Salman Rushdie health update: सलमान रुश्दी की हालत में सुधार, वेंटिलेटर से हटाए गए, कर रहे बातचीत
punjabkesari.in Sunday, Aug 14, 2022 - 09:00 AM (IST)
नेशनल डेस्क: प्रसिद्ध उपन्यासकार सलमान रुश्दी के स्वास्थ्य में सुधार हो रहा है और शनिवार को उन्हें वेंटिलेटर से हटा दिया गया। वह अब बात करने में भी सक्षम हैं। सलमान रुश्दी पर शुक्रवार को न्यूयॉर्क में एक लेक्चर के दौरान एक शख्स ने चाकू से हमला कर दिया था। वाशिंगटन पोस्ट के अनुसार, रुश्दी के एजेंट एंड्रयू विली ने पुष्टि की है कि उन्हें वेंटिलेटर से हटा दिया गया है और वह बात करने में सक्षम होंगे। रुश्दी पर चाकू से हमला करने के आरोपी हदी मतार ने शनिवार को अपना अपराध स्वीकार नहीं किया है। न्यू जर्सी निवासी 24 साल के मतार पर हत्या का प्रयास और हमला करने के आरोप लगाए गए हैं।
न्यूयॉर्क स्टेट पुलिस के प्राधिकारियों ने बताया कि मतार ने अपना अपराध स्वीकार नहीं किया है और उसे चौटाउक्वा काउंटी जेल में रखा गया है। न्यूयॉर्क राज्य पुलिस ने कहा कि आपराधिक जांच ब्यूरो ने शुक्रवार को मतार को हत्या का प्रयास और हमला करने के आरोप में गिरफ्तार किया। मतार को पुलिस कार्यालय ले जाने के बाद चौटाउक्वा काउंटी जेल भेजा गया है। अमेरिका के न्यूयॉर्क शहर में शुक्रवार को एक कार्यक्रम के दौरान अंग्रेजी भाषा के प्रख्यात लेखक सलमान रुश्दी पर हमला हुआ था। मुंबई में एक कश्मीरी मुसलमान परिवार में जन्मे और बुकर पुरस्कार से सम्मानित रुश्दी (75) पश्चिमी न्यूयॉर्क के चौटाउक्वा संस्थान में एक कार्यक्रम के दौरान अपना व्याख्यान शुरू करने वाले ही थे कि तभी आरोपी मंच पर चढ़ा और रुश्दी को घूंसे मारे और चाकू से हमला कर दिया।
पहले ये जानकारी सामने आई थी कि रुश्दी वेंटिलेटर पर हैं और उनकी एक आंख खोने की आशंका है। 'चाकू से हमले' के बाद उनका लीवर भी क्षतिग्रस्त हो गया है। ब्रिटिश शासन से स्वतंत्रता और देश के विभाजन तक के भारत के सफर की पृष्ठभूमि पर आधारित ‘मिडनाइट्स चिल्ड्रन’ के लिए उन्हें 1981 में प्रतिष्ठित बुकर पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। हालांकि 1988 में प्रकाशित ‘द सैनेटिक वर्सेस’ के कारण वह सबसे ज्यादा चर्चा में आए।
ईरान के तत्कालीन (अब दिवंगत) सर्वोच्च धार्मिक नेता अयातुल्ला रूहोल्ला खामनेई ने तब उन्हें जान से मारने का एक फतवा जारी किया था। कई मुसलमानों का मानना है कि रुश्दी ने इस पुस्तक के जरिए ईशनिंदा की है। इस फतवे के बाद रुश्दी को कई सालों तक मौत के भय के साये में जीने और छुपकर रहने को मजबूर होना पड़ा। रुश्दी के खिलाफ फतवा जारी होने से पहले ही यह किताब कई देशों में प्रतिबंधित भी कर दी गई थी, जिसमें भारत भी शामिल था।