दुकानदारों ने GST से बचने के लिए निकाला अजीब तोड़

Sunday, Jul 09, 2017 - 03:00 PM (IST)

नई दिल्लीः 1 जुलाई से लागू हुए जीएसटी पर भले ही विपक्ष केंद्र सरकार की आलोचना कर रहा हो और कुछ व्यापारी इसका विरोध कर रहे हों लेकिन कई ऐसे दुकानदार हैं जो जीएसटी का अजीबो-गरीब तोड़ निकाल रहे हैं।

दो अलग-अलग बिल भी बना रहे हैं दुकानदार
जीएसटी से बचने के लिए कई दुकानदार एक जोड़ी जूते को अलग-अलग करके बेच रहे हैं और इसके लिए दो अलग-अलग बिल भी बना रहे हैं। सीए और जीएसटी एक्सपर्ट संगीत गुप्ता के मुताबिक दुकानदारों के ऐसे करने पर देश का नुकसान हो रहा है।

18 की जगह 10% दे रहे GST
500 रुपए से कम के फुटवेयर पर 5 फीसदी जीएसटी लगाया गया है जबकि उससे अधिक कीमत के फुटवेयर पर 18 फीसदी टैक्स लगाया गया है। दरअसल यह सब
पुराने स्टॉक पर टैक्स बचाने के लिए यह हो रहा है। ताकि उन्हें 18 प्रतिशत टैक्स न चुकाना पड़े। मान लीजिए अगर एक जोड़ी जूते की कीमत 900 रुपए है तो वे अलग-अलग 450-450 रुपए के बिल बना रहे। इस पर उन्हें 10 फीसदी ही टैक्स देना पड़ रहा है। इस तरह चेन्नई के कुछ दुकानदार 8 फीसदी  टैक्स बचा रहे हैं।

ग्राहक पर असर
दुकानदार भले ही अपने फायदा देख रहे हैं लेकिन इससे देश को नुकसान हो रहा है। इतना ही इससे अम लोगों पर भी असर पड़ा रहा है क्योंकि उन्होंने भुगतान तो पूरा किया लेकिन मुनाफा दुकानदार ले गए।

जून का स्टॉक बता चीजें बेच रहे दुकानदार
जीएसटी की वजह से महंगी हुई जिन वस्तुओं की बिक्री जुलाई स्टॉक से हो रही है, रिटेलर्स उन्हें जून के स्टॉक का बता रहे है और जून स्टॉक की सस्ती हुई वस्तुओं की बिक्री को वो जुलाई स्टॉक का बता रहे हैं।

कपड़ों पर भी बचा रहे टैक्स
1,000 रुपए से कम कीमत के कपड़ों पर पर 5 फीसदी जीएसटी तय किया गया और उससे अधिक की कीमत पर 12 फीसदी जीएसटी लगेगा। इन्हें दो हिस्सों में बेचें तो इस पर भी दुकानदार टैक्स बचा रहे हैं।

विदेश जाना हुआ महंगा!
विदेश जाने की चाह रखने वालों पर जीएसटी असर डाल सकता है क्योंकि विदेश जाने से पहले आप जो विदेशी नोट खरीदते हैं, उसके लिए अब आपको ज्यादा पैसे देने होंगे। दरअसल, अगर सरकार ने कस्टम विभाग के पक्ष में फैसला दिया तो विदेशी मुद्रा के आयात पर 12 फीसदी जीएसटी लगेगा। बैंकों ने सरकार से इस पर छूट की मांग की है। बैकों का कहना है कि सरकार के अनिर्णय की स्थिति में बंदरगाहों पर विदेशी मुद्रा के बहुतेरी खेप फंसी हुई है। कस्टम एक्ट के तहत बैंक और रिजर्व बैंक विदेशी मुद्रा मंगाते हैं।

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