DGP का पद पाने लिए वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों में छिड़ी ओछी जंग

Tuesday, Apr 10, 2018 - 09:07 PM (IST)

चंडीगढ़: पंजाब के नए पुलिस महानिदेशक DGP के पद को लेकर पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों में ओछी जुबानी जंग तेज हो गई है। ये सभी अधिकारी DGP रैंक के हैं। एक दूसरे पर ड्रग तस्करी और हत्या के मामले में संलिप्त होने के आरोप प्रत्यारोप भी लगाए जा रहे हैं। बताया जा रहा है कि मौजूदा DGP सुरेश अरोड़ा का कार्यकाल अब 6 महीने का शेष बचा है। अरोड़ा सितंबर में सेवानिवृत हो रहे हैं। पंजाब पुलिस के महानिदेशक (मानव संसाधन विकास)सिद्धार्थ चटोपाध्याय DGP खुफिया दिनकर गुप्ता और ADGP हरप्रीत सिद्धू के अलावा DGP इस जंग में शामिल हैं।

चटोपाध्याय ने मौजूदा DGP सुरेशा अरोड़ा और DGP खुफिया दिनकर गुप्ता पर ड्रग रैकेट पर उनकी भूमिका को लेकर आरोप लगाए हैं। चटोपाध्याय ने पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट  में दिए गए एक आवेदन में आरोप लगाया कि उनको एक आत्महत्या के मामले में ढकेला जा रहा है। अदालत ने उनके खिलाफ जांच पर रोक लगा दी है। चटोपाध्याय ने यह भी आरोप लगाया कि उनका नाम अरोड़ा और गुप्ता की सह पर DGP रैंक के एक अन्य अधिकारी LK यादव के नेतृत्व में जांच टीम द्वारा आत्महत्या के मामले में घसीटा जा रहा है।

बताया जाता है ​कि 1982 बैंच के IPS अधिकारी अरोड़ा लंबी सेवा के बाद सिंतबर में सेवानिवृत होंगे। उनके साथ दिनकर गुप्ता हैं। चटोपाध्याय मोगा के  SSP राजजीत सिंह के खिलाफ ड्रग रैकेट के आरोपों की विशेष जांच टीम SIT के प्रमुख के रूप में कर रहे हैंं। चटोपाध्याय की जांच में अरोड़ा और गुप्ता के नाम को भी सामने लाया है। बताया जाता है कि राजजीत DGP अरोड़ा और गुप्ता की गुड बुक में हैं। चटोपाध्याय ने इस पर प्रश्न उठाने से यह सारा खेल उस समय शुरू हुआ जब केप्टन अमरिंदर सिंह की कांग्रेस सरकार ने अरोड़ा को DGP के पद पर बरकरार रखा। 
पिछली अकाली भाजपा सरकार ने अरोडा को DGP नियुक्त किया था केप्टन ने इस फैसले से DGP का पद चाहने वालों में असंतोष फैल गया जिनमें 1985 बैच के IPS चटोपाध्याय भी शामिल हैं।

बताया जाता है ​कि CRPF में डेपुटेशन प्रतिनियुक्ति पर गए ADGP हरप्रीत सिद्धू भी इस मामले में कूद पड़े हैं। उनको ड्रग के खिलाफ विशेष STF का प्रमुख बनाया गया। उनसे कहा गया कि वे अरोड़ा के बजाय मुख्यमंत्री को सीधा रिपोर्ट करें। मुख्यमंत्री के साथ सिद्धू के सीधे संबंध होने के कारण जो लोग अरोड़ा के खिलाफ थे उन्होंने सिद्धू का साथ देना शुरू कर दिया। बताया जाता है कि अरोड़ा और गुप्ता पिछले कई वर्षों से मिलजुलकर काम कर रहे हैं। जिससे अन्य अधिकारियों के मन में यह बात आई है​ कि अरोड़ा अपने उत्तराधिकारी के रूप में गुप्ता के लिए आधार तैयार कर रहे हैं। गुप्ता और अरोड़ा को मुख्यमंत्री के अलावा बहुत से वरिष्ठ अधिकारियों का विश्वास प्राप्त है। क्योंकि पिछले दो वर्षों में उन्होंने बहुत से गैंगस्टरों को खत्म किया और ड्रग के ​खिलाफ भी कार्रवाई की। बताया जाता है कि STF को DGP अरोड़ा के तहत किया जाय। STF ने SSP राजजीत को ड्रग मामले में तलब किया जिससे राज्य सरकार ने STF को झटका दिया।

राजजीत सिंह ने आरोप लगाया कि सिद्धू उनके खिलाफ गलत जांच कर रहे हैं। उन्होंने हाईकोर्ट से मांग की है कि उनके खिलाफ जांच सिद्धू से बदलकर किसी और अधिकारी को दी जाए। इस दलील के बाद अदालत ने चटोपाध्याय के नेतृत्व में SIT का गठन किया। जिसने अब तक दो अंतरिम रिर्पोट दी हैं। बताया जाता है कि चटोपाध्याय के इंद्रप्रीत चड्डा की आत्महत्या के मामले में संलिप्त होने की खबर है। उनके पिता चरणजीत सिंह चड्डा के वीडियो स्केंडल में फंसने के बाद इंद्रप्रीत ने आत्महत्या कर दी थी। चरणजीत सिंह खालसा दीवान के प्रमुख हैं।

चटोपाध्याय ने कहा कि उनका नाम इसलिए आत्महत्या मामले में घसीटा जा रहा है ताकि वह DGP के पद पर न पंहुच पाए और और राजजीत की ड्रग के मामले में भूमिका प्रभावित हो। वरिष्ठ अधिकारियों के बीच इस जंग का पुलिस बल के कामकाज पर बुरा असर पड़ रहा है। एक सेवानिवृत्त DGP ने कहा कि यह लडाई दुर्भाग्यपूर्ण है पुलिस बल कोई राजनीतिक पार्टी नहीं है। सरकार को इस मामले में हस्तक्षेप कर इसे बद कराना चाहिए। 

Punjab Kesari

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