संचार साथी या हमारे निजता पर हमला? इस एप से विपक्ष में क्यों मचा बवाल, सरकार ने दी सफाई

punjabkesari.in Tuesday, Dec 02, 2025 - 01:59 PM (IST)

नेशनल डेस्क : ‘ये पेगासस प्लस प्लस है। बिग ब्रदर हमारे फोन में घुस जाएगा और हमारी पूरी निजी जिंदगी में ताक-झांक करेगा।’ यह बयान कांग्रेस सांसद कार्ति चिदंबरम ने दिया है। वहीं कांग्रेस महासचिव और सांसद केसी वेणुगोपाल ने भी तीखे तेवर दिखाते हुए एक्स पर लिखा “बिग ब्रदर हम पर नजर नहीं रख सकता।

टेलिकॉम मंत्रालय का यह डायरेक्शन पूरी तरह गैर-कानूनी है। प्राइवेसी का अधिकार संविधान के आर्टिकल 21 के जीवन और आज़ादी के बुनियादी अधिकार का आवश्यक हिस्सा है।” कांग्रेस नेताओं की यह कड़ी आपत्ति केंद्र सरकार के उस आदेश के खिलाफ है जिसमें मोबाइल फोन बनाने वाली कंपनियों को सभी नए स्मार्टफोन्स में ‘संचार साथी’ ऐप अनिवार्य रूप से प्री-इंस्टॉल करने का निर्देश दिया गया है।

सरकार का नया निर्देश क्या कहता है?
भारत सरकार के दूरसंचार विभाग (DoT) ने मोबाइल मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों को निर्देश दिया है कि अब से जारी होने वाले सभी नए स्मार्टफोन्स के अंदर ‘संचार साथी’ ऐप अनिवार्य रूप से प्री-इंस्टॉल होना चाहिए। सरकार का दावा है कि यह कदम साइबर ठगी रोकने, चोरी के मोबाइल खोजने, फेक सिम कार्ड नियंत्रित करने और फर्जी IMEI की समस्या पर लगाम लगाने के लिए उठाया गया है।

क्या है संचार साथी ऐप?
संचार साथी भारत सरकार के दूरसंचार विभाग द्वारा विकसित एक आधिकारिक और मुफ्त एप्लिकेशन है। इसे 2023 में वेब पोर्टल के रूप में लॉन्च किया गया था, जबकि 17 जनवरी 2025 को इसे एंड्रॉयड और iOS दोनों प्लेटफॉर्म पर ऐप के रूप में पेश किया गया। आज इसके 5 करोड़ से ज्यादा डाउनलोड हैं।

DoT ने 1 दिसंबर 2025 को जारी निर्देश में कहा कि मार्च 2026 से सभी नए स्मार्टफोन्स में यह ऐप प्री-इंस्टॉल होगा। पुराने फोनों में इसे सॉफ्टवेयर अपडेट के जरिए जोड़ा जाएगा। ऐप को अनइंस्टॉल या डिसेबल नहीं किया जा सकेगा। विभाग ने यह दावा भी किया है कि अक्टूबर 2025 में इसी ऐप की मदद से 50,000 से ज्यादा चोरी हुए फोन रिकवर किए गए।

विपक्ष की चिंता: “यह निजता पर हमला, जासूसी की तैयारी” सरकार की नीयत और DoT के दावों के बावजूद विपक्ष इसे सीधा-सीधा निजता का उल्लंघन, नागरिक अधिकारों का हनन और संभावित जासूसी का खतरा मानता है।

पेगासस से तुलना क्यों?
कांग्रेस सांसद कार्ति चिदंबरम ने इस ऐप को पेगासस से भी खतरनाक बताते हुए इसे ‘पेगासस प्लस प्लस’ कहा। पेगासस इजरायल की NSO Group द्वारा विकसित एक शक्तिशाली जासूसी सॉफ्टवेयर है, जो बिना किसी क्लिक या ऐप डाउनलोड के फोन में घुसकर कैमरा, माइक्रोफोन, लोकेशन, मैसेज, ईमेल सब रिकॉर्ड कर सकता है। यह व्हाट्सएप, टेलीग्राम, सिग्नल जैसे सुरक्षित ऐप्स को भी तोड़ सकता है।

कांग्रेस नेता केसी वेणुगोपाल ने सरकार पर सीधा आरोप लगाते हुए कहा कि “लोगों की मदद के बहाने बीजेपी सरकार लोगों की निजता पर हमला कर रही है। भारत में पेगासस का अनुभव हम देख चुके हैं। सरकार नागरिकों की निगरानी करना चाह रही है।” सीपीएम सांसद जॉन ब्रिटस ने कटाक्ष करते हुए कहा कि अगर संचार साथी ऐप इतना जरूरी है तो जिनके फोन में यह इंस्टॉल न हो, उन्हें वोटर लिस्ट से ही हटा देना चाहिए। उन्होंने कहा कि पेगासस बहुत महंगा है और Apple वैसे भी लगातार चेतावनी संदेश भेजता रहता है।

कांग्रेस नेता रेणुका चौधरी ने कहा “वे पेगासस लाए और उसे कंट्रोल में भी नहीं रख पाए। MPs और MLAs कहते हैं कि उनके फोन टैप किए जा रहे हैं। पिछले 11 साल से भारतीयों के बुनियादी अधिकार छीने जा रहे हैं। यही राष्ट्रीय सुरक्षा का असली उल्लंघन है।”

सरकार क्या दी सफाई?
केंद्रीय दूरसंचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने जासूसी के सभी आरोप खारिज कर दिए। उन्होंने कहा—

ऐप किसी भी प्रकार की जासूसी नहीं करता।

यह कॉल मॉनिटरिंग का टूल नहीं है।

उपयोगकर्ता चाहें तो इसे एक्टिवेट न करें।

ऐप को डिलीट करना संभव है, इसे अनिवार्य नहीं किया गया है।

उन्होंने कहा कि यह ऐप लोगों को साइबर फ्रॉड से बचाने के लिए है, न कि उनकी निगरानी के लिए।

शशि थरूर का संतुलित रुख
कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने इस ऐप के फायदे तो स्वीकार किए, लेकिन इसे अनिवार्य बनाए जाने पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा “कॉमन सेंस बताता है कि ये ऐप्स उपयोगी हो सकते हैं, बशर्ते ये स्वैच्छिक हों। लोकतंत्र में किसी चीज़ को अनिवार्य बनाना चिंताजनक है। सरकार को आदेश जारी करने के बजाय जनता के सामने इसका कारण स्पष्ट करना चाहिए।”

क्या संचार साथी नया पेगासस है?
यह विवाद इसलिए उठ रहा है, क्योंकि यह ऐप अनिवार्य होगा और यूज़र इसे न डिलीट कर सकते हैं, न डिसेबल। इससे सवाल उठता है क्या यह ऐप पेगासस की तरह फोन यूज़र्स पर नजर रख सकता है? इसका जवाब हाँ भी और नहीं भी। पेगासस गुप्त रूप से फोन में घुस जाता है, जबकि संचार साथी दृश्य रूप से मौजूद ऐप है जिसे उपयोगकर्ता देख सकते हैं।

लेकिन चिंता यह है कि ऐप इंस्टॉल करते समय यह कई संवेदनशील परमिशन मांगता है कैमरा एक्सेस, कॉल और मैसेज मॉनिटरिंग, लोकेशन ट्रैकिंग, नेटवर्क स्टेट, डिवाइस जानकारी इन परमिशन का उद्देश्य फोन ट्रैकिंग और सुरक्षा सुविधाएँ देना हो सकता है, लेकिन गलत हाथों में वही फीचर प्राइवेसी के लिए गंभीर खतरा बन सकता है।


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Content Editor

Shubham Anand

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