जग्गी ब्रदर्स पर गंभीर आरोप, इलेक्ट्रिक गाड़ियां खरीदने के लिए लिया कर्ज, फिर गलत कामों में किया इस्तेमाल
punjabkesari.in Thursday, Apr 17, 2025 - 03:59 PM (IST)

नेशनल डेस्क. ब्लूस्मार्ट मोबिलिटी और जेनसोल इंजीनियरिंग लिमिटेड के मालिक अनमोल सिंह जग्गी और पुनीत सिंह जग्गी पर गंभीर आरोप लगे हैं। आरोप है कि उन्होंने इलेक्ट्रिक गाड़ियां (EV) खरीदने के लिए लिए गए कर्ज़ के पैसे का गलत इस्तेमाल किया। कहा जा रहा है कि इस पैसे से उन्होंने गुरुग्राम के डीएलएफ कैमेलियास में एक महंगा फ्लैट खरीदा और अपने परिवार के खातों में बड़ी रकम ट्रांसफर की।
भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने इस मामले में कार्रवाई करते हुए अनमोल सिंह जग्गी को बड़ी जिम्मेदारी वाले पदों पर रहने और शेयर बाज़ार में कारोबार करने से रोक दिया है। यह कार्रवाई जेनसोल इंजीनियरिंग में पैसे की हेराफेरी और कामकाज में गड़बड़ी की शिकायतों के बाद की गई है।
कौन हैं अनमोल सिंह जग्गी?
अनमोल सिंह जग्गी अक्षय ऊर्जा और इलेक्ट्रिक वाहनों के क्षेत्र में एक जाने-माने उद्यमी हैं। उन्होंने देहरादून के पेट्रोलियम और ऊर्जा अध्ययन विश्वविद्यालय (UPES) से एप्लाइड पेट्रोलियम इंजीनियरिंग में बी.टेक की डिग्री हासिल की है। 2019 में उन्होंने ब्लूस्मार्ट मोबिलिटी की सह-स्थापना की, जिसे भारत का पहला पूरी तरह से इलेक्ट्रिक राइड-हेलिंग प्लेटफॉर्म बताया जाता है। उनके नेतृत्व में जेनसोल इंजीनियरिंग ने 15 गीगावाट से ज़्यादा अक्षय ऊर्जा परियोजनाओं को पूरा किया है और 4.5 गीगावाट के सौर ऊर्जा संचालन पोर्टफोलियो का प्रबंधन करती है।
अनमोल सिंह जग्गी पर सेबी के आरोप
सेबी की जाँच में पता चला कि जेनसोल इंजीनियरिंग ने IREDA और PFC से ₹9.78 अरब (लगभग $114 मिलियन) का कर्ज़ लिया था। आरोप है कि इस कर्ज़ का एक बड़ा हिस्सा ब्लूस्मार्ट के लिए इलेक्ट्रिक वाहन खरीदने की बजाय कहीं और इस्तेमाल किया गया। सेबी ने जग्गी और उनके भाई पुनीत सिंह जग्गी पर कंपनी के पैसों का गलत इस्तेमाल करने और जेनसोल के वित्त को निजी खर्चों के लिए "गुल्लक" की तरह इस्तेमाल करने का आरोप लगाया है।
नियामक के 29 पन्नों के अंतरिम आदेश में कहा गया है कि जो तथ्य सामने आए हैं, उनसे पता चलता है कि कंपनी के मालिक निदेशकों, अनमोल सिंह जग्गी और पुनीत सिंह जग्गी ने धोखाधड़ी करके पैसों का गलत इस्तेमाल किया और उन्हें कहीं और लगाया।" सेबी ने यह भी आरोप लगाया कि जेनसोल ने क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों, कर्जदाताओं और निवेशकों को नकली दस्तावेज़ देकर गुमराह करने की कोशिश की।
शानो-शौकत पर खर्च और वित्तीय कुप्रबंधन
खबरों के मुताबिक, हेराफेरी किए गए पैसों का इस्तेमाल निजी विलासिता की वस्तुओं को खरीदने में किया गया, जिसमें गुरुग्राम के डीएलएफ कैमेलियास में एक महंगा अपार्टमेंट, महंगे गोल्फ के उपकरण और यात्रा के खर्चे शामिल हैं। सेबी की जाँच में पाया गया कि ₹97 करोड़ एक ऐसी कंपनी को ट्रांसफर किए गए जिससे इनका संबंध था और फिर उस कंपनी ने ₹42.94 करोड़ डीएलएफ को अपार्टमेंट खरीदने के लिए भेजे।
सेबी की कार्रवाई के बाद जेनसोल इंजीनियरिंग के शेयर की कीमत में भारी गिरावट आई है और पिछले डेढ़ महीने में इसकी कीमत लगभग 80% तक गिर गई है। सेबी ने जेनसोल को अपने प्रस्तावित स्टॉक विभाजन को रोकने और अपने वित्तीय रिकॉर्ड की जाँच के लिए एक फॉरेंसिक ऑडिटर नियुक्त करने का भी निर्देश दिया है।