RepublicDay: राजपथ पर पहली बार रचा इतिहास, दिखी भारत की शान

Tuesday, Jan 26, 2016 - 02:42 PM (IST)

नई दिल्ली:  देश आज 67वां गणतंत्र दिवस मना रहा है। इस बार भारत के चीफ गेस्ट हैं फ्रांस के राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को राजपथ पर परेड के जरिए सलामी दी गई।

फ्रांस के राष्ट्रपति इस वर्ष की परेड के मुख्य अतिथि बनेे और गणतंत्र दिवस परेड के इतिहास में पहली बार फ्रांस के सैनिकों ने पहली विदेशी टुकड़ी के तौर पर राजपथ पर मार्च किया। इस दौरान दुश्मन का कलेजा कंपा देने वाली हथियार प्रणालियों को भी परेड का हिस्सा बनाया गया। 


फ्रांस के राष्ट्रपति फ्रांस्वा आेलांद राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच में बैठे थे और डेढ़ घंटे की इस परेड के दौरान मोदी को कई बार आेलांद को कुछ बताते समझाते देखा गया। 

परेड शुरू होने से कुछ क्षण पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर और तीनों सेना प्रमुखों ने इंडिया गेट में अमर जवान ज्योति पर जाकर देश की आन, बान, शान के लिए अपने प्राण न्यौछावर करने वाले शहीदों को नमन किया।  

राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने परेड शुरू होने से पहले लांस नायक मोहन नाथ गोस्वामी को शांति के समय का देश के सर्वोच्च शौर्य सम्मान अशोक चक्र से (मरणोपरांत) सम्मानित किया।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जहां खाकी रंग के बंद गले के सूट के साथ केसरिया पगड़ी पहने थे, वहीं राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने काली अचकन के साथ काली टोपी पहनी थी।

भारत की प्रक्षेपास्त्र प्रणाली के अलावा टी 90 भीष्म टैंक, इंफैंटरी काम्बेट व्हिकल बीएमपी 2, आकाश शस्त्र प्रणाली ब्रह्मोस प्रक्षेपास्त्र प्रणाली का सचल लांचर, स्मर्च प्रक्षेपास्त्र वाहन आदि इस परेड का मुख्यआकर्षण थे।

राजपथ पर सुरक्षा के विशेष प्रबंध के रूप में समारोह स्थल पर वीवीआईपी गलियारे में सुरक्षा के बहुस्तरीय प्रबंध किए गए थे, जिसमें एक घेरा राष्ट्रपति सुरक्षा गार्डों का था, एक एक घेरा एसपीजी अधिकारियों, एनएसजी कमांडो का था और दिल्ली पुलिस सबसे बाहरी सुरक्षा घेरे के तौर पर चौकसी कर रही थी। 

राजपथ पर 67वें गणतंत्र दिवस पर आयोजित परेड में 36 सदस्यीय श्वान दस्ते ने हिस्सा लिया जिसमें 24 लेब्राडोर और 12 जर्मन शेफर्ड शामिल थे । 26 वर्ष बाद श्वान दस्ते को परेड में शामिल किया गया।  इन 36 खोजी कुत्तों को भारतीय सेना के प्रशिक्षित 1200 खोजी कुत्तों में से चुना गया है । इन्हें चार महीने तक गहन प्रशिक्षण प्रदान किया गया। 

200 साल पहले बनी राजपूत रेजिमेंट ने भी मार्च किया। सबसे पहले इसी का राष्ट्रीयकरण हुआ था।

सिख लाइट रेजिमेंट के कंबाइंड बैंड ने संविधान धुन के साथ मार्च किया।

पहली बार राजपथ पर आर्मी वेटेरंस की झांकी निकली। पूर्व सैनिकों को स्कूलों में भी नियुक्त करने की योजना
 

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