Russia S-400: रूस की S-400 अपने ही देश में फेल, भारत ने दिखाया ऐसा दम कि पूरी दुनिया रही दंग, जानिए कामयाबी का फॉर्मूला
punjabkesari.in Monday, Jun 02, 2025 - 02:12 PM (IST)

नेशनल डेस्क: रूस-यूक्रेन युद्ध में रूस के S-400 एयर डिफेंस सिस्टम की विफलता ने सभी को हैरान कर दिया है, जबकि भारत में वही तकनीक पाकिस्तान के ड्रोन और मिसाइल हमलों को नाकाम करने में बेहद सफल साबित हुई। इस विरोधाभास के पीछे कई महत्वपूर्ण कारण हैं, जो रूस की हार और भारत की जीत की कहानी बताते हैं।
आइए जानते हैं कि आखिर क्यों रूस का सबसे आधुनिक सुरक्षा कवच यूक्रेन के हमलों के सामने कमजोर पड़ गया, जबकि भारत ने उसी तकनीक को अपनी सीमा की रक्षा में प्रभावी ढंग से इस्तेमाल किया।
रूस की असफलता के पीछे कारण
रूस की हार के कई तकनीकी और रणनीतिक कारण हैं। सबसे पहले, रूस ने S-400 सिस्टम को अकेले तैनात किया, यानी इसके साथ छोटी दूरी की सुरक्षा प्रणालियों जैसे पैंटसिर या टोर को शामिल नहीं किया, जो कम ऊंचाई पर उड़ने वाले ड्रोन और लक्ष्यों से निपटने में खास भूमिका निभाते हैं। इसके कारण S-400 को छोटे, सस्ते ड्रोन और लो-एल्टीट्यूड मिसाइलों से निपटना मुश्किल हुआ।
इसके अलावा, यूक्रेन ने अपनी रणनीति बेहद चालाकी से बनाई। पहले ड्रोन के जरिए रडार और सेंसर को जाम किया गया, जिससे S-400 की निगरानी क्षमता प्रभावित हुई। फिर उसी समय सटीक मिसाइल हमले किए गए, जिनसे यह महंगा और जटिल सिस्टम असमर्थ साबित हुआ। यूक्रेन ने इलेक्ट्रॉनिक युद्ध की तकनीक से भी रूस के रडार को अंधा कर दिया, जिससे लक्ष्य पहचानना लगभग असंभव हो गया।
यूक्रेन के ड्रोन हमले इतनी बड़ी संख्या में हुए कि S-400 सिस्टम ओवरलोड हो गया। इतनी भारी बाढ़ में लक्ष्यों को ट्रैक करना और नष्ट करना इस प्रणाली के बस की बात नहीं रही। साथ ही, रूस ने अपनी प्रणाली को बार-बार स्थानांतरित या छुपाने जैसी सावधानी नहीं बरती, जिससे उसे दुश्मन के हमलों का शिकार होना पड़ा।
भारत की कामयाबी के पीछे क्या है?
वहीं भारत की सफलता सिर्फ S-400 की ताकत पर निर्भर नहीं है, बल्कि इसे सही रणनीति, बहु-स्तरीय सुरक्षा नेटवर्क, और तकनीकी समझदारी के साथ लागू करने में है। भारत ने S-400 को पुराने डिफेंस सिस्टम जैसे पेचोरा और आकाश के साथ एकीकृत किया, जिससे एयर डिफेंस की कवरेज और मजबूत हुई।
भारत ने S-400 के साथ-साथ छोटी दूरी की एयर डिफेंस प्रणालियों को भी तैनात किया, जो ड्रोन और कम ऊंचाई वाले लक्ष्यों के खिलाफ प्रभावी हैं। इसके अलावा, भारतीय सैनिकों को उच्च स्तर की ट्रेनिंग दी गई है, और वे लगातार युद्धाभ्यास कर अपने कौशल को परखते रहते हैं। सबसे बड़ी बात, पाकिस्तान के ड्रोन और मिसाइल हमले यूक्रेन की तुलना में काफी सीमित थे, जिससे भारतीय सिस्टम पर अत्यधिक दबाव नहीं पड़ा। लगभग 50-60 ड्रोन और मिसाइल हमलों को भारत ने न केवल रोक दिया, बल्कि बिना बड़े नुकसान के अपनी सीमा की सुरक्षा भी सुनिश्चित की।