कंटीले तार वाले डंडे और पत्थर…1-1 चीनी को टारगेट कर सिख-जाट रेजिमेंट ने सिखाया सबक
punjabkesari.in Tuesday, Dec 13, 2022 - 03:54 PM (IST)

नेशनल डेस्कः अरुणाचल के तवांग के पास यांग्त्से क्षेत्र में 9 दिसंबर को भारत और चीन के बीच हिंसक झड़प हुई। ड्रैगन कई दिनों से इस इलाके में अतिक्रमण करने की कोशिश में जुटा था। झड़प से कुछ हफ्ते पहले ड्रैगन ने वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर भारतीय हवाई क्षेत्र में दो तीन बार घुसपैठ करने की कोशिश की थी, जिसके बाद भारतीय वायु सेना को उसके ड्रोन को खदेड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा। सेना ने उसकी घुसपैठ की कोशिश नाकाम कर दिया।
रक्षा सूत्रों का कहना है कि पिछले कुछ हफ्तों में दो से तीन मौकों पर हमारे लड़ाकू विमानों को एलएसी पर हमारी ओर बढ़ रहे चीनी ड्रोनों से निपटने की कार्रवाई करनी पड़ी। हवाई उल्लंघन के खतरे से निपटने के लिए Su-30MKI ने उन्हें अपने क्षेत्रों से खदेड़ा। बताते चलें कि तवांग में भारत और चीन के सैनिकों के बीच कैसे झड़प हुई और भारतीय सैनिकों के सामने क्या चुनौती थीं? इन चुनौतियों का सामना करके भारत ने चीनी सैनिकों को कैसे सबक सिखाया…
झड़प का पहला स्टेपः चीनी सैनिक गश्त करते हुए आगे बढ़े, जिसके साथ ही शुरुआत में दोनों पेट्रोलिंग पार्टी के बीच झड़प होने लगी। यहां कांटेदार रॉड, पत्थर से करीब आधे घंटे तक झड़प हुई, जिसमें चीनी सैनिक बुरी तरह से घायल हो गए।
झड़प का दूसरा स्टेपः जब दोनों सेनाओं में झड़प बढ़ने लगी तो भारतीय सैनिकों ने अपने साथियों को बुलाया. चीनी पक्ष ने भी अपने सैनिकों को बुला लिया। भारतीय सेना के करीब 200 सैनिक पहुंचे और PLA के 250 जवान मौके पर पहुंच गए। आपस में उलझते हुए चीनी सैनिकों को पीछे धकेला जाने लगा और भारत-चीन के जवानों में डंडों से युद्ध होने लगा।
झड़प का तीसरा स्टेपः झड़प में चीन के दर्जनों सैनिक लहुलूहान हो गए। जब उनके सैनिक बुरी तरह परास्त होने लगे तो दोनों देशों के कमांडिंग ऑफिसर ने दखल दिया और फौरन जगह को छोड़ दिया गया।
झड़प का चौथा स्टेपः दूसरे दिन एरिया कमांडर्स की फ्लैग मीटिंग हुई, जिसमें कोर कमांडर्स को जानकारी दी गई।
तवांग में क्या चुनौती?
ऊपरी इलाके में चीन का कब्जा है। घना जंगल, बर्फबारी से भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। घने बादल से सेटेलाइट इमेज नहीं मिल रही थी।