कश्मीरी पंडितों के साथ हुई हिंसा पर SC का जांच से इंकार, कहा- अब सबूत कहां से आएंगे

Monday, Jul 24, 2017 - 01:37 PM (IST)

नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने घाटी में 1989-90 में कश्मीरी पंडितों पर हुए जुल्मों को लेकर अलगाववादियों पर केस चलाने की मांग करने वाली याचिका खारिज कर दी है। इस याचिका में 700 से अधिक कश्मीरी पंडितों की हत्या समेत अन्य अपराधों के लिए अलगाववादी नेता यासीन मलिक समेत विभिन्न लोगों के खिलाफ जांच करने और उन पर मुकद्दमा चलाने का अनुरोध किया गया था।

केस की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि इस मामले को 27 साल हो चुके हैं और ऐसे में सबूत कहां से आएंगे? प्रधान न्यायाधीश जे.एस. खेहर और न्यायमूर्ति डी.वाई. चंद्रचूड़ की पीठ ने कहा कि इतने सालों बाद हत्या, आगजनी एवं लूटपाट के उन मामलों में सबूत इकट्ठा करना बहुत मुश्किल होगा जिनके कारण घाटी से कश्मीरी पंडितों का बड़े पैमाने पर पलायन हुआ था। पीठ ने याचिकाकर्त्ता से कहा कि आप पिछले 27 सालों तक बैठे रहे, अब हमें बताइए कि एविडेंस कहां से आएंगे?'

रूट्स ऑफ कश्मीर’ संगठन की ओर से पेश हुए वकील विकास पडोरा ने कहा कि कश्मीरी पंडितों को घाटी से अपने घर छोड़कर जाना पड़ा और वे जांच में शामिल नहीं हो सके। उन्होंने कहा कि देरी हुई लेकिन न तो केंद्र, न राज्य सरकार और न ही न्यायपालिका ने जरूरी कार्रवाई करने की तरफ पूरा ध्यान दिया। संगठन ने आरोप लगाया कि कश्मीरी पंडितों की हत्या के संबंध में 215 प्राथमिकियां दर्ज की गईं और एक भी मामला सही नतीजे पर नहीं पहुंचा। बता दें कि कश्मीरी पंडितों को आतंकवाद के चरम पर होने के दौरान धमकियों और हमलों की बढ़ती घटनाओं के मद्देनजर 1990 के दशक की शुरूआत में घाटी से पलायन करना पड़ा था।

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