राष्ट्रपति भवन के अंदर की तस्वीरें देखकर फटी रह जाएंगी आपकी आंखें

Tuesday, Jul 25, 2017 - 05:38 PM (IST)

नई दिल्ली: रामनाथ कोविंद देश के 14वें राष्ट्रपति चुने गए हैं और उन्होंने आज राष्ट्रपति के रूप में राष्ट्रपति भवन में प्रवेश कर लिया। देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद पर आसीन होने वाले रामनाथ कोविंद अगले 5 साल राष्ट्रपति भवन में ही रहेंगे। भारत का राष्ट्रपति भवन विश्व में किसी भी राष्ट्राध्यक्ष के घर से बड़ा है। आइए देखते हैं राष्ट्रपति भवन के अंदर की तस्वीरें और जानते हैं इस भवन से जुड़ी कई दिलचस्प बातें।
दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के राष्ट्रपति का निवास स्थान खुद में ही काफी भव्य है। चार मंजिल वाले इस भवन में कुल 340 कमरे हैं, जिसे बनने में डेढ़ दशक से अधिक का समय लगा था। 
देश के प्रथम नागरिक का यह आवास-सह-सचिवालय इटली के रोम स्थित क्यूरनल पैलेस के बाद दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा सरकारी निवास स्थान है। वर्ष 1912 में इसका निर्माण कार्य शुरू हुआ था, जो 17 साल की मेहनत के बाद 1929 में बनकर तैयार हुआ था। इसके निर्माण में करीब 29 हजार श्रमिक लगे थे। 
वर्ष 1911 में जब भारत की राजधानी को कोलकाता से दिल्ली स्थानांतरित किया गया था, तो ब्रितानी हुकूमत को इसे बनाने की जरूरत महसूस हुई थी, जिसके लिए एक प्रस्ताव पारित किया गया था। 
राष्ट्रपति भवन के बैंक्वेट हॉल में एक साथ 104 अतिथि बैठ सकते हैं। इतना ही नहीं इसमें न सिर्फ संगीतकारों के लिए दीर्घा है, बल्कि इसमें प्रकाश की भी अनोखी व्यवस्था है। ये रोशनियां खानसामों को यह संकेत देती हैं कि उन्हें कब खाना परोसना है, कब नहीं परोसना है और कब कक्ष की साफ सफाई करनी है।  
राष्ट्रपति भवन के पीछे मु$गल गार्डन है जो मुगल और ब्रिटिश शैली का एक अनूठा मिश्रण है। यह 13 एकड़ क्षेत्र में फैला हुआ है और यहां फूलों की कुछ विदेशी किस्में भी शामिल हैं।
यह हर वर्ष लोगों के लिए फरवरी-मार्च के मध्य महीने में खुलता है। इस गार्डन में अकेले गुलाब की ही 250 से भी अधिक किस्में हैं। मुगल गार्डन के बारे में सबसे पहले लेडी हार्डिंग ने सोचा था।
जाने-माने वास्तुकार सर लैंडसीर लुटियन की निगरानी में रायसिनी और माल्चा नामक दो गांवों को हटाकर उनकी जगह इस ऐतिहासिक भवन का निर्माण किया गया था। इसीलिए इसे इसे रायसीना हिल नाम दिया गया। 
वर्तमान में भारत के राष्ट्रपति, उन कक्षों में नहीं रहते, जहां वायसरॉय रहते थे, बल्कि वह अतिथि-कक्ष में रहते हैं। लगभग 70 करोड़ ईंटें और 35 लाख घन फुट (85000 घन मीटर) पत्थर से बने इस भवन में लोहे का इस्तेमाल न के बराबर हुआ था। लगभग 70 करोड़ ईंटें और 35 लाख घन फुट (85000 घन मीटर) पत्थर से बने इस भवन में लोहे का इस्तेमाल न के बराबर हुआ था।
प्रथम राष्ट्रपति, डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने इस गार्डन में कोई बदलाव नहीं कराया, लेकिन उन्होंने इस खास बाग को जनता के लिए खोलने की बात कही थी। उन्होंने कहा था कि क्यों नहीं यह गार्डन जनता के लिए भी कुछ समय के लिए खोला जाए। उन्हीं की वजह से प्रति वर्ष मध्य-फरवरी से मध्य-मार्च तक यह आकर्षक गार्डन आम जनता के लिए खोला जाता है।


 

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