ट्रिपल तलाक मुद्दा: संविधान में मिली धार्मिक स्वतंत्रता का हनन नहीं होना चाहिए

Sunday, Sep 10, 2017 - 11:09 PM (IST)

भोपालः शरीयत में कोर्ट का दखल मंजूर नहीं किया जा सकता है। इसके अलावा संविधान में मिली धार्मिक स्वतंत्रता का हनन नहीं होना चाहिए। तीन तलाक के मुद्दे पर यही सार मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की बैठक में निकलकर आया है। ट्रिपल तलाक पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद ऑल इंडिया मुस्लिम पसर्नल लॉ बोर्ड की वर्किंग कमेटी की पहली बैठक रविवार को भोपाल में हुई।  देर शाम तक कमेटी में इस मुद्दे पर मंथन होता रहा। इसमें इस बात पर सहमति बनी कि संविधान में मिली धार्मिक स्वतंत्रता का हनन नहीं होना चाहिए। 

बैठक में बोर्ड के करीब 45 सदस्यों ने अपनी राय रखी। बैठक में सदस्यों की राय के बाद बोर्ड को लगा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले को अभी सभी लोगों ने ठीक से नहीं समझा है। सांसद असदुद्दीन औवेसी ने करीब दो घंटे कानून के जानकारों के साथ बातचीत करके फैसले का सार तैयार किया। इसे सभी सदस्यों को बांटा गया।

सूत्रों के मुताबिक इस मामले को लेकर कानूनी विशेषज्ञों और रिसर्च स्कॉलर की एक कमेटी बनाई जा सकती है, जो 10 दिन में फैसले से जुड़े तमाम पहलूओं का अध्ययन करके रिपोर्ट सौंपेगी।

भोपाल के खानूगांव स्थित इंदिरा प्रियदर्शनी कॉलेज में सुबह 11 बजे से मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की वर्किंग कमेटी की बैठक शुरू हुई। इसमें सहमति बनी कि संविधान में तहत जो धार्मिक आजादी मिली है, उसका हनन नहीं होना चाहिए। बोर्ड के महासचिव वली रहमानी ने कहा कि शरीयत में कोर्ट का हस्तक्षेप बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

तीन तलाक तो शरीयत में भी मान्य नहीं है लेकिन यह चलन में आ गया है। बोर्ड के सचिव जफरयाब जिलानी ने कहा कि सत्ताधारी पार्टी हिंदु और मुसलमानों को लड़ाकर सियासी फायदा उठाना चाहती है।

बैठक में ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के अध्यक्ष मौलाना रब्बे हाशमी नदवी, महासचिव वली रहमानी, उपाध्यक्ष डॉ.सईद कलबा सादिक, मोहम्मद सलीम कासमी, सचिव जफरयाब जिलानी, सांसद असदुद्दीन औवेसी सहित करीब बोर्ड एग्जीक्यूटिव कमेटी के अन्य पदाधिकारी मौजूद थे। 
 

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