10 साल पहले अलॉट हुई संजय कालोनी नहीं तोड़ रहा प्रशासन

Thursday, Nov 10, 2016 - 09:28 AM (IST)

चंडीगढ़(आशीष) : शहर एक और कानून एक लेकिन प्रशासन दो कालोनियों को लेकर भेदभाव कर रहा है। क्योंकि प्रशासन व हाऊसिंग बोर्ड ने संजय कालोनी के लोगों को 10 साल पहले सैक्टर-49 में मकान अलॉट किए थे। प्रशासन ने न तो पुनर्वास कालोनी को तोड़ा और न ही उनको नोटिस दिया। कालोनी नंबर-4 को प्रशासन ने 6 माह पहले मौलीजागरां पार्ट-2 में मकान अलॉट किए हैं। मौलीजागरां पार्ट-2 में रहने वाले लोग मकानों के कार्य पूरा करने में लगे हुए हैं।

 

प्रशासन ने कालोनी नं.-4 को तोडऩे का नोटिस भेज दिया है। जबकि वहीं नेताओं के मकान अलॉट हो चुके हैं। इन नेताओं की झुग्गियां तोडऩे के लिए प्रशासन ने कोई नोटिस नहीं दिया है। ऐसे में सवाल उठता है कि प्रशासन ने आम जनता को क्यों परेशान कर रहा है। वही प्रशासन ने कालोनी नंबर-4 में जो चार ब्लॉक उठाए हैं उनमें भी 100 लोगों के पास प्रूफ होने के बाद भी प्रशासन ने मकान अलॉट नहीं किए। उन लोगों को डर है वह सर्दी में कहा जाएंगे।   

 

नोटिस भी नहीं भेजा :
प्रशासन ने संजय लेबर कालोनी को 2006 में अलॉट कर दिया था। लोगों ने सैक्टर-49 में रहना शुरू कर दिया। इसके बाद प्रशासन ने संजय लेबर कालोनी को अभी तक नहीं तोड़ा। न ही प्रशासन व हाऊसिंग बोर्ड ने कोई नोटिस भेजा। लोगों ने 250 झुग्गियों को किराए पर दे रखा है। वहीं लगता है कि प्रशासन व हाऊसिंग बोर्ड राजनीतिक पाॢटयों के दबाव के चलते कोई कार्रवाई नहीं कर रहा। वहीं कालोनी नंबर-4 में प्रशासन व हाऊसिंग बोर्ड की ओर से 6 माह पहले ही अलॉट किया है। कुछ लोग शिफ्ट भी हो गए हैं लेकिन जिन लोगों के पास सभी प्रूफ हैं इसके बाद भी उनको मकान नहीं मिला। लोगों को भी प्रशासन ने झुग्गी गिराने का नोटिस भेज दिया है। 

 

प्रशासन नहीं कर रहा खाली जमीनों की घेराबंदी :
प्रशासन ने कालोनी नंबर 4 में जिन लोगों को मकान अलॉट किए हैं उनमें अधिक्तर लोग अपनी झुग्गी गिरा कर जा चुके हैं। प्रशासन ने उन खाली जगह पर घेराबंदी नहीं की। जिस कारण कुछ लोगों ने उन जगह पर फिर से मकान बना लिए। प्रशासन ने इन पर कार्रवाई की बजाय जो लोग छोड़ कर जा चुके हैं उन लोगों को नोटिस भेज  तंग कर रहा है। लोगों का कहना है कि कालोनी के कई नेता हैं जिन को प्रशासन ने कोई नोटिस नहीं भेजा और कालोनी के नेताओं के 3 मकान किराए पर हैं। इन लोगों के खिलाफ प्रशासन कार्रवाई नहीं कर रहा है। 

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