RTI एक्ट की धज्ज्यिां उड़ा रहा है जिला का ग्रामीण विकास विभाग

Friday, Aug 23, 2019 - 07:33 PM (IST)

कठुआ (गुरप्रीत) :  सरकार ने सूचना का अधिकार देने के साथ साथ प्रशासनिक तंत्र को पारदर्शी बनाने के प्रयास तो किए हैं। किसी भी नागरिक को सूचना के अधिकार (आर.टी.आई.) के लिए एक्ट बनाया है परंतु इस एक्ट को अधिकारी कितनी संजीदगी से ले रहे हैं इसका अंदाजा ग्रामीण विकास विभाग की कार्यप्रणाली से सीधा लगाया जा सकता है। ब्लाक विकास अधिकारी कीडिय़ां गंडियाल से आर.टी.आई. कार्यकर्ता हरप्रीत द्वारा मांगी गई जानकारी उन्हें अब तक नहीं मिल पाई है। 


दरअसल आर.टी.आई. कार्यकर्ता द्वारा कीडिय़ां गंडियाल ब्लाक द्वारा की गए विकास एवं लखनपुर के सौंदर्यकरण संबंधी कुछ जानकारियां मांगी गई थी। कार्यकर्ता हरप्रीत ने बताया कि इसी वर्ष के पांच मई को औपचारिक तौर पर जानकारी बी.डी.ओ. कीडिय़ां गंडियाल के कार्यालय से मांगी गई थी। इस कार्यालय से कोई जबाव न मिलने पर पहली अपील अथारिटी ए.सी.डी. कठुआ ग्रामीण विकास विभाग के कार्यालय में की गई। यह अपील 28 जून को की गई। यहां से भी तय समय में जबाव न मिलने पर दूसरी अपील ग्रामीण विकास विभाग के निदेशक कार्यालय में 2 अगस्त को की गई। इस अपील के बाद कार्यकर्ता को ए.सी.डी. कार्यालय से 22 अगस्त को एक लेटर हासिल होता है। जिसमें ए.सी.डी. कठुआ ने यह लेटर जून की 29 तारीख को निकाला है और मांगी गई जानकारियों को लेकर 16 अगस्त को उनके कार्यालय में बुलाया गया है। परंतु हैरानगी है कि 29 को ए.सी.डी. कार्यालय से निकाले गए लेटर को डाक विभाग के माध्यम से 10 अगस्त को पोस्ट किया जाता है। यही नहीं यह लेटर कार्यकर्ता को 22 अगस्त को मिलता है। ऐसे में सवाल यह है कि अगर अधिकारी द्वारा लेटर 29 जून को निकाला गया लेटर डाक विभाग के पास 11 दिनों के पास पोस्ट होने के लिए क्यों जाता है्? क्या लेटर को देरी से पोस्ट करने में कुछ कर्मियों की मिलीभगत तो नहीं?

डाक विभाग की स्लिप के मुताबिक दस अगस्त को लेटर पोस्ट कर दिया जाता है लेकिन एक ही शहर में लेटर की डिलीवरी आखिर 12 दिनों के बाद यानि कि 22 अगस्त को क्यों होती है। यह सब जांच का विषय है। कार्यकर्ता ने कहा कि जाहिर सी बात है कि विभाग मांगी गई जानकारी देने को राजी नहीं है और टाल मटोल की स्थिति अपना रहा है। इस पूरे मामले की जांच होनी चाहिए। उन्होंने आरोप लगाया कि जिस तरह से ब्लाक विकास अधिकारी व उसके आला अधिकारी जानकारी देने में आनाकानी कर रहे हैं उससे साफ जाहिर होता है कि विभाग में फैले कथित भ्रष्टाचार को छिपाने के लिए पूरा विभाग कई तरह के हथकंडे अपना रहा है। ताकि आवेदनकर्ता को जबाव देने से बचा जा सके। 
 

यह लेटर अगर 27 जून को निकाला गया है तो फिर इतने लंबे समय के बाद पोस्ट क्यों किया गया। इसकी उनकी जानकारी नहीं है। वे इस मामले की जांच करेंगे--- सुखपाल सिंह, ए.सी.डी. ग्रामीण विकास विभाग कठुआ। 
 

Monika Jamwal

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