देश में घुसपैठ हमारी व्यवस्था की नाकामी, सरकार को डिपोर्ट करने का पूरा हक" : शशि थरूर

punjabkesari.in Thursday, Dec 25, 2025 - 09:17 PM (IST)

नेशनल डेस्क : कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने भारत की सीमाओं और इमिग्रेशन व्यवस्था को लेकर केंद्र सरकार की जिम्मेदारी पर जोर देते हुए कहा है कि देश में अवैध प्रवासियों की मौजूदगी सिस्टम की गंभीर खामियों को उजागर करती है। उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि अगर लोग गैरकानूनी तरीके से भारत में प्रवेश कर रहे हैं या वीजा अवधि खत्म होने के बाद भी यहां रह रहे हैं, तो यह बॉर्डर मैनेजमेंट और इमिग्रेशन कंट्रोल में चूक का संकेत है। थरूर ने ऐसे मामलों में सख्त कार्रवाई की जरूरत बताते हुए सरकार के अधिकारों का समर्थन किया है।

सरकार को कार्रवाई का पूरा अधिकार: शशि थरूर
शशि थरूर ने कहा, “अगर अवैध प्रवासी हमारे देश में आ रहे हैं, तो क्या यह हमारी अपनी नाकामी नहीं है? क्या हमें अपनी सीमाओं पर बेहतर नियंत्रण नहीं रखना चाहिए?” उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि सरकार को ऐसे उल्लंघनों के खिलाफ कार्रवाई करने का पूरा अधिकार है। अगर कोई व्यक्ति अवैध रूप से देश में रह रहा है या वीजा की तय अवधि से अधिक समय तक ठहरा हुआ है, तो सरकार के पास उसे डिपोर्ट करने का कानूनी अधिकार है। थरूर के मुताबिक, ऐसे मामलों में सरकार को अपना काम करने दिया जाना चाहिए।

कानून के साथ मानवीय दृष्टिकोण भी जरूरी
हालांकि, थरूर ने केवल सख्ती पर ही जोर नहीं दिया, बल्कि मानवीय पहलू को भी उतना ही अहम बताया। उन्होंने कहा कि कानून का पालन जरूरी है, लेकिन खासकर संवेदनशील सीमा-पार मामलों में संतुलित और मानवीय दृष्टिकोण अपनाया जाना चाहिए। ऐसे मामलों में कई बार मानवीय और राजनीतिक दोनों पहलू जुड़े होते हैं, जिन्हें नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।

शेख हसीना को लेकर क्या बोले थरूर
कांग्रेस सांसद ने भारत सरकार द्वारा बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को भारत में रहने की अनुमति देने के फैसले का भी बचाव किया। उन्होंने इसे मानवीय मूल्यों पर आधारित निर्णय बताया। थरूर ने कहा कि भारत ने उन्हें जबरन वापस भेजने के बजाय “सही मानवीय भावना” के तहत काम किया है। साथ ही उन्होंने भारत और शेख हसीना के पुराने संबंधों का जिक्र करते हुए कहा कि वह लंबे समय तक भारत की भरोसेमंद मित्र रही हैं।

डिपोर्टेशन और प्रत्यर्पण पर सरकार का विवेक
शशि थरूर के अनुसार, डिपोर्टेशन या प्रत्यर्पण से जुड़े मामले बेहद जटिल कानूनी ढांचे के अंतर्गत आते हैं, जिनमें अंतरराष्ट्रीय संधियां और उनके अपवाद शामिल होते हैं। ऐसे मामलों में जल्दबाजी के बजाय सावधानीपूर्वक विचार किया जाना चाहिए। थरूर ने कहा कि इस तरह के फैसले सरकार के विवेक पर छोड़ देना ही बेहतर होता है, ताकि कानून और मानवीय मूल्यों के बीच संतुलन बना रहे।


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Content Editor

Shubham Anand

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