कश्मीर मुद्दे के समाधान के लिए भारत और पाक करें बातचीत : शाह फैसल

Tuesday, Feb 05, 2019 - 12:10 PM (IST)

 श्रीनगर :  पूर्व आईएएस अधिकारी शाह फैसल कहा कि भारत और पाकिस्तान को कश्मीर मुद्दे के समाधान के लिए बातचीत करनी चाहिए क्योंकि यह एक राजनीतिक समस्या है जो विकास पैकेजों से खत्म नहीं हो सकती है। भारतीय प्रशासनिक सेवा के पूर्व अधिकारी (आईएएस) शाह फैसल ने नौकरी छोडऩे के बाद अपनी पहली सार्वजनिक बैठक में भ्रष्टाचार के खिलाफ  और कश्मीरी लोगों के सम्मान के लिए लडऩे की कसम खाई। अपने गृह जिले कुपवाड़ा में फैसल की पहली सार्वजनिक उपस्थिति में शामिल होने के लिए हज़ारो लोग निकले। पिछले ही महीने सरकारी सेवा से इस्तीफा देने वाले फैसल यहां से करीब 100 किलोमीटर दूर अपने गृह जिले कुपवाड़ा में अपनी पहली जनसभा को संबोधित कर रहे थे। शाह फैसल ने कहा कि उनकी लड़ाई भ्रष्टाचार और कश्मीर के लोगों के सम्मान के लिए है।

2010 के भारतीय प्रशासनिक सेवा के टॉपर ने राजनीति से जुडऩे के लिए इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने कहा था कि आईएएस से उनका इस्तीफा कश्मीर में लगातार हो रही हत्याओं और केंद्र सरकार की विफलता के खिलाफ क श्मीर समस्या के समाधान के लिए एक छोटी सी पहल है। शुरू में यह माना गया था कि वह नेशनल कॉन्फ्रेंस में शामिल होंगे। फैसल ने कहा कि उन्होंने भ्रष्टाचारए पक्षपात और खराब शासन के खिलाफ  अपनी राजनीतिक लड़ाई लडऩे का फैसला किया है। गौरतलब है फैसल ने चंदा जुटाने का अभियान शुरू किया था परंतु आतंकियों की धमकी के बाद उसे बंद कर दिया। यूपीएससीसिविल सेवा परीक्षा के 2010 बैच के टॉपर ने कहा कि बदलाव के लिए यह लोगों का आंदोलन है। फैसल ने यह स्पष्ट किया था कि वह लोकसभा चुनाव लड़ सकते हैं। हालांकि वह अब तक किसी पार्टी में शामिल नहीं हुए हैं।

 

भिखारी नहीं है कश्मीर
उन्होंने कहा कि जब नेताओं से पूछा जाता है कि मुद्दा क्या है तो वे कहते हैं कि कश्मीर एक समस्या है। उसे कुछ मौद्रिक पैकेज दे दें। 2004 के पैकेज का कुछ हिस्सा अब तक भी खर्च किया जाना बाकी है। क्या हमें बस पैसे की जरूरत है? क्या कश्मीरी भिखारी है? उन्होंने कहा कि हम उन्हें बताना चाहते हैं कि कश्मीर एक राजनीतिक समस्या है। बातचीत की वकालत करते हुए फैसल ने कहा कि भारत और पाकिस्तान को मिल-बैठकर कश्मीर मुद्दे का समाधान करना चाहिए। उन्होंने कहा कि उन्हें पैसे फेंककर कश्मीरी लोगों की जिंदगी से नहीं खेलना चाहिए।

बनूंगा कश्मीर की आवाज

उन्होंने कहा कि पिछले कुछ सालों से कश्मीर की स्थिति ने उन्हें उन लोगों की आवाज बनने के लिए बाध्य किया जिनकी आवाज नहीं सुनी जाती है। उन्होंने कहा कि जब मैंने देश में विभिन्न अल्पसंख्यकों पर ढाये जा रहे अत्याचार के खिलाफ  अपनी आवाज उठायी तब पिछले कुछ सालों से कश्मीर की स्थिति ने मुझे अपनी आवाज बुलंद करने के लिए बाध्य किया। हमने देखा कि कुछ पीएचडी अध्येताओं को शहीद किया जा रहा है, शिक्षित युवकों के बारे में बात करने वाला कोई नहीं है।

आईएएस कार्यकाल जेल के बराबर
अपने आईएएस कार्यकाल को जेल करार देते हुए फैसल ने कहा कि मैं आपको ईमानदारीपूर्वक कहूं तो मैंने पिछले 10 साल जेल में गुजारे हैं। इन दस सालों में कई तरीकों से मैंने अपने लोगों की सेवा करने का प्रयास किया और सफल भी हुआ। लेकिन मैंने देखा कि इन दस सालों में वरिष्ठ सरकारी अधिकारी होने, दिल में आग जलने, अत्याचार और नाइंसाफी देखने के बावजूद मैं असहाय महसूस करता था।उन्होंने कहा कि मैं एक ऐसे मंच की तलाश में था जहां मैं कश्मीर के लोगों के लिए बात कर सकूं और उनकी बेहतरी के लिए काम भी कर सकूं। उन्होंने कहा कि नेता अपनी कुर्सी से चिपके हैं और पैसे बना रहे हैं जबकि कश्मीरी उनके राजनीतिक अधिकारों के लिए बलिदान दे रहे हैं। कोई इस तरफ मुडक़र नहीं देख रहा।

 

Monika Jamwal

Advertising