जरा सी ढील देगी बड़ा नुकसान

Tuesday, Jun 14, 2016 - 02:56 PM (IST)

भारतीय रक्षा प्रतिष्ठान को जारी किए गए ताजा रेड अलर्ट के मुताबिक  चीन भारत की ऑनलाइन जासूसी और हैकिंग की कोशिश कर रहा है। चीन की यह कोशिश नई नहीें है। वह पहले भी ऐसी कोशिशें कर चुका है। उसके चेंगडू क्षेत्र पर आधारित ''सकफ्लाई'' नामक समूह भारतीय सुरक्षा और व्यावसायिक प्रतिष्ठानों के सुरक्षा में सेंध लगाना चाहता है। अब तक जितना नुकसान होना था हो चुका, भविष्य के लिए सुरक्षा प्रबंधों को और मजबूत करने की जरुरत है। अन्यथा देश की अहम सूचनाएं चीन के पास बड़े आराम के साथ पहुंचती जाएंगी।  

बताया जाता है कि भारत को ''ट्राइ-सर्विस साइबर कमांड'' मिलना बाकी है, जिससे वह संगठित तरीके से इन खतरों से लड़ सकता है। काफी समय पहले ही इसका सुझाव स्टाफ कमिटी के प्रमुख ने दिया था। लेकिन सरकार तात्कालिक तौर पर इस हमले से निपटने के लिए बहुत नीचे स्तर की डिफेंस साइबर एजेंसी (डीसीए) बनाने की सोचती रही है। यह काम सिर्फ सोचने से ही नहीं चलने वाला, इस दिशा में तेजी से काम करने की आवश्यकता है। सुझाव दिए हुए इतना समय बीत गया, समीक्षा होनी चाहिए कि अब तक क्या कार्रवाई की गई है ?

जिस चेंगडू क्षेत्र हवाला दिया जा रहा है वहां चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के कई मुख्यालय हैं। इस आर्मी का काम लद्दाख से लेकर अरुणाचल प्रदेश तक की 4057 किलोमीटर लंबे सीमा की निगरानी करना है। निगरानी करते-करते उसकी सेना भारतीय सीमा को लांघकर घुसपैठ कर जाती है। हाल में तीन घंटे तक चीनी सैनिक भारत के अरुणाचल प्रदेश के कामेंग जिले में घुस आई थी। कड़ा विरोध करने के बाद वह वापस गई। 

चीनी हैकरों की तरफ से लगातार हमले किए जाते रहे हैं और कभी-कभी ये भारत के सुरक्षा और व्यावसायिक कंप्यूटर नेटवर्क में सेंध लगाने में कामयाब हो जाते हैं। चीनी हैकर्स अमेरिका, ब्रिटेन और जर्मनी जैसे अन्य देशों को भी अपना निशाना बना चुके हैं। साइबर सुरक्षा समूह की रिपोर्ट के अनुसार चीन पिछले 10 साल से भारत के सरकारी और निजी उपक्रमों की जासूसी कर रहा है। भारत के अलावा अन्य दक्षिणी-पूर्वी एशियाई देशों की राजनीतिक, आर्थिक और सैन्य जानकारियों जुटाने के प्रयास में लगा रहता है। अन्य देश भी अपनी व्यवस्था को बनाने में जुटे होंगे, लेकिन सवाल भारत को इन हमलों से बचाने का है।

साइबर सुरक्षा कंपनी फायर आई के अनुसार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चीन यात्रा से पहले हैकरों का पता चला और वे लगातार हमले कर रहे हैं। चीन के हैकर्स 2012 से ही चीन-भारत सीमा विवाद और भारत में मौजूद निर्वासित तिब्बती समूहों के बारे में जासूसी कर रहे हैं। एक एडवांस टीम सीमा विवाद और तिब्बती निर्वासित समूहों के बारे में सूचना चुराने के लिए है। अत: इन सबसे निपटने के लिए भारत को अपना ढीला रवैया छोड़ना होगा।  

इसका पता लगाना बहुत जरूरी है कि ‘रेड अक्टूबर’ साइबर जासूसी से उसे कितना नुकसान पहुंचा है। एक दूसरे साइबर हमले में उसका कम से कम 22 जीबी डाटा चुरा लिया गया है, जिसमें हाईप्रोफाइल सरकारी विभागों के अति गोपनीय दस्तावेज शामिल हैं। यह अटैक नेटट्रेवलर या ट्रेवनेट नामक कार्यक्रम द्वारा किया गया। भारत में नेटट्रेवलर के कम से कम 40 शिकार हुए हैं जिनमें मंत्रालय, दूतावास, सैन्य व वैज्ञानिक संस्थाएं, एयरोस्पेस रिसर्च, आईटी कम्पनियां, वित्त संगठन, मीडिया कम्पनियां और छोटी-छोटी प्राइवेट कम्पनियां शामिल हैं। इससे बचने के लिए जरा सी ढील भी बड़ा नुकसान दे सकती है। देश की सीमाओं की सुरक्षा के अलावा साईबर हमलों का भी मुंहतोड़ जवाब देना होगा।  

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