आक्रामक शिवसेना चाहती है 144 सीटें, एक साथ हों चुनाव

Thursday, Apr 12, 2018 - 08:48 AM (IST)

नेशनल डेस्कः कांग्रेस और राकांपा ने पिछले महीने महाराष्ट्र में लोकसभा और विधानसभा चुनावों के लिए सैद्धांतिक तौर पर गठबंधन कर लिया है जिस पर शिवसेना ने भाजपा के प्रति कड़ा रुख अपनाया है। इस मामले पर दोनों पार्टियों के बीच यद्यपि कोई औपचारिक बातचीत नहीं हुई मगर कुछ प्रभावशाली मध्यस्थ समस्या का हल ढूंढने में व्यस्त हैं। इन मध्यस्थों के कारण ही शिवसेना के प्रवक्ता और राज्यसभा सदस्य संजय राऊत मुम्बई में मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस के साथ एक मंच पर दिखाई दिए तथा यह मित्र भाव की तरह था। भाजपा के लिए यह चिंता का संकेत है क्योंकि वह एक के बाद एक अपने सहयोगी खो रही है।

उत्तर प्रदेश में सपा और बसपा इकट्ठे हो रहे हैं तथा महाराष्ट्र में राकांपा और कांग्रेस ने हाथ मिला लिया है। भाजपा अब शिवसेना के साथ अच्छे संबंध चाहती है। यह फार्मूला बनाया गया है कि भाजपा और शिवसेना 288 सदस्यीय विधानसभा के चुनावों में राज्य में 144-144 सीटों पर चुनाव लड़ें। शिवसेना अब भाजपा पर विश्वास करने की इच्छुक नहीं।  वह  चाहती है कि महाराष्ट्र में विधानसभा और लोकसभा के चुनाव एक साथ हों। सामान्य तौर पर विधानसभा के चुनाव राज्य में दिसम्बर, 2019 में होंगे, यानी कि लोकसभा चुनावों के बाद। दोनों पार्टियों के बीच अविश्वास इतना अधिक बढ़ गया है कि शिवसेना को भाजपा पर विश्वास नहीं रहा।

शिवसेना का कहना है कि मोदी विधानसभा और लोकसभा के चुनाव एक साथ करवाना चाहते हैं, यह बेहतर है कि महाराष्ट्र में दोनोंचुनाव 2019 में करवाए जाएं। शिवसेना की एक और शर्त यह है कि मुख्यमंत्री उस पार्टी का होगा जिसके चुनावों में अधिक विधायक होंगे। लोकसभा सीटों का बंटवारा मई, 2014 के हुए चुनावों के अनुसार ही होगा। भाजपा ने न तो इस शर्त को स्वीकार किया है और न ही खारिज। पिछले सप्ताह मुम्बई में अमित शाह और शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के बीच हुई बैठक कोई उत्साहजनक नहीं थी। स्पष्ट है कि भाजपा ऐसी कड़ी शर्तों को स्वीकार नहीं करेगी।

Punjab Kesari

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