ट्रंप की उड़ेगी नींद, भारत आ रहा है पुतिन का सबसे करीबी शख्स, 50% टैरिफ पर होने वाला जबरदस्त हमला!

punjabkesari.in Saturday, Sep 13, 2025 - 07:40 PM (IST)

नेशनल डेस्क:  अमेरिका की तरफ से भारत के झींगा कारोबार पर लगाए गए 50% से ज्यादा टैरिफ के बीच अब रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने बड़ा कदम उठाया है। रूस के उप-प्रधानमंत्री और कृषि मामलों के विशेषज्ञ दिमित्री पात्रुशेव जल्द ही नई दिल्ली का दौरा करने वाले हैं, जो सीधे तौर पर अमेरिकी दबाव को मात देने की रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है।

यह दौरा ऐसे समय में हो रहा है जब ट्रंप प्रशासन भारत पर दोतरफा दबाव बना रहा है - एक तरफ झींगा पर भारी टैक्स, दूसरी तरफ रूस से तेल खरीदने को लेकर राजनीतिक हमले। लेकिन अब भारत-रूस के बीच एक नई व्यापारिक साझेदारी का ताना-बाना बुना जा रहा है, जो अमेरिकी वर्चस्व को सीधी चुनौती दे सकती है। पात्रुशेव की यह यात्रा न केवल झींगा आयात और उर्वरक आपूर्ति को लेकर अहम है, बल्कि जियो-पॉलिटिक्स के स्तर पर अमेरिका को करारा जवाब देने की तैयारी भी मानी जा रही है।

इस दौरे के दौरान भारत-रूस के बीच झींगे (Shrimp) के आयात और उर्वरकों की आपूर्ति पर प्रमुख बातचीत होगी। दिमित्री पात्रुशेव रूस के कृषि क्षेत्र के अनुभवी नेता हैं और उनके भारत दौरे का उद्देश्य दोनों देशों के बीच कृषि और मरीन उत्पादों के व्यापार को मजबूत करना है।

अमेरिका का टैरिफ झटका: भारत के झींगा निर्यात पर संकट
भारत दुनिया में झींगे का सबसे बड़ा निर्यातक है और अमेरिका उसका सबसे बड़ा खरीदार रहा है। लेकिन हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा 50% तक टैरिफ लगाए जाने के बाद यह कारोबार भारी दबाव में आ गया है। नई नीति के चलते झींगा उत्पादों पर कुल टैक्स 58% तक पहुंच सकता है, जिससे भारतीय निर्यातकों की प्रतिस्पर्धा घट गई है। अब भारत को अमेरिका में इक्वाडोर, वियतनाम, इंडोनेशिया और चीन जैसे देशों से कड़ी टक्कर मिल रही है, क्योंकि वे कम कीमत पर झींगा भेज पा रहे हैं।

रूस बन सकता है ‘नया ग्राहक’ 
ऐसे माहौल में रूस एक विकल्प नहीं बल्कि अवसर बनकर सामने आया है। दिमित्री पात्रुशेव की प्रस्तावित यात्रा के दौरान भारत के कृषि और वाणिज्य मंत्रियों से उनकी बैठकें तय मानी जा रही हैं। रूस की ओर से झींगे के आयात में रुचि और उर्वरक क्षेत्र में निर्यात बढ़ाने की मंशा भारत के लिए नई संभावनाएं खोल सकती है। इसके अलावा, भारत और रूस के बीच रुपये-रूबल व्यापार व्यवस्था से डॉलर पर निर्भरता कम होगी, जिससे टैरिफ जैसी समस्याओं से राहत मिल सकती है।

G-7 बैठक में भारत के खिलाफ अमेरिकी दबाव
अमेरिका भारत पर सिर्फ टैरिफ ही नहीं, बल्कि राजनीतिक दबाव भी बढ़ा रहा है। हाल ही में G-7 देशों की विदेश मंत्रियों की बैठक में अमेरिका ने भारत और चीन पर अतिरिक्त टैरिफ लगाने का प्रस्ताव रखा। ट्रंप प्रशासन का दावा है कि भारत रूस से तेल खरीदकर यूक्रेन युद्ध में पुतिन को आर्थिक मदद दे रहा है।

भारत का जवाब: ‘राष्ट्रीय हित सर्वोपरि’
भारत ने अमेरिका के इन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है। भारत का कहना है कि वह जो भी निर्णय लेता है, वह अपने राष्ट्रीय हित, ऊर्जा सुरक्षा और वैश्विक बाजार की स्थितियों को ध्यान में रखकर लेता है। भारत ने स्पष्ट किया कि वह किसी के दबाव में आकर अपने रणनीतिक फैसले नहीं बदलेगा। 


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Writer

Anu Malhotra

Related News