ट्रैक्टर मार्च LIVE: लाल किले पर किसानों ने फहराया अपना झंडा, परिसर पर अतिरिक्त फोर्स तैनात

Tuesday, Jan 26, 2021 - 05:00 PM (IST)

नेशनल डेस्क:  राजपथ पर भारत की आन-बान और शान के प्रदर्शन के बाद देश की राजधानी जबरदस्त हंगामे की शिकार बनी। नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसान संगठनों द्वारा मंगलवार को निकाले गए ट्रैक्टर मार्च के दौरान किसानों और पुलिस के बीच भिड़ंत की कई घटनाएं सामने आई । 'ट्रैक्टर परेड' के लिए आगे बढ़ रहे किसानों ने कई जगह बैरिकेड तोड़े, जिसके चलते पुलिस को आंसू गैस के गोले छोड़ने पडे। आईटीओ पर जमकर बवाल मचाने के बाद कई किसान लाल किले के अंदर दाखिल हुए और अपना झंडा फहराया।  ट्रैक्टर मार्च से जुड़ी हर अपडेट हम आप तक पहुंचाते रहेंगे।

 

— ANI (@ANI) January 26, 2021

 

एतिहासिक इमारत के कुछ गुंबदों पर झंडे लगाए
ट्रैक्टर परेड के लिए निर्धारित मार्ग से हटकर प्रदर्शनकारी किसानों का एक समूह मंगलवार को लालकिले में घुसा और राष्ट्रीय राजधानी स्थित इस ऐतिहासिक स्मारक के कुछ गुंबदों पर झंडे लगा दिए। पुलिस द्वारा आईटीओ से खदेड़े गए प्रदर्शनकारी किसानों का एक समूह अपने ट्रैक्टर लेकर लालकिला परिसर पहुंचा। ये प्रदर्शनकारी लालकिला परिसर में घुसे और उस ध्वज-स्तंभ पर अपना झंडा लगाते दिखे जहां से प्रधानमंत्री 15 अगस्त को राष्ट्रीय ध्वज फहराते हैं। उन्होंने लालकिले के कुछ गुंबदों पर भी अपने झंडे लगा दिए।
 

आईटीओ में भी जमकर किया हंगामा 
इससे पहले प्रदर्शनकारी किसान आईटीओ पहुंच गए और लुटियंस इलाके की तरफ बढ़ने की कोशिश की। इसपर पुलिस को लाठीचार्ज और आंसू गैस के गोलों का इस्तेमाल करना पड़ा। प्रदर्शनकारियों ने ट्रैक्टर परेड के निर्धारित समय से काफी पहले ही दिल्ली के विभिन्न सीमा बिन्दुओं से दिल्ली के भीतर बढ़ना शुरू कर दिया और अनुमति न मिलने के बावजूद वे मध्य दिल्ली स्थित आईटीओ पहुंच गए। दिल्ली पुलिस ने किसानों को इस शर्त के साथ ट्रैक्टर परेड की अनुमति दी थी कि वे राजपथ पर गणतंत्र दिवस परेड के समाप्त होने के बाद तय किए गए मार्गों पर ही अपनी परेड करेंगे।

अक्षरधाम मंदिर के पास भी झड़प 
पुलिस ने शाहदरा में चिंतामणि चौक पर किसानों पर उस समय लाठीचार्ज किया, जब उन्होंने अवरोधक लांघने और गाड़ी के शीशे तोड़ने शुरू कर दिए। पारम्परिक सिख यौद्धा ‘निहंग’ की भी अक्षरधाम मंदिर के पास सुरक्षा कर्मियों से झड़प हो गई। पश्चिमी दिल्ली के नांगलोई चौक और मुकरबा चौक पर किसानों ने सीमेंट की बाड़ तोड़ दिए और उन्हें खदेड़ने के लिए पुलिस ने आंसू गैस का इस्तेमाल किया। दिल्ली में संसद से कुछ किलोमीटर दूर आईटीओ इलाके में भी प्रदर्शन कर रहे किसान पहुंच गए।अधिकारी ने बताया कि सिंघू बॉर्डर पर किसानों ने ट्रैक्टर परेड के लिए निर्धारित किए गए समय से पहले अवरोधकों को तोड़कर आउटर रिंग रोड की ओर जाने की कोशिश की, जिसके बाद पुलिस कर्मियों ने सिंघू बॉर्डर पर किसानों की भीड़ को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले दागे।

 

झड़प को लेकर जानकारी नहीं: राकेश टिकैत
वहीं  भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने इस पर सफाई देते हुए कहा कि ट्रैक्टर रैली शांतिपूर्ण तरीके से चल रही है। झडप को लेकर मुझे जानकारी नहीं है। 

किसान नेता ने की हिंसा की निंदा 
इस बीच, किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल ने कहा कि किसान निर्धारित मार्ग का अनुसरण कर रहे हैं। संयुक्त किसान मोर्चो का कोई भी सदस्य आउटर रिंग रोड नहीं गया। राजेवाल ने कहा कि  हम किसानों के खिलाफ हुई हिंसा की निंदा करते हैं और सभी से शांति बनाए रखने की अपील करते हैं। राष्ट्रीय राजधानी से लगी सीमा बिंदुओं पर मंगलवार को टैक्टरों का जमावड़ा दिखाई दिया, जिन पर झंडे लगे हुए थे और इनमें सवार पुरुष व महिलाएं ढोल की थाप पर नाच रहे थे। सड़क के दोनों ओर खड़े स्थानीय लोग फूलों की बारिश भी कर रहे थे। वहीं, सुरक्षा कर्मी किसानों को समझाने की कोशिश कर रहे थे कि वे राजपथ पर गणतंत्र दिवस की परेड खत्म होने के बाद तय समय पर परेड निकालें।

पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़े
 दिल्ली के मुकरबा चौक पर लगाए गए बैरिकेड और सीमेंट के अवरोधकों को ट्रैक्टरों से तोड़ने की कोशिश कर रहे किसानों के समूह पुलिस ने आंसू गैस के गोले दागे। राष्ट्रीय राजधानी के सिंघू, टिकरी और गाजीपुर बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे किसानों के कुछ समूह मंगलवार सुबह दिल्ली पुलिस द्वारा ट्रैक्टर परेड के लिए निर्धारित किए गए समय से पहले अवरोधकों को तोड़कर दिल्ली में दाखिल हो गए थे।  जानकारी के अनुसार अक्षरधाम से पहले एनएच 24 पर पुलिस ने बैरिकेडिंग की हुई थी, लेकिन कुछ किसानों के जत्थे ने ट्रैक्टरों के साथ कुछ बैरिकेडिंग को तोड़कर दिल्ली की तरफ घुसने की कोशिश की तो पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़े और लाठीचार्ज किया। किसानों को वहां से खदेड़ा गया है। 

इसके अलावा नोएडा में गाड़ियों को छतिग्रस्त कर ट्रैक्टरों का दिल्ली में कूच शुरू हुआ। इस दौरान रास्ते में आए बेरियर और पत्थरों को ट्रेक्टर से हटाया गया। गाजीपुर बॉर्डर पर भी दिल्ली पुलिस द्वारा किसानों को रोकने के लिए लगाए गए कंटेनर को तोड दिया गया। 

पुलिस हमें रोक रही है: किसान 
केन्द्र के तीन नए कृषि कानूनों का विरोध कर रहे 41 किसान संघों के प्रमुख संगठन ‘संयुक्त किसान मोर्चा' के एक सदस्य ने कहा कि अवरोधक तोड़ने वाले लोग ‘किसान मजदूर संघर्ष कमेटी' के सदस्य थे। उन्होंने कहा कि किसानों की ट्रैक्टर परेड पुलिस की अनुमति के बाद निर्धारित समय पर शुरू होगी। सिंघु बॉर्डर से किसान मजदूर संघर्ष समिति के अध्यक्ष सतनाम सिंह पन्नू ने कहा कि हम शांतिपूर्ण तरीके से जाएंगे और वापस आ जाएंगे। हमें रिंग रोड पर जाना है लेकिन पुलिस रोक रही है। लोग आ रहे हैं उसके बाद हम इस पर विचार करेंगे। 30-45 मिनट का समय दिया गया है तब तक हम यहीं बैठेंगे और फैसला करेंगे

ट्रैक्टर परेड के लिए आए किसान अब वापस नहीं जाएंगे: किसान यूनियन 
किसान यूनियनों ने दावा किया कि लगभग दो लाख ट्रैक्टरों के परेड में भाग लेने की उम्मीद है। प्रदर्शनकारी किसानों का कहना है कि वह तीनों नए कृषि कानूनों को रद्द करने की अपनी मांग पर अडिग हैं और मांगें पूरी होने तक उनका आंदोलन जारी रहेगा। उन्होंने कहा कि ट्रैक्टर रैली की बात है तो इससे सरकार को हमारी शक्ति के बारे में एक एहसास होगा और उसे पता चलेगा कि आंदोलन केवल हरियाणा या पंजाब तक सीमित नहीं है, बल्कि यह पूरे देश का आंदोलन है। किसान यूनियनों का कहना है कि  ट्रैक्टर परेड के लिए आए किसान अब वापस नहीं जाएंगे तथा प्रदर्शन से जुड़ेंगे।

दिल्ली में हजारों सशस्त्र सुरक्षा कर्मी तैनात
गणतंत्र दिवस समारोह और किसानों की प्रस्तावित ट्रैक्टर परेड के मद्देनजर राजपथ और राष्ट्रीय राजधानी की कई सीमाओं पर हजारों सशस्त्र सुरक्षा कर्मियों को तैनात किया गया है। दिल्ली में पहले से बहुस्तरीय सुरक्षा व्यवस्था का बंदोबस्त किया गया है। एक अधिकारी ने बताया कि गणतंत्र दिवस समारोह के मद्देनजर निगरानी रखने के लिए करीब छह हजार सुरक्षा कर्मियों को तैनात किया गया है। संदिग्ध लोगों की पहचान करने के लिए दिल्ली पुलिस की चेहरे से पहचान करने वाली प्रणाली भी उचित स्थानों पर स्थापित की गई है। उन्होंने बताया कि राजपथ पर लोगों की जांच करने वाले कर्मी पीपीई किट पहने होंगे तथा मास्क एवं फेस शील्ड (चेहरे के आगे शीशा) लगाए हुए होंगे।

अपनी मांगों पर अडे हैं किसान 
बता दें कि तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करने और उनकी फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कानूनी गारंटी देने की मांग को लेकर हजारों किसान, जिनमें ज्यादातर पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के हैं, 28 नवंबर से दिल्ली के कई सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे हैं। इस बीच, केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने सोमवार को कहा कि नए कृषि कानूनों को एक से डेढ़ साल तक निलंबित रखने का सरकार का प्रस्ताव एक ‘‘सर्वश्रेष्ठ पेशकश'' है और उन्हें उम्मीद है कि प्रदर्शनकरी किसान संगठन इस पर पुनर्विचार करेंगे तथा अपने फैसले से अवगत कराएंगे। सरकार और 41 किसान संगठनों के प्रतिनिधियों के बीच 11वें दौर की वार्ता भी बेनतीजा रही थी। दसवें दौर की वार्ता में सरकार ने नए कृषि कानूनों को एक से डेढ़ साल तक निलंबित रखने की पेशकश की थी, लेकिन किसान यूनियनों ने इसे खारिज कर दिया था। 

vasudha

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