शोले के 44 साल पूरे, 1975 को 15 अगस्त के दिन हुई थी रिलीज

Thursday, Aug 15, 2019 - 03:37 PM (IST)

नेशनल डेस्क: शोले एक ऐसी फिल्म है जिसके हर किरदार से दर्शक आजतक अपना लगाव महसूस करते हैं। जय-वीरू की दोस्ती, बंसंती की नॉनस्टॉप बातें, ठाकुर, गब्बर, रामलाल, कालिया, सांबा। शोले के किरदार आज भी लोगों के दिल में जिंदा है। भारतीय सिनेमा की ये ब्लॉकबस्टर फिल्म 44 साल पहले 1975 को 15 अगस्त यानी स्वतंत्रता दिवस के मौके पर रिलीज की गई थी। आइए जानते है फिल्म से जुड़ी कुछ दिलचस्प बातें

इस फिल्म को रमेश सिप्पी ने निर्देशित किया था। पहले इस फिल्म का नाम ‘एक, दो, तीन’ या फिर ‘मेजर साब’ रखने पर चर्चा हो रही थी। लेकिन फिल्म की आधी शूटिंग पूरी होने के बाद में इसका नाम ‘शोले’ रखा गया।

जिस रामगढ़ के इर्दगिर्द शोले की कहानी घूमती है दरअसल, वो बेंगलुरु और मैसूर के बीच पहाड़ियों से घिरी एक जगह है जिसका नाम रामनगरम है।

रमेश सिप्पी की टीम में एक लोकेशन हंटर थे येडेकर, जिन्होने फिल्म की लोकेशन के लिए रामनगरम को ढूंढा। दरअसल, रमेश नहीं चाहते थे कि इस फिल्म की शूटिंग चम्बल या किसी पहले की फिल्मों में इस्तेमाल हुई लोकेशन पर की जाए। जिसके बाद येडेकर को बेंगलुरु के पास के मौजूद पहाडि़यों से घिरी ये जगह पसंद आई। जहां शोले के रामगढ़ बसाया गया।

फिल्म के मुख्य विलेन गब्बर सिंह के किरदार की प्रेरणा दरअसल एक असल जिंदगी के डाकू से ली गई थी, जो लोगों को लूटने के साथ-साथ उनके कान-नाक भी काट लिया करता था।

रमेश सिप्पी ने अपनी फिल्म के लिए विदेश से टेकनिशियन्स बुलवाए थे। ये वो लोग थे जिन्होने सीन कॉनरी की जेम्स बॉन्ड फिल्म में काम किया हुआ था।

फिल्म के दोनों मुख्य किरदार जय-वीरू का नाम फिल्म के लेखक सलीम खान ने सुझाए थे। दरअसल इन दोनों नाम के दो सहपाठी उनके साथ कॉलेज में पढ़ते थे। वहीं से इनके नाम जस का तस ले लिए गए।

जय के रोल के लिए शत्रुघ्न सिन्हा का नाम फाइनल था। मगर सलीम-जावेद और धर्मेन्द्र ने अमिताभ का नाम सुझाया। उस वक्त अमिताभ की कई फिल्में फ्लॉप हो रही थी, लेकिन सलीम-जावेद को जंजीर फिल्म की पटकथा पर भरोसा था। उनका मानना था कि जंजीर सफल रहेगी और अमिताभ स्टार बन जाएंगे। ऐसा हुआ भी। अमिताभ को जंजीर रिलीज होने के पहले ही साइन किया जा चुका था।

ऐसा कहा जाता है कि शोले की शूटिंग के कुछ दिनों पहले संजीव कुमार ने हेमा मालिनी के आगे शादी का प्रस्ताव रखा था, जिसे हेमा ने ठुकरा दिया था। इसी वजह से शोले में दोनों के बीच ना के बराबर सीन हैं।

शोले की शुरुआत में एक बेहतरीन सीन है जिसमें जय, वीरू और ठाकुर गुंडों से ट्रेन में सफर करते हुए लड़ते हैं। ये सीन 7 हफ्तों की शूटिंग में पूरा हुआ था। इसे मुंबई-पुणे रेलवे रूट पर पनवेल के निकट फिल्माया गया था।

दर्शकों के दिलों में सालों तक राज करनेवाली ब्लॉकबस्टर ‘शोले’ को केवल बेस्ट एडिटिंग के लिए एक फिल्मफेयर पुरस्कार मिला था।  

prachi upadhyay

Advertising