ऑफ द रिकॉर्डः राम माधव का ‘बोरिया-बिस्तर’ बंधवाने वाले सरमा असम के मुख्यमंत्री की कुर्सी के करीब

Sunday, Mar 28, 2021 - 03:41 AM (IST)

नई दिल्लीः यह ऐसी दुर्लभ घटना थी जो संघ परिवार में पहले कभी नहीं देखी गई। 2015 में कांग्रेस से एक नेता भाजपा में शामिल हुए थे। उन्हें बहुत कम लोग जानते-पहचानते थे परंतु उन्होंने भाजपा के एक अत्यंत शक्तिशाली महासचिव का बोरिया-बिस्तर बंधवा दिया था। यह शक्तिशाली महासचिव थे राम माधव। राम माधव अंतत: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में वापस बुला लिए गए हैं।

राम माधव, सबको याद ही होगा, एक नामी संघ प्रचारक हैं जो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विदेश मामलों को तब देखते थे जब वह गुजरात के मुख्यमंत्री थे। बाद में राम माधव को भाजपा का महासचिव पद दे दिया गया। इतनी ऊंचाई पर पहुंचे राम माधव यह नहीं समझ पाए कि उनके रास्ते में कौन आ गया जिसने उन्हें पटरी से उतार दिया। राम माधव का उत्तर-पूर्व व जम्मू-कश्मीर में पूरा जलवा था तथा उनका कहा शब्द कानून माना जाता था। अचानक उनका सामना असम के मंत्री हेमंत बिस्व सरमा से हो गया और वह मुश्किलों से घिरने लगे।

माधव को शायद यह पता ही नहीं था कि सरमा अमित शाह के संकटमोचन हैं और इस अज्ञानता के लिए उन्हें भारी कीमत चुकानी पड़ी। राम माधव से पहले उत्तर-पूर्व की जिम्मेदारी छीनी गई और फिर उन्हें महासचिव पद से भी चलता किया गया। उसके बाद उन्हें वापस संघ में भेज दिया गया। विगत में कई संघ प्रचारकों को भाजपा में जिम्मेदारियों से मुक्त किया गया परंतु जिस तरह राम माधव को वापस लौटाया गया, वैसा किसी के साथ नहीं हुआ।

संघ में भी अभी तक राम माधव के लिए ऐसी कोई उपयुक्त जिम्मेदारी नहीं मिल पा रही है जो इस बड़े प्रचारक को सौंपी जा सके। भाजपा के अंदर के लोग कहते हैं कि माधव-सरमा टकराव में जो कुछ दिख रहा है, उससे भी ज्यादा कुछ और है। अब यह साफ होता जा रहा है कि यदि भाजपा असम में दोबारा सत्ता में आती है तो मुख्यमंत्री की कुर्सी सरमा को मिलेगी।

2015 में कांग्रेस नेता राहुल गांधी से अप्रिय बैठक के बाद सरमा भाजपा में शामिल हुए थे। उस बैठक में राहुल ने सरमा को बिना लाग-लपेट के कहा था-‘आप कांग्रेस में रहकर ही असम के मुख्यमंत्री बन सकते हैं। भाजपा एक दलबदलू को कभी मुख्यमंत्री नहीं बनाएगी’। इसके बावजूद सरमा ने कांग्रेस के हाथ को छोड़कर भाजपा का कमल थामने का फैसला किया और आज वह भावी मुख्यमंत्री समझे जा रहे हैं।

Pardeep

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