SC ने गूगल,फेसबुक, याहू और वाट्सएप पर किया एक लाख रुपए का जुर्माना
Monday, May 21, 2018 - 07:28 PM (IST)
नेशनल डेस्क: सोशल मीडिया पर यौन अपराधों से जुड़े वीडियो को ब्लॉक करने के लिये उठाए गए कदमों पर जवाब दायर करने में विफल रहने पर उच्चतम न्यायालय ने गूगल और फेसबुक जैसी दिग्गज इंटरनेट कंपनियों पर एक-एक लाख रुपए का जुर्माना लगाया है। न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर और यू यू ललित की एक पीठ ने कहा कि याहू, फेसबुक आयरलैंड, फेसबुक इंडिया, गूगल इंडिया, गूगल इंक, माइक्रोसॉफ्ट और वाट्सएप ने न्ययालय के स्पष्ट आदेश के बावजूद इस मामले में हुई प्रगति के बारे में कोई दस्तावेज जमा नहीं किए।
न्यायालय ने उन्हें 15 जून तक हलफनामा दायर कर यह बताने का निर्देश दिया है कि उन्होंने ऐसे वीडियो को रोकने के लिये क्या कदम उठाए और रजिस्ट्री से कहा कि वह रकम को अल्प अवधि के लिये फिक्स डिपॉजिट कर दें। न्यायालय ने कहा कि 16 अप्रैल के अपने आदेश में हमनें अपने समक्ष उपस्थित पक्षों याहू, फेसबुक आयरलैंड, फेसबुक इंडिया, गूगल इंडिया, गूगल इंक, माइक्रोसॉफ्ट और वाट्सएप से पूछा था कि वे समिति की रिपोर्ट में की गई सिफारिशों को स्वीकार करने के बाद उनके अनुपालन में हुई प्रगति की स्थिति से हमें अवगत कराएं।
पीठ ने कहा कि इनमें से किसी भी संस्था ने मामले में हुई प्रगति से हमें अवगत कराने के लिये कुछ भी दायर नहीं किया और न ही इन संस्थाओं के पास उसके पूर्ववर्ती आदेश के अनुपालन में कोई जवाब ही तैयार था। केंद्र ने न्यायालय को बताया कि ऑनलाइन साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल का बीटा वर्जन लॉन्च किया गया है और इसे 15 जुलाई को या इससे पहले ही अंतिम रूप दे दिया जाएगा। पीठ ने कहा कि पोर्टल इंटीग्रेशन विद् क्राइम एंड क्रिमिनल ट्रैकिंग नेटवर्क एंड सिस्टम्स के संदर्भ में यह कहा गया कि इसमें करीब दो माह का समय लगने की उम्मीद है और गृह मंत्रालय इस मामले में राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से समन्वय कर रहा है।
पीठ ने कहा कि केंद्रीय स्तर पर संस्थागत तंत्र के संदर्भ में यह कहा गया कि राज्यों और इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय और अन्य मंत्रालयों के बीच इस संबंध में कुछ बातचीत हो रही है। यह भी कहा गया कि यह सभी गतिविधियां 15 जुलाई 2018 या उससे पहले पूरी हो जाएंगी। पीठ ने कहा कि गृह मंत्रालय द्वारा इन कामों को पूरा करने के लिये पर्याप्त से ज्यादा समय लिया गया है और उसे 30 जून तक इस कवायद को पूरा करना होगा। हैदराबाद स्थित गैर सरकारी संगठन प्रज्वला ने 2015 में तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश एच एल दत्तू को एक खत भेजा था और इसके साथ एक पेन ड्राइव में दुष्कर्म के दो वीडियो भेजे थे। इसके बाद न्यायालय ने इस खत पर स्वत: संज्ञान लिया था और सीबीआई से दोषियों को पकडऩे के लिये जांच शुरू करने को कहा। इसी मामले पर न्यायलय सुनवाई कर रहा है।