आज तमिलनाडु के सुलुर बेस पर 18वीं स्क्वाड्रन में शामिल होगा स्वदेशी फाइटर जेट तेजस

Tuesday, May 26, 2020 - 05:07 AM (IST)

नई दिल्लीः वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल आर के एस भदौरिया बुधवार को वायु सेना के 18 वें स्क्वाड्रन (फ्लाइंग बुलेट्स) का नए रूप में शुभारंभ करेंगे। इस स्क्वाड्रन को देश में ही बने तेजस लड़ाकू विमानों से लैस किया जाएगा। स्वदेशी हल्के लड़ाकू विमान तेजस से लैस होने वाला यह वायु सेना का दूसरा स्क्वाड्रन होगा। इन विमानों को अंतिम संचालन मंजूरी यानी एफओसी हासिल है और कोयम्बतूर के निकट सुलूर वायु सेना स्टेशन पर इन्हें 18 वें स्क्वाड्रन में शामिल किया जाएगा। 

1965 में बनी थी स्क्वाड्रन 
इस स्क्वाड्रन का गठन 15 अप्रैल 1965 में किया गया था और इसका ध्येय वाक्य ‘तीव्र और निर्भय) है। इससे पहले इस स्क्वाड्रन में मिग 27 विमान उडाये जा रहे थे। इस स्क्वाड्रन को गत एक अप्रैल को सुलूर में एक बार फिर से नया रूप दिया गया था। अठाहरवें स्क्वाड्रन ने पाकिस्तान के साथ 1971 की लड़ाई में सक्रिय रूप से हिस्सा लिया था और इसके जांबाज पायलट फ्लाइंग आफिसर निर्मलजीत सिंह शेखों को मरणोपरांत सर्वोच्च वीरता पुरस्कार परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया था।

मल्टी रडार से लैस है तेजस
स्क्वाड्रन को ‘कश्मीर के रक्षक ' के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि यह पहला स्क्वाड्रन था जिसके विमानों ने श्रीनगर से उडान भरी और वहां उतरे। उसे नवम्बर 2015 में राष्ट्रपति के स्टेन्डर्ड से भी सम्मानित किया गया था। तेजस चौथी पीढी का स्वदेशी विमान है जो फ्लाई बाई वायर उडान नियंत्रण प्रणाली, एकीकृत डिजिटल एवियोनिक्स और मल्टीमोट राडार से लैस है। यह चौथी पीढी के सुपरसोनिक लड़ाकू विमानों में सबसे हल्का और छोटा है।

40 तेजस विमानों को दिया है ऑर्डर
तेजस चौथी पीढ़ी का लड़ाकू विमान है जिसे एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट एजेंसी और हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) द्वारा विकसित किया गया है। भारतीय वायु सेना ने पहले ही 40 तेजस विमानों का ऑर्डर दिया है और जल्दी ही एचएएल को 83 और विमानों का आर्डर दिया जा सकता है जिसमें लगभग 38,000 करोड़ रुपये खर्च होंगे।

Yaspal

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