सबरीमाला पर फैसला आ सकता है तो राम लला केस 70 साल से क्यों अटका: रविशंकर

Wednesday, Dec 26, 2018 - 03:03 PM (IST)

नेशनल डेस्क: लोकसभा चुनावों से पहले अयोध्या में राम मंदिर का मुद्दा एक बार फिर गरमा चुका है। अब कानून मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने भी इस मुद्दे पर हो रही देरी को लेकर सुप्रीम कोर्ट पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि अर्बन नक्सल का केस दो महीने में निपट जाता है तो हमारे राम लला का विवाद 70 साल से लंबित क्यों है। 

फास्ट ट्रैक कोर्ट की तरह हो सुनवाई 
खबरों के अनुसार प्रसाद ने अखिल भारतीय अधिवक्ता परिषद के 15वें राष्ट्रीय अधिवेशन के उद्घाटन अवसर पर कहा कि वह उच्चतम न्यायालय से अपील करते हैं कि रामजन्मभूमि मामले की सुनवाई फास्ट ट्रैक कोर्ट की तरह हो ताकि इसका जल्द से जल्द फैसला आ सके। उन्होंने कहा कि मैं कानून मंत्री के रूप में नहीं बल्कि एक नागरिक के रूप में यह अपील कर रहा हूं। 

हम बाबर को क्यों पूजें
कानून मंत्री ने कहा कि लोग मेरे पास आते हैं और पूछते हैं, व्याभिचार का केस 6 महीने में हो जाता है, सबरीमाला 5-6 महीने में हो जाता है तो अयोध्या मामले पर क्यों नहीं। हमारे रामलला का विवाद 70 सालों से कोर्ट में अटका है। 10 साल से सुप्रीम कोर्ट के पास है, इसमें सुनवाई क्यों नहीं होती? रविशंकर ने कहा कि हम बाबर को क्यों पूजें, उसकी इबादत नहीं होनी चाहिए। उन्होंने संविधान की प्रति को दिखाते हुए कहा कि इसमें राम, कृष्ण और अकबर का भी जिक्र है, लेकिन बाबर का नहीं।
 

2019 तक टली राम मंदिर मामले की सुनवाई
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या राम मंदिर विवाद मामले में सुनवाई जनवरी 2019 तक के लिए टाल दी गई है। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली तीन जजों की बेंच ने नवंबर में कहा था कि जनवरी में उपयुक्त पीठ इस मामले की सुनवाई करेगी। इस पर वीएचपी-आरएसएस समेत अन्य हिंदूवादी संगठनों ने सुप्रीम कोर्ट के रवैये को गैर-जिम्मेदाराना करार देकर उसकी कड़ी आलोचना की थी। 

vasudha

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