स्कूल प्रशासन ने 10 छात्राओं पर लगाया लेस्बियन होने का आरोप

Tuesday, Mar 13, 2018 - 09:34 PM (IST)

नेशनल डेस्कः पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता से एक घटना सामने आई है। जहां एक निजी स्कूल की संचालिका ने दस छात्राओं पर लेस्बियन होने का आरोप लगाया है। वहीं छात्राओं के परिजनों ने स्कूल में आकर इसका विरोध किया और स्कूल संचालिका से काफी बहसबाजी भी हुई। यह मामला दक्षिणी कोलकाता स्थित कमला गर्ल्स स्कूल का है। परिजनों का कहना है कि स्कूल प्रबंधन ने छात्राओं पर दवाब बनाकर लेस्बियन होने की बात कबूल करवाई है और लिखित में एक पत्र भी लिया गया है।

लिखित में कबूली बात
वहीं स्कूल संचालिका ने परिजनों के आरोंपो से इंकार करते हुए कहा कि कुछ छात्राओं ने आरोपी 10 छात्राओं के खिलाफ उनके व्यवहार को लेकर शिकायत की थी। इसके बाद प्रबंधन ने आरोपी छात्राओं को बुलाया और पूछताछ की, उन्होंने पूछताछ में यह बात कबूल कर ली, संचालिका का कहना है कि मामला संवेदनशील होने के कारण प्रबंधन ने उनसे लिखित में देने को कहा था।

स्कूल में परिजनों ने किया हंगामा
स्कूल संचालिका का कहना है कि मामला खुलने के बाद हमने छात्राओं के अभिभावकों को बात करने के लिए बुलाया था। स्कूल प्रबंधन का उद्देश्य यही था कि अभिभावकों से बात करके छात्राओं को सही राह पर लाया जा सके। लेकिन इस बात पर आरोपी छात्राओं के अभिभावक गुस्सा हो गए और स्कूल परिसर में हंगामा शुरू कर दिया। वहीं मामले पर परिजनों का कहना है कि स्कूल प्रशासन की ओर से गलत आरोप लगाकर उनके बच्चों का भविष्य खराब कर दिया है। 

हाथ में हाथ डालकर चलना लेस्बियन नहीं
परिजनों ने स्कूल प्रशासन के आरोपों को गलत और झूठा बताया है। एक अभिभावक का कहना है कि अगर दो  लोग हाथ में हाथ डालकर या कंधे पर हाथ रखकर चल रहे हैं, तो इसका मतलब यह नहीं कि दोनों लेस्बियन हैं। बता दें कि समलैंगिकता को अपराध ठहराने को लेकर बनी आईपीसी की धारा 377 अंग्रेजों के जमाने की है। इस धारा को साल 1861 में लागू किया गया था। वहीं समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी से बाहर करने को लेकर कई संगठन पिछले कई सालों से प्रयासरत हैं। सुप्रीम कोर्ट भी धारा 377 की कानूनी वैधता को लेकर फिर से सुनवाई के लिए तैयार हो गया है। फिलहाल मामले की जांच चल रही है।

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