रूप कंवरः 32 साल पहले जो महज 18 साल की उम्र में हो गई थीं सती

Tuesday, Sep 03, 2019 - 05:27 PM (IST)

राजस्थान: भारत में सती होने से जुड़ी अनेक पौराणिक कहानियां मौजूद हैं। ऐसा नहीं है कि आधुनिक भारत में कोई सती नहीं हुई। अंग्रेजों के शासन के दौरान भारत में सती होने की अनेक घटनाएं सामने आईं जिसका प्रमुखता से विरोध महान समाज सुधारक राजा राम मोहन राय ने किया था। क्योंकि अब तक स्वेच्छा से किए जाने वाले इस समर्पण को लोगों ने प्रथा के रूप में तब्दील कर दिया था। समाज के कुछ तथाकथित ठेकेदार पति की मौत के बाद उसकी पत्नी को प्रथा के नाम पर जबरन सती कर देते थे।

आजाद भारत में 80 के दशक की ये घटना काफी चर्चित रही। इस घटना ने देश ही नहीं विदेशी समाचार पत्रों में भी जगह बनाई। यह घटना हुई थी जयपुर के सिकर जिले में, जहां 4 सितंबर, 1987 को 18 साल की रूप कंवर ने अपने पति माल सिंह शेखावत की बीमारी से मौत के बाद खुद को सती कर लिया था। उनकी शादी को तब केवल महज 7 महीने हुए थे। इस घटना के बाद स्थानीय लोगों ने रूप कंवर के सम्मान में एक मंदिर बनवाने के साथ चुनरी महोत्सव भी मनाया था। इस घटना ने प्रदेश में ही नहीं पूरे देश में हंगामा खड़ा कर दिया था।  

सती को महिमामंडित करने वालों की हुई गिरफ्तारी
रूप कंवर को सती का रूप देना, उनका मंदिर बनाना और उनके सम्मान में चुनरी महोत्सव मनाना जैसी क्रियाएं सती प्रथा को महिमामंडित करती हैं। इसी के चलते स्थानीय पुलिस ने महिमामंडित करने वाले लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया। अब तक इस मामले में 11 लोग बरी हो चुके हैं जिनमें राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की कैबिनेट में रह चुके बीजेपी नेता राजेंद्र राठौर भी शामिल हैं। फिलहाल आठ लोगों के खिलाफ यह केस चल रहा है जिस पर मंगलवार को विशेष अदालत का फैंसला आना था। लेकिन यह टल गया है। इस पर फैसला कब आएगा अभी यह साफ नहीं है। कोर्ट ने इस मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया है।

गौरतलब है कि रूप कंवर के सती होने के बाद ही देश में सती प्रथा से संबंधित कानून बनाया गया था। इस तरह के मामलों के निपटान के लिए विशेष कोर्ट का गठन किया गया था। स्वतंत्र भारत में राजस्थान में इस तरह के 29 मामले सामने आए थे।

कुछ लोगों का आरोप है कि रूप कंवर को जबरन सती किया गया था। वहीं, कुछ का कहना है कि वह स्वेच्छा से सती हुई थीं। 32 साल पहले हुई यह घटना आज भी कुछ प्रत्यक्षदर्शियों के जहन में जिंदा है। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, सती होने से पहले रूप कंवर ने पति की चिता की 15 मिनट तक परिक्रमा की थी। सती होने के दौरान वह जलती चिता से नीचे आ गिरी लेकिन अपने पति के पैर पकड़कर वापस चिता में लौट गईं। यह दृश्य अपने आप में बहुत कुछ कह जाता है।

 आरोप-प्रत्यारोप, बुराई-अच्छाई, सही-गलत कई बार शब्दों की दुनिया से ऊपर भी एक दुनिया है जो भावना प्रधान है। लेकिन फिर भी समाज का कर्तव्य है कि ऐसी घटनाओं को होने से रोकना चाहिए। क्योंकि मनुष्य जीवन दुर्लभ है और इसका सकारात्मक उपयोग के बाद ही अंत होना चाहिए।

 

Ravi Pratap Singh

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