IT एक्ट 66ए पर बोला SC- ये जारी नहीं रह सकता, केंद्र-राज्यों और सभी हाईकोर्ट को नोटिस

Monday, Aug 02, 2021 - 01:43 PM (IST)

नेशनल डेस्क: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को एक गैर सरकारी संगठन की उस याचिका पर राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों और सभी हाईकोर्ट को नोटिस जारी किए जिसमें कहा गया कि सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की रद्द हो चुकी धारा 66ए के तहत अब भी लोगों के खिलाफ मामले दर्ज किए जा रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट कहा कि ऐसे नहीं चलेगा, यह जारी नहीं रह सकता। सुप्रीम कोर्ट ने 2015 में एक फैसले में इस धारा को रद्द कर दिया था लेकिन अब भी कई राज्यों में इसके तहत मुकद्दमे दर्ज किए जा रहे हैं जिस पर शीर्ष अदालत ने आपत्ति जताई है।

 

जस्टिस आरएफ नरीमन और जस्टिस बीआर गवई की पीठ ने कहा कि चूंकि पुलिस राज्य का विषय है, इसलिए यह बेहतर होगा कि सभी राज्य सरकारों और केंद्र शासित क्षेत्रों को पक्षकार बनाया जाए तथा हम एक समग्र आदेश जारी कर सकते हैं जिससे यह मामला हमेशा के लिये सुलझ जाए। गैर सरकारी संगठन (NGO) पीयूसीएल की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता संजय पारिख ने कहा कि इस मामले में दो पहलू हैं, पहला पुलिस और दूसरा न्यायपालिका जहां अब भी ऐसे मामलों पर सुनवाई हो रही है। पीठ ने कहा कि जहां तक न्यायपालिका का सवाल है तो उसका ध्यान रखा जा सकता है और हम सभी हाईकोर्ट को नोटिस जारी करेंगे।

 

शीर्ष अदालत ने इस मामले में सुनवाई की अगली तारीख चार हफ्ते बाद तय की है। सुप्रीम कोर्ट ने 5 जुलाई को इस बात पर हैरानी और स्तब्धता जाहिर की थी कि लोगों के खिलाफ सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 66ए के तहत अब भी मुकद्दमे दर्ज हो रहे हैं जबकि शीर्ष अदालत ने 2015 में ही इस धारा को अपने फैसले के तहत रद्द कर दिया था। सूचना प्रौद्योगिकी कानून की निरस्त की जा चुकी धारा 66ए के तहत भड़काऊ पोस्ट करने पर किसी व्यक्ति को तीन साल तक कैद और जुर्माने की सजा का प्रावधान था।

Seema Sharma

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