क्या सिर्फ टोल वसूलना ही है प्राथमिकता? राष्ट्रीय राजमार्ग पर उड़ रही स्वच्छ भारत अभियान की धज्जियां

Friday, Jan 01, 2021 - 04:43 PM (IST)

साम्बा (संजीव): राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के सपने को पूरा करने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 2 अक्टूबर, 2014 को ‘स्वच्छ भारत अभियान शुरू किया था। इस अभियान का उद्देश्य गांव और शहरों को साफ-सुथरा रखने के साथ-साथ लोगों को स्वच्छता का संदेश देना भी था। प्रधानमंत्री के इस अभियान में देश के सभी सरकारी विभागों को भी शामिल किया गया था, लेकिन कुछ विभागों ने पीएम मोदी के इस अभियान में विशेष रुचि नहीं दिखाई। ऐसा ही एक विभाग है भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचआई)। राष्ट्रीय राजमार्ग पर लगे ‘टोल से प्रतिदिन लाखों रुपए कमाने वाले इस विभाग को लगता है ‘स्वच्छ भारत अभियान से कोई सरोकार नहीं है। जम्मू-पठानकोट राष्ट्रीय राजमार्ग पर जगह-जगह उगी घास और गंदगी के ढेर इस स्वच्छ भारत अभियान की पोल खोलने के लिए काफी हैं। एनएचआई देश के राष्ट्रीय राजमार्गों के विकास, रखरखाव और प्रबंधन के लिए जिम्मेदार है। 


लोगों का कहना है कि प्राधिकरण का ध्यान सिर्फ टोल वसूलने पर है। सनद रहे कि केन्द्र सरकार ने राष्ट्रीय राजमार्गों के विकास और उनके रखरखाव के लिए वाहनों से टोल लेने की व्यवस्था शुरू की थी और इसका जिम्मा एनएचआई को सौंपा था। लेकिन लोगों का आरोप है कि एनएचआई का पूरा ध्यान सिर्फ और सिर्फ टोल वसूलने पर ही रहता है। वाहनों की चपेट में आने वाले जानवर कई दिनों तक राष्ट्रीय राजमार्ग पर पड़े रहते हैं। इसके अलावा राष्ट्रीय राजमार्गों की सफाई और कचरे को उठाने के लिए कोई व्यवस्था नहीं की गई है। हालत यह है कि राजमार्ग के डिवाईडर के आसपास और सिक्स लेन वाली जगहों पर सडक़ के दोनों रेत-मिट्टी और कचरे आदि के ढेर लगे हैं और घास-फास व झाडिय़ाँ उगी हुई हैं। 


पैंथर्स नेता राजेश पडग़ोत्रा का कहना है स्वच्छ भारत अभियान का उद्देश्य सिर्फ साफ-सफाई ही नहीं है, हमारा देश, राजमार्ग सुंदर और हरा-भरा दिखे इसके लिए भी सभी सरकारी विभागों को केन्द्र सरकार द्वारा जिम्मेदारी सौंपी गई है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी ‘मन की बात कार्यक्रम में इसका जिक्र करते रहते हैं। लेकिन राजमार्ग पर सफाई कहीं दिखाई नहीं देती है जबकि इसके लिए हर साल करोड़ों रूपए व्यय किए जाते हैं। सडक़ में कई जगह गड्ढे है। सडक़ पर धूल है जिसकी कभी सफाई नहीं होती।

Monika Jamwal

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