गणतंत्र दिवस विशेषः परंपरा नहीं विजन बना PM मोदी के 4 साल के कार्यकाल का समारोह

Wednesday, Jan 24, 2018 - 07:03 PM (IST)

नेशनल डेस्कः गणतंत्र दिवस भारत की ताकत को विश्व के सामने रखने का एक बड़ा अवसर होता है। देश इस बार अपना 69वां गणतंत्र दिवस मनाए। इस मौके पर समारोह में 10 आसियान देशों के प्रमुख मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत करेंगे। 44 साल बाद पहला मौका है जब दो से ज्यादा राष्ट्राध्यक्ष समारोह में शरीका हुए हों। इसे विश्व मंच पर भारत की बढ़ती लोकप्रियता कहें या फिर पीएम मोदी की सफल विदेश नीति का नताजा कि  उनके महज चार साल के कार्यकाल में गणतंत्र दिवस पर विदेश मेहमानों की संख्या 13 पहुंच गई है जबकि मनमोहन सिंह 10 वर्षों में 9 अतिथियों को ही बुलाया। यही वजह है कि मोदी के कार्यकाल के प्रत्येक वर्ष का गणतंत्र समारोह केवल परम्परा बनकर नहीं रहा। 
जानकारों की मानें तो मनमोहन सिंह ने दस वर्षों में गणतंत्र दिवस समारोह पर सहूलियत के हिसाब से अतिथियों को बुलाया। एेसे में विदेशी राष्ट्राध्यक्षों को बुलाने के पीछे की उनकी रणनीति के कोई कारगर परिणाम दिखाई नहीं दिए। वहीं प्रधानमंत्री मोदी के चारों साल के अतिथियों का एक विशेष महत्व रहा। इसमें चाहे दुनिया के सबसे ताकतवर देश के राष्ट्रपति ओबामा को बुलाना हो या फिर खाड़ी देश के प्रमुख को। 
PM मोदी  ने 'एक्ट ईस्ट पॉलिसी' के तहत उठाया कदम
इससे पहले 1968 और 1974 में ही ऐसा हुआ था जब गणतंत्र दिवस के मौके पर देश ने एक से ज्यादा मेहमानों की मेहमाननवाजी की। 1968 में यूगोस्लाविया के राष्ट्रपति जोसीफ ब्रोज टीटो और सोवियत संघ के अलेक्सी कोसीगिन को बुलाया गया था और 1974 में यूगोस्लाविया के राष्ट्रपति के साथ श्रीलंका की प्रधानमंत्री सिरिमाओ भंडारनायके आई थीं। बता दें कि पीएम मोदी ने सरकार बनाने के बाद 'एक्ट ईस्ट पॉलिसी' की शुरुआत की थी। इसमें पूर्व के देशों से अच्छे संबंध बनाने को विदेश मंत्रालय की पहली प्राथमिकता बनाया गया था। इसके मद्देनजर ही यह कदम उठाया गया है।
मनमोहन के 10 वर्षों के कार्यकाल में आए राष्ट्राध्यक्ष
साल 2005 में यूपीए सरकार के कार्यकाल में  भूटान के राजा जिग्मे सिंग्ये वांग्चुक आए। 2006 में सउदी अरब के किंस अब्दुल्ला बिन अब्दुल्लाअजीज आए। 2007 में रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन। 2008 में फ्रांस के राष्ट्रपति निकोलस सरकोजी। 2009 में कजाकिस्तान के राष्ट्रपति नुरसुल्तान नजरबायेव पहुंचे। 2010 में कोरिया के राष्ट्रपति ली मीयूंग बाक आए। 2011 में इंडोनेशिया सुसीलो बामबंग युधोयोनो शामिल हुए। 2012 में थाइलैंड की प्रधानमंत्री यिंगलुक शिनावात्रा आईं। 2013 में भूटान के राजा जिग्मे खेसर नामग्याल वांग्चुक और 2014 में जापान के प्रशाधनमंत्री शिंजे आबे गणतंत्र दिवस समारोह में शामिल हुए। 
1974 के बाद पहली बार आएंगे एक से ज्यादा गेस्ट
साल 2014 में केंद्र की सत्ता संभलाने के बाद प्रधानमंत्री मोदी के कार्यकाल के पहले गणतंत्रता दिवस पर साल 2015 में दुनिया के सबसे शक्तिशाली देश अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा को आमंत्रित किया गया। इसके बाद 2016 में फ्रांस के राष्ट्रपति अोलांद बुलाया गया। 2017 में पीएम मोदी ने अबू धाबी के शहजादे को परेड का मुख्य अथिति बनाया, वहीं 1974 के बाद पहली बार एक से ज्यादा गेस्ट आएंगे। इस दफा आसियान के 10 देशों के राष्ट्राध्यक्षों को गणतंत्र दिवस की परेड के लिए आमंत्रित किया गया है। थाईलैंड, वियतनाम, इंडोनेशिया, मलेशिया, फिलिपींस, सिंगापुर, म्यांमार, कंबोडिया, लाउस, बुर्नेई  Asean के हिस्सा हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, वियतनाम और सिंगापुर ने निमंत्रण स्वीकार कर भी लिया है।
गणतंत्र दिवस की परेड में पहली बार

- 2015 की परेड में सीआरपीएफ के नक्सल रोधी विशेष बल ‘कोबरा’ के कमांडो ने पहली बार राजपथ पर मार्च किया।

- 2015 की गणतंत्र दिवस परेड में पहली बार राजपथ पर सेना, नौसेना और वायुसेना की पूरी महिलाओं की टुकड़ी ने मार्च किया। 

- 2017 में गणतंत्र दिवस परेड में एनएसजी कमांडो का दस्ता पहली बार शामिल हुआ।

- 2017 की गणतंत्र दिवस परेड में पहली बार देश में निर्मित हल्के लड़ाकू विमान (एलसीए), तेजस ने उड़ान भरी थी।

- गणतंत्र दिवस परेड में विदेशी सैन्य दस्तों को शामिल किया गया। 2016 में फ्रांस के सैन्य दस्ते को और 2017 में यूएई का सैन्य दस्ता शामिल हुआ।

- 2017 की गणतंत्र दिवस की परेड में प्रधानमंत्री मोदी प्रोटोकॉल तोड़ कर राजपथ पर पैदल चल दिए, और वहां मौजूद दर्शकों का अभिनंदन स्वीकार किया।

 

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