दो-दो जिम्मेदारियां एक साथ कैसे संभालेंगे ट्रंप

Friday, Jun 24, 2016 - 08:49 PM (IST)

देश के सर्वोच्च पद को संभालने की दावेदारी कर रहे रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप क्या अमरीका के अलावा कई देशों में फैले अपने बिजनेस को भी साथ-साथ कैसे संभालेंगे। यह विषय यहां चर्चा का केंद्र बना हुआ है। जाहिर है जब किसी को देश की सबसे बड़ी जिम्मेदारी दे दी जाए तब उसे ही प्राथमिकता दी जाती है। इसमें व्यावसायिक जीवन की भूमिका समाप्त हो जाती है। लेकिन ट्रंप की जो बेशुमार दौलत, कंपनियां और बिजनेस का साम्राज्य है उसका क्या होगा ? इस सवाल का उत्तर भी खोजा जा रहा है। इस बारे में सीएनएन के साभार से जुटाई गई कुछ जानकारी को प्रस्तुत किया जा रहा है।  

रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप ने कई बार अपनी प्रतिद्वंद्वी हिलेरी क्लिंटन की फाउंडेशन पर हमला बोला हैं। आरोप होता है कि जब वे विदेश सचिव थीं तो उनके पद को देखते हुए इस संगठन को कई देशों की सरकारों ने चंदा दिया है। देश में हिेलेरी सबसे ज्यादा भ्रष्ट हैं। दूसरी ओर, पूर्व राष्र्ट्रपति के एक वित्तीय सलाहकार और वैश्विक व्यापारिक विश्लेषक कहते हैं​ कि ट्रंप के लिए भी कांटो से भरे कई सवाल हैं। यह ठीक है कि अगर वे राष्ट्रपति बनते हैं तो संघीय सरकार, अ​र्थव्यवस्था और विदेश नीति से संबंधित मामलों में अंतिम निर्णय लेने की स्थिति में तो होंगे, लेकिन इसका उनके परिवार पर पूरा असर रहेगा। 

इस बारे में कहा जा रहा है कि ट्रंप की आम जनता से जुड़ी नीतियों से उसके व्यापार को फायदा पहुंचेगा या नुकसान। उनकी संतान सारी संपत्तियों को मजबूती से संभाल नहीं पाएंगी। वैसे भी फॉक्स बिजनेस नेटवर्क द्वारा आयोजित चर्चा में ट्रंप कह चुके हैं कि अमरीका के हितों को प्राथमिकता देने के लिए वह स्वयं को व्यापार से अलग कर लेंगे। यदि वह राष्ट्रपति बनते हैं तो अपनी कंपनी की ओर कम ध्यान दूंगा। वे सारी जिम्मेदारी अपनी संतानों को दे देंगे और वह अधिकारियों के सहयोग से सारे बिजनेस को चलाएंगे। लेकिन वह इसकी ओर ध्यान भी नहीं देंगे।

ट्रंप की व्यापारिक गतिविधियों ने डेमोक्रेट्स विशेषकर हिलेरी को मसाला दे दिया है, ताकि वे वोटरों को इससे अवगत करा सकें। इस बीच जब वह स्कॉटलैंड गए थे तब पहले ही डेमोक्रेटिक नेशनल कमेटी ने जारी विज्ञप्ति में कहा था कि ट्रंप पहली बार वहां नहीं जा रहे हैं। वे तो अपने उत्पादों के प्रचार या संपत्ति को और बढ़ाने गए हैं। उनके उत्पादों में मांस, पेयजल, शराब और होटल शामिल हैं। अन्य व्यापारियों की तरह ट्रंप ने भी इनका खूब प्रचार किया था जब स्कॉटलैंड और आयरलैंड में उनका का धंधा चौपट हो गया था।

सीएनएन द्वारा किए गए एक सर्वे के मुताबिक वोटरों ने भी सोचना शुरू कर दिया है कि क्या ट्रंप ने अपने लंबे-चौड़े बिजनेस के साम्राज्य से स्वयं को अलग करना शुरू किया है। सर्वे से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार 69 फीसदी वोटर जिनमें 56 प्रतिशत रिपब्लिकन और 77 डेमोक्रेट्स शामिल हैं, इनका कहना था कि ट्रंप को राजनीति में आने के बाद अपने व्यावसायिक संगठनों के अध्यक्ष पद को छोड़ देना चाहिए। इसका समर्थन सिर्फ 28 प्रतिशत वोटरों ने ही किया कि ट्रंप को अपनी कंपनियों पर भी ध्यान देना चाहिए।

वोटर किसे वरीयता देते हैं, यह महत्वपूर्ण नहीं। वर्तमान कानून एक राष्ट्रपति को किसी कंपनी का सीईओ जैसे लाभ का पद संभालने से रोकते नहीं हैं। इसके बावजूद संघीय सरकार के कार्यालय में कार्यरत कैबिनेट सचिव से लेकर क्लर्क तक के लिए अलग नियम हैं। इससे एक मुद्दा और उठता है कि इमीग्रेशन, बैंकिंग, भूमि और अन्य देशों से संबंध स्थापित करने के मामले अपनी कंपनियों के सीईओ के रूप में ट्रंप पर कितना प्रभाव डालेंगे।

ट्रंप ने मई में संघीय चुनाव आयोग को अपने टैक्स रिटर्न की जानकारी देने से मना कर दिया था। उन्होंने व्यक्तिगत वित्तीय जानकारियों से संबंधित एक फार्म भर कर जरूर जमा करवाया था। उस समय ट्रंप की संपत्ति एक अरब डॉलर से अधिक थी। इससे पहले दी गई जानकारी के अनुसार उनकी रियल एस्टेट और अन्य संपत्तियां कम से कम 1.4 अरब डॉलर बताई गई थीं।

एक वित्तीय रिपोर्ट के अनुसार 22 देशों में उनका बिजनेस फैला हुआ है। इनमें सउदी अरब, चीन, तुर्की, और यूएई शामिल हैं। इन देशों में होटल, गोल्फ कोर्स और एक विमानन कंपनी है। विश्लेषकों के मुताबिक ट्रंप के अमरीका में भी कई व्यापारिक संस्थान हैं। भारत, कतर, मिस्र और पनामा में भी संपत्तियां हैं। अमरीकन एंटरप्राइस इंस्टीट्यूट के राजनीतिक विशेषज्ञ नॉर्म ओर्नस्टीन कहते हैं कि ज्यादातर मौकों पर जब आप विदेश नीति से संबंधित फैसले लेंगे तो उनका आपकी व्यक्तिगत संपत्ति पर असर पड़ेगा। इससे राष्ट्रीय और व्यक्तिगत हित टकराएंगे ही।  

एक आशंका और जताई जा रही है कि अन्य देशों की सरकारें ट्रंप के व्यक्तिगत व्यवसाय से फायदा उठाने का प्रयास कर सकती हैं। उनकी संपत्ति का वैसे भी तेजी से विकास हो रहा है। भूमि से लेकर ऊंची-ऊंची इमारतें खड़ी करने तक स्थानीय नियामकों से उन्हें आराम से अनुमति मिल जाती है। ट्रपं ने अमरीका और अन्य देशों में बिजनेस व लाइसेंसिंग एग्रीमेंट में अपने नाम का इस्तेमाल जमकर किया है। यदि वे राष्ट्रपति बन जाते हैं तो उनके लिए अपने बिजनेस से अलग होना बहुत मुश्किल होगा।

ट्रंप का काफी पैसा इन संपत्तियों में लगा हुआ है, वे किसी पर आंख बंद करके विश्वास कर लें उससे काम नहीं चलेगा। ऐसा विश्वास उनकी व्यापार के संंबंधित जानकारी को पूरी तरह मिटा नहीं देगा। राष्ट्रपति बनने पर ट्रंप फेडरल रिजर्व बोर्ड के सदस्यों को नियुक्त करेंगे जो ऐसी ब्याज दरों को निर्धारित करें जो उनकी संपत्ति को प्रभावित करें। वे फेडरल ट्रेड कमीशन के लिए उन्हें कमीश्नर बनाएंगे जो उपभोक्ता नियमों और व्यापार विरोधी शिकायतों की चौकसी करें और उन्हें नियंत्रित करें। जैसी कि ट्रंप की यूनिवर्सिटी के खिलाफ शिकायत की गई थी।

ऐसे और भी कई मुद्दे हैं जिन्हें ट्रंप प्रभावित कर सकते हैं। उन नेताओं को पकड़वा देना जो उनकी कंपनियों में काम करने वाले कर्मचारियों की यूनियन बनवाएंगे या उनके अपने होटलों में विदेश से मजदूर कैसे काम कर सकते हैं उन्हें कैसे अमरीका में लाना आसान बनाया जा सकता है। वे अपने गोल्फ कोर्स के लिए जंगलों से संबंधित नीतियां को मंजूर कर सकते हैं आदि। कुल मिलाकर दो नावों में पैर रखना ट्रंप के लिए कठिन होगा।

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