संतों ने सरकार को अल्टीमेटम, राममंदिर के लिए बनाए कानून या लाए अध्यादेश
Sunday, Nov 04, 2018 - 09:46 PM (IST)
नई दिल्लीः देशभर से आए तीन हजार से अधिक साधु संतों ने केन्द्र एवं उत्तर प्रदेश सरकारों को आज ‘धर्मादेश’ दिया कि वह कानून अथवा अध्यादेश या किसी अन्य माध्यम से अयोध्या में श्री रामजन्मभूमि पर भव्य राममंदिर का निर्माण का मार्ग प्रशस्त करे। अखिल भारतीय संत समिति के यहां तालकटोरा स्टेडियम में आयोजित दो दिवसीय ‘धर्मादेश संत महासम्मेलन’ के समापन अवसर पर समिति के अध्यक्ष जगद्रू रामानंदाचार्य हंसदेवाचार्य ने धर्मादेश पढ़ कर सुनाया।
समिति के राष्ट्रीय महामंत्री स्वामी जीतेन्द्रानंद सरस्वती ने कहा, राममंदिर के लिए सरकार कानून लाए या अध्यादेश, यही है संतों का धर्मादेश। उन्होंने कहा कि सरकार चाहे तो उच्चतम न्यायालय से अनुरोध कर सकती है कि राममंदिर को लेकर जनभावनाएं उद्वेलित हैं और कानून व्यवस्था बिगड़ सकती है इसलिए इस मामले की सुनवाई जल्द आरंभ कर दे। उन्होंने यह भी कहा कि उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश चेल्मेश्वर ने स्पष्ट कर दिया है कि अदालत में विचाराधीन मामलों पर भी सरकार अध्यादेश ला सकती है और कानून बना सकती है। उन्होंने कहा कि सरकार का काम व्यवस्थाएं एवं कानून बनाना है और न्यायालय का कार्य कानून की व्याख्या करना है। सरकार जो भी उचित समझे, उसे करें जिससे राममंदिर का मार्ग हर हाल में प्रशस्त हो।
स्वामी जीतेन्द्रानंद सरस्वती ने कहा कि लोकतंत्र में जनमत के आधार पर फैसले लिए जाते हैं। इसलिए संत देश में जनमत बनाने का काम करेंगे। जनमत बनाने के लिए इस माह 25 नवंबर को अयोध्या, नागपुर और बेंगलुरु में संतों की विशाल धर्मसभाएं आयोजित की जाएंगी तथा इसके पश्चात 500 जिलों में बड़ी बड़ी सभाएं की जाएंगी। तत्पश्चात 9 दिसंबर को नई दिल्ली में विशाल धर्मसभा होगी जिसमें दस लाख से अधिक लोगों के आने की संभावना है। 18 दिसंबर को गीता जयंती से एक सप्ताह तक अपनी अपनी उपासना पद्धति से धार्मिक अनुष्ठान करने को भी कहा गया है।
मोदी सरकार के बारे में संतों की राय सामने रखते हुए उन्होंने कहा कि कोई भी सरकार जनता के प्रति उत्तरदायी होती है। संतों का मानना है कि इस सरकार ने कई अच्छे काम किए हैं। पर राममंदिर के मामले में अगर मगर का कोई स्थान नहीं है। हम सब इसी जन्म में, इसी संसदीय कार्यकाल में मंदिर देखना चाहते हैं। शीतकालीन सत्र में गंगा के बारे में एक विधेयक आने वाला है। हमें लगता है कि गोहत्या बंदी का भी कानून आना चाहिए। विपक्षी दलों से अपेक्षा के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि ऐसे दलों पर संतों को कोई भरोसा नहीं है जिन्होंने अपने शासनकाल में उनपर आतंकवादी होने का तमगा लगा दिया था।