कोरोना वैक्सीन के बाद महाराष्ट्र में ‘ रेमेडिसविर’ की भी भारी किल्लत, नियंत्रण कक्ष स्थापित करेगी सर

Sunday, Apr 11, 2021 - 03:16 PM (IST)

नेशनल डेस्क: महाराष्ट्र इस समय भारी संकट का सामना कर रहा है। एक तरफ जहां महामारी कोरोना राज्य में बेकाबू होती जा रही है तो वहीं दूसरी तरफ कोरोना वैक्सीन के बाद रेमेडिसविर दवा की भारी किल्लत ने भी सरकार के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी हैं।  राज्य को दवा से संबंधित कई मुद्दों का सामना करना पड़ रहा है, जिनमें मांग-आपूर्ति में अंतर, दवा की दुकानों द्वारा इंजेक्शन की जमाखोरी और कालाबाजारी, अधिक कीमत और कुछ डॉक्टरों द्वारा यह दवा बेवजह लिखकर देना शामिल है।

 

व्यवस्थित तरीके से दवाई की आपूर्ति करने का निर्देश
महाराष्ट्र सरकार ने रेमेडिसिविर इंजेक्शन की सुचारू आपूर्ति सुनिश्चित करने और इसकी जमाखोरी और काला बाजारी रोकने के लिए जिला-स्तरीय नियंत्रण कक्ष स्थापित करने का निर्णय लिया है। रेमेडिसिविर को कोविड-19 से लड़ाई में अहम दवाई माना जाता है, खासकर उन वयस्क मरीजों में यह असरदार होती है जिन्हें संक्रमण के कारण गंभीर जटिलताएं हो जाती हैं। राज्य के  ​स्वास्थ्य सेवा आयुक्त रामस्वामी एन ने नौ अप्रैल को लिखे एक पत्र में राज्य के सभी जिलाधिकारियों से नियंत्रण कक्षों को स्थापित करने को कहा है ताकि इस अहम दवाई की व्यवस्थित तरीके से आपूर्ति की जा सके।


 रेमेडिसविर की हो रही कालाबाजारी
वहीं इससे पहले महाराष्ट्र के परभणी जिले में एमआरपी से अधिक कीमत पर रेमडेसिविर इंजेक्शन बेचने के आरोप में एक मेडिकल स्टोर के मालिक को गिरफ्तार किया गया है। एक शिकायत के आधार पर मेडिकल स्टोर पर छापा मारा गया तो वहा  रेमडेसिविर की एक शीशी  4,800 रुपये की वास्तविक कीमत से अधिक 6,000 रुपये में बेची जा रही थी। इसके अलावा  शिवाजी नगर इलाके में एक मेडिकल स्टोर पर भी छापा मारा, जहां इंजेक्शन की कुछ शीशियां बिना रसीद के पाई गई।

 

कालाबाजारी के खिलाफ उचित कार्रवाई करने के निर्देश
​मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने हाल ही में राज्य के स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे, चिकित्सा शिक्षा मंत्री अमित देशमुख, खाद्य और औषधि प्रशासन (एफडीए) मंत्री राजेंद्र शिंगने और शहरी विकास मंत्री एकनाथ शिंदे के साथ स्थिति की समीक्षा की। सरकार ने अधिकारियों से रेमेडेसिविर की प्रत्येक शीशी की कीमत 1,100 से 1,400 रुपये के बीच तय करने को कहा है और एक दर्जन से अधिक फार्मास्यूटिकल कंपनियों से इस दवाई का उत्पदान बढ़ाने और इसकी अधिकतम खुदरा कीमत कम करने का आग्रह किया है। रामस्वामी ने एफडीए को जरूरत पड़ने पर राज्य स्तर के नियंत्रण कक्ष से संपर्क करने और दवा की आपूर्ति के संबंध में कोई भी मसला होने पर उचित कार्रवाई करने का निर्देश दिया है।

 

काेरोना के खिलाफ रेमेडिसविर दका नाम आया था सबसे पहले
याद हो कि कोरोना काल की शुरुआत में इस घातक संक्रामक बीमारी के इलाज के लिए रेमेडिसविर दवा का नाम सबसे पहले सामने आया था। शोधकर्ताओं का कहना था कि यह दवा कोरोनावायरस को अपनी नकल बनाने से रोक देती है जोकि आगे जाकर कोविड-19 का कारण बनती है। रेमेडिसविर' उन कई दवाओं में से एक थी जिसे विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा तेजी से परीक्षण करने के लिए चुना गया था।अमेरिका, कनाडा, यूरोप और जापान में कोविड-19 के रोगियों पर इस दवा का परिक्षण किया गया था। जिसमें से करीब 68 फीसदी मरीजों को इस दवा से लाभ हुआ था। इससे पहले 2014 में इबोला वायरस को खत्म करने के लिए इस दवा का निर्माण किया गया था|

 

vasudha

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