शीला दीक्षित से हुआ था विवाद नप सकते हैं पीसी चाको

Wednesday, Jul 24, 2019 - 05:22 AM (IST)

नई दिल्ली: दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री व प्रदेश कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष शीला दीक्षित के निधन के बाद पार्टी में कुछ नेताओं के व्यवहार को लेकर दुख व्यक्त करने को लेकर सोनिया गांधी को लिखा गया एक पत्र कार्यकर्ताओं में चर्चा का विषय बन गया है। इससे एक बात साफ दिख रही है अब प्रदेश कांग्रेस के दिल्ली प्रभारी पीसी चाको को हटाए जाने की प्रबल संभावना बन गई है। इतना ही नहीं, बल्कि शीला विरोधी गुट के किसी नेता को प्रदेश कांग्रेस की कमान सौंपे जाने पर संशय लगता दिख रहा है। 

इसका कारण यह माना जा रहा है कि कांग्रेस कमेटी का कोई भी वरिष्ठ नेता इस बात के पक्ष में नहीं होगा कि दिल्ली में 15 साल तक मुख्यमंत्री बनी रहने वाली शीला दीक्षित जीवन के अंतिम समय जिस तरह की राजनीति का शिकार हुईं, उसको आगे जारी रखा जाए। प्रदेश कांग्रेस के एक पदाधिकारी ने अपना नाम नहीं छापने की शर्त पर कहा कि ‘दुख तब होता है जब कोई अपना ही दगा देता है। शीला जी ने जिन कार्यकताओं की उंगली पकड़कर उन्हें राजनीति में सक्रिय किया, वे ही स्वार्थपूर्ति के लिए उनके साथ राजनीति करने पर उतारू हो गए’। 

शख्सियत और कद का अहसास बाद में हुआ: दरअसल, शीला दीक्षित के निधन के बाद जिस तरह से उन्हें श्रद्धांजलि आपूर्ति करने के लिए वहां कांग्रेस ही नहीं बल्कि पूर्व राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, पूर्व उपराष्ट्रपति सहित सभी राजनैतिक दलों के वरिष्ठ नेताओं ने वहां पहुंचकर अपनी संवेदना व्यक्त की, उसे देखने के बाद पार्टी में शीला विरोधी लोगों को उनकी शख्सियत और उनके ऊंचे कद के बारे में अब जाकर अहसास हुआ। इसी वजह से उनके निधन के तीन दिनों के बाद पीसी चाको अपनी संवेदना व्यक्त करने के लिए सोमवार को पहुंचे। 

सोनिया ने लिया संज्ञान
शीला दीक्षित ने लिखा था जानबूझकर मेरे फैसलों में अड़ंगा लगाया जा रहा है...आखिर में नतीजे बताते हैं कि कैसे तीसरे नंबर की कांग्रेस बिना गठजोड़ के दो नंबर पर आ गई। शीला दीक्षित ने सोनिया गांधी को यह पत्र गत 8 जुलाई को लिखा था। उसके बाद मामले पर संज्ञान लेते हुए इसे सुलझाने के लिए सोनिया गांधी के कहने पर एक वरिष्ठ नेता ने पीसी चाको, अजय माकन व 2-3 अन्य नेताओं को बुलाकर उन्हें समझाया भी था। इस मुलाकात के बाद सभी ने मामले को हल करने का आश्वासन दिया गया था। मंगलवार को दूसरे दिन भी शोक व्यक्त करने के राजीव भवन प्रदेश कांग्रेस कार्यालय बंद रखा गया और अब जल्द ही पार्टी की ओर से एक शोक सभा का आयोजन किया जाएगा।

पत्र में टकराव की बात आई सामने
सूत्रों की मानें तो पीसी चाको शीला दीक्षित के घर नहीं, बल्कि उनकी बहन रमा धवन के यहां कुछ देर बैठकर आए। वहां न तो वह शीला दीक्षित के बेटे संदीप दीक्षित और न ही बेटी लतिका से मिल पाए। दोनों भाई-बहन उस समय अपने परिजनों व शोक व्यक्त करने के लिए घर आने वाले पार्टी के लोगों के साथ ही अपने घर में बैठे हुए थे, जहां शीला दीक्षित रहती थीं। कुछ देर बाद जाकर संदीप अपनी मौसी के घर जाकर चाको से मिल पाए। चर्चा यह है कि सोनिया गांधी को लिखे पत्र में शीला दीक्षित ने राज्य प्रभारी पीसी चाको के साथ चल रहे सियासी टकराव का जिक्र किया था। शीला ने पार्टी के एक बड़े नेता को इन सबका जिम्मेदार बताया था। शीला दीक्षित ने अपने पत्र में लिखा था, मैं दिल्ली कांग्रेस को मजबूत करने के लिए फैसले ले रही हूं लेकिन एक नेता के इशारे पर चलकर प्रभारी पीसी चाको बेवजह कदम उठा रहे हैं। 

दानिक्स अधिकारियों ने जताया शोक
दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के निधन पर दिल्ली अंडमान निकोबार आईलैंड सिविल सर्विस ऑफिसर्स एसोसिएशन ने शोक व्यक्त किया। एसोसिएशन के अध्यक्ष वरिष्ठ अधिकारी शैलेंद्र सिंह परिहार ने कहा कि वह सौम्य व विकास के प्रति समर्पितथीं। उन्होंने 3 बार सरकार के गठन में सभी वर्गों के लिए काम किया और उनके नेतृत्व में कार्य करने के अनुभव की स्मृतियां सभी अधिकारियों के हृदय में हैं। दानिक्स ऑफिसर्स एसोसिएशन की ओर से उन्होने प्रार्थना की कि ईश्वर परिवार को इस अपूरणीय क्षति को सहने की शक्ति दे। एसोसिएशन ने यह संदेश शीला दीक्षित के पुत्र व पूर्व सांसद संदीप दीक्षित को प्रेषित किया है। वहीं आज राष्ट्रीय सफाई मजदूर कांग्रेस इंटक शाखा पूर्वी दिल्ली ने भी शोक सभा का आयोजन किया। पूर्व विधायक वीर सिंह धिंगान ने शीला दीक्षित के निधन पर शोक जताया।

Pardeep

Advertising