सार्क सम्मेलन पर फिर मंडरा रहा खतरा

Saturday, Sep 23, 2017 - 10:58 AM (IST)

न्यूयॉर्कः भारत और पाकिस्तान के तनावपूर्ण रिश्तों का असर पूरे दक्षिण एशिया पर नजर आने लगा है। शायद इसी वजह  से लगातार दूसरे साल सार्क देशों के सम्मेलन पर खतरा मंडरा रहा है। दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (सार्क) के देशों ने आतंकवाद के मुद्दे पर भारत के साथ एकजुटता दिखाई है और ऐसा लगता है कि इस साल भी सार्क की बैठक नहीं होगी। शुक्रवार को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की सालाना बैठक के इतर विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने सार्क देशों के प्रतिनिधियों के साथ मुलाकात की जिसमें आतंकवाद का मुद्दा छाया रहा । 

बैठक में पाकिस्तान ने कहा कि वह जल्द ही सार्क देशों की बैठक आयोजित करना चाहता है। जबकि दूसरे प्रतिनिधि ने कहा कि सार्क देशों की बैठक के लिए माहौल अनुकूल नहीं है और इस बात पर वहां मौजूद सभी लोगों ने सहमति जताई। वास्तव में सभी लोगों ने इस बात पर सहमति जताई कि जब तक स्थिति नहीं सुधरती है, पाकिस्तान को सार्क बैठक की मेजबानी नहीं करनी चाहिए।  

2016 में भारत, बांग्लादेश और अफगानिस्तान ने पाकिस्तान के आतंक के सपोर्ट के नाम पर बैठक में न शामिल होने का फैसला किया था। 2016 में सार्क देशों की बैठक पाकिस्तान में होनी थी, लेकिन इन देशों के बायकॉट के बाद इसे रद्द कर दिया गया। आलम कुछ ऐसा है कि सार्क सम्मेलन को लेकर इस साल कोई भी चर्चा नहीं हो रही है। गौरतलब है कि आम तौर पर सार्क बैठकों का आयोजन हर साल नवंबर में होता है। न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र जनरल एसैंबली के दौरान सुषमा स्वराज ने सार्क देशों के विदेश मंत्रियों से मुलाकात की, लेकिन यहां भी भारत ने सार्क सम्मेलन के लिए कोई रुचि नहीं दिखाई। वहीं भारत के अहम भूमिका वाले, सार्क सम्मेलन का महत्व भी कम हो रहा है। सुषमा स्वराज ने सार्क सम्मेलन के बारे में तो कुछ नहीं किया, लेकिन उन्होंने आतंकवाद पर चिंता जरूर व्यक्त की। 

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