सेक्शन 377 पर सुप्रीम कोर्ट के 5 जज करेंगे फैसला

Tuesday, Feb 02, 2016 - 04:13 PM (IST)

नई दिल्ली: भारतीय दंड संहिता की धारा 377 के तहत स्वेच्छा से दो वयस्कों के बीच समलैंगिक यौन संबंध स्थापित करने को अपराध की श्रेणी में रखने संबंधी शीर्ष अदालत के फैसले पर फिर से गौर करने के लिए दायर सुधारात्मक याचिका उच्चतम न्यायालय ने आज पांच सदस्यीय संविधान पीठ को सौंप दी।  

प्रधान न्यायाधीश तीरथ सिंह ठाकुर, न्यायमूर्ति ए आर दवे और न्यायमूर्ति जे एस खेहड़ की तीन सदस्यीय पीठ ने कहा कि चूंकि इस मामले में संविधान से संबंधित महत्वपूर्ण मुद्दे शामिल हैं, इसलिए बेहतर होगा कि इसे पांच सदस्यीय संविधान पीठ को सौंप दिया जाए। पीठ ने कहा कि पांच न्यायाधीशों की पीठ भविष्य में गठित की जायेगी।  

पीठ को बताया गया कि शीर्ष अदालत के 11 दिसंबर, 2013 के फैसले और पुनर्विचार याचिका पर फिर से गौर करने के लिए आठ सुधारात्मक याचिकायें दायर की गई हैं। इस फैसले में ही न्यायालय ने भारतीय दंड सहिता की धारा 377 के तहत (अप्राकृतिक यौन अपराध) को अपराध की श्रेणी से बाहर करने संबंधी दिल्ली उच्च न्यायालय का निर्णय निरस्त कर दिया था। पीठ को सूचित किया गया कि चर्चेज आफ नार्दन इंडिया और आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी से बाहर रखने के खिलाफ हैं। 

Advertising