गुमशुदा लड़कियों के बारे में पुलिस को अपनी मानसकिता बदलने की जरूरत: न्यायालय

Monday, Jul 16, 2018 - 11:04 AM (IST)

मुंबई: पिछले साल ठाणे जिले में गुमशुदा एक लड़की का पता लगाने में पुलिस की नाकामी को गंभीरता से लेते हुए बंबई उच्च न्यायालय ने कहा है कि पुलिस को अपनी मानसिकता बदलने का यह उचित समय है। न्यायमूर्ति एससी धर्माधिकारी औरन्यायमूर्ति भारती डांगरे की सदस्यता वाली एक पीठ ने 10 जुलाई को जारी अपने आदेश में पुलिस अधिकारियों से कहा कि उन्हें यह मानना बंद कर देना चाहिए कि किसी नाबालिग लड़की की गुमशुदगी का हर मामला उसके अपने प्रेमी के साथ भागने का है, जैसा कि फिल्मों में चित्रित किया जाता है। पीठ ने कहा कि अदालत पुलिस की मौजूदा मानसिकता से नाखुश है। जांच टीमों और उच्चतम ओहदे पर नियुक्त अधिकारियों को हर मामले को ऐसा नहीं मानना चाहिए।  

अदालत ने कहा कि अधिकारियों को यह नहीं भूलना चाहिए कि ये जीवन की वास्तविक घटनाएं हैं और ऐसे भी लोग हैं जो अपने बच्चों की गुमशुदगी की पीड़ा सह रहे हैं और गुमशुदा बच्चे भी कष्ट झेल रहे हैं। अदालत ने कहा, ‘‘ यह उचित समय है कि उनकी (पुलिस की) मानसिकता में बदलाव लाया जाए।’’ एक लड़की के पिता की एक रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए अदालत ने यह टिप्पणी की। उन्होंने इस साल की शुरूआत में यह याचिका दायर कर अपनी बेटी की तलाश के कार्य को तेज करने के लिए पुलिस को निर्देश देने की मांग की थी। अदालत के पिछले निर्देशों के अनुपालन में अतिरिक्त सरकारी वकील जेपी याज्ञनिक ने दलील दी कि अब तक की गई जांच के मुताबिक नाबालिग लड़की अपने स्कूल के एक लड़के के बहकाने पर घर छोड़ कर भाग गई थी। 

वहीं, पीठ ने कहा कि यह मामला एक नाबालिग लड़की के कथित अपहरण और उसे उसके माता पिता के संरक्षण से दूर करने का है। बहरहाल, अदालत ने पुलिस को एक ताजा स्थिति रिपोर्ट सौंपने के लिए दो हफ्ते का और समय दिया और कहा कि उसे उम्मीद है कि अधिकारियों की सोच में कुछ सकारात्मक बदलाव आएगा।      

Anil dev

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