नेकी को सलाम- बाइक के लिए जमा किए पैसों से खरीदा सैनेटाइजर, घर-घर जाकर किया छिड़काव

Saturday, Jun 13, 2020 - 12:14 PM (IST)

नेशनल डेस्कः कोरोना संकट के बीच जिस किसी से जितना हो रहा है वो लोगों की मदद कर रहे हैं। कोई किसी को राशन दे रहा है तो कोई जरूरत की अन्य चीजें बांट रहा है। पंक्चर बनाने की छोटी सी दुकान चलाने वाले शख्स ने भी कुछ ऐसा किया कि हर कोई उसकी नेकी के गुणगान कर रहा है। भोपाल में पंक्चर की छोटी सी दुकान चलाने वाले 33 साल के विजय अय्यर कोरोना वायरस के दौरान सेवा करने के अपने उत्साह के चलते शहर में एक कोरोना योद्धा के तौर पर लोकप्रिय हो गए हैं। दरअसल, उन्होंने सालभर में जो कमाया और बचाया था, वह पिछले ढाई महीने से शहर के कंटेनमेंट जोन में सोडियम हाइपोक्लोराइड के छिड़काव (सैनेटाइजेशन) में खर्च कर दिया।

 

विजय जो एक बेहतर इलेक्ट्रीशियन भी है, रोज केमिकल स्प्रे मशीन की टैंक को पीठ पर लादकर बाइक पर निकल जाता है अपने मिशन पर। शहर के संक्रमण प्रभावित इलाकों में घर-घर जाकर निशुल्क छिड़काव करने में वह अपना पूरा दिन लगा देता है। पिछले ढाई महीने से यही उनकी दिनचर्या बन गई है। शहर के टीला जमालपुरा इलाके में रहने वाले विजय ने कहा कि मैं अपने पिता और दादाजी की तरह सेना में जाना चाहता था लेकिन मेरी मां इसके खिलाफ थीं। मैं उनकी अकेली संतान था। इसके बाद मैंने कुछ समय तक सामाजिक कार्य किए लेकिन कोरोना के दौरान मैंने अपने छोटे से प्रयास से इस महामारी से लड़ने का प्रयास किया है।विजय ने कहा कि लॉकडाउन के कारण मेरे घर से लगी मेरी दुकान 24 मार्च से बंद हो गई। मैंने सोशल मीडिया की सहातया ली और लोगों को बताया कि मैं सैनेटाइजेशन का कार्य मुफ्त में करने के लिए उपलब्ध हूं। इसके बाद मुझे शहर के कोने-कोने से लोग इस काम के लिए बुलाने लगे।

 

अपने बुजुर्ग माता-पिता की देखभाल करने वाले विजय ने बताया, ‘‘मैंने नई मोटरसाइकिल खरीदने के लिए 70 हजार रुपए बचाए थे, लेकिन मैं बाइक नहीं खरीद सका और कोरोना फैलने के बाद मैंने अपना अधिकांश पैसा दो स्प्रे मशीन, पीपीई किट, सैनिटाइज करने के लिए केमिकल आदि सामान खरीदने में लगा दिया। मेरे आसपास के लोग काफी मददगार हैं। उन्होंने मुझे इस कार्य के लिए अपना दो पहिया वाहन भी दिया।’’ विजय ने लॉकडाउन खुलने के बाद दो दिन पहले ही अपनी पंक्चर की दुकान दोबारा खोली है। विजय ने बताया कि फोन आने पर वह अब भी अपने इस सामाजिक कार्य के लिये जाते हैं। उन्होंने बताया, ‘‘दुकान खुलने के बाद भी फिलहाल ग्राहक ज्यादा नहीं आ रहे हैं इसलिए मैं सैनेटाइजेशन के कार्य के लिए बाहर जा पा रहा हूं।’’

 

विजय ने कहा कि जब तक कोरोना वायरस का प्रकोप खत्म नहीं हो जाता वह अपनी सेवा बंद नहीं करेगें। पैसे की कमी के सवाल पर विजय ने कहा कि विदेशों में रह रहे उसके कुछ समर्थ रिश्तेदारों ने उससे लोगों की यह सेवा जारी रखने के लिये कहा है और इसके लिये आर्थिक सहायता करने का भरोसा भी दिया है। उन्होंने बताया कि उनके पिता का केरल और मां का तमिलनाडू से ताल्लुक है तथा उनका परिवार 1960 से भोपाल में रह रहा है।विजय ने कहा, “लोगों को आत्मविश्वास और साहस के साथ कोरोना वायरस से लड़ना चाहिये। भय हमें मारता है। हमें एक सैनिक की तरह जो अपने जीवन की परवाह किये बिना विपरीत परिस्थितियों में भी आगे बढ़ता रहता है, इस महामारी का सामना कर इसे हराना होगा।

Seema Sharma

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