभाषी समझे जाने वाले रक्षामंत्री राजनाथ सिंह को बातचीत के लिए आगे किया है। देखना होगा कि मीठी बातों का फल कितना मीठा निकलेगा।    

Pardeep

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