कई ऐतिहासिक रैलियों का गवाह रहा है रामलीला मैदान, महिला के कपड़े पहनकर भागे थे रामदेव

Friday, May 10, 2019 - 01:12 PM (IST)

नई दिल्ली: देश में राजनीति के बदलावों का गवाह रहा रामलीला मैदान, कई ऐतिहासिक रैलियों का गवाह रहा है। जेपी आंदोलन के दौरान यहां हुई एक बड़ी रैली ने सत्ता को हिलाकर रख दिया था। हर ओर सिर्फ रामधारी सिंह दिनकर की कविता की पंक्तियां गूंज उठीं थीं कि ‘सिंहासन खाली करो कि जनता आती है।’ रामलीलाओं के मंचन के लिए प्रसिद्ध इस रामलीला मैदान का इतिहास काफी रोचक रहा है। इतिहासकारों की माने तो करीब 10 एकड़ के क्षेत्रफल में फैले इस मैदान को अंग्रेजों ने साल 1883 में ब्रिटिश सैनिकों के शिविर के लिए बनवाया था पर बिट्रिश काल से ही पुरानी दिल्ली के कई संगठनों द्वारा यहां भव्य रामलीला के आयोजन की शुरुआत होने के बाद इसका नाम रामलीला मैदान पड़ा। 

बता दें कि आजादी से पहले और आजादी के बाद की कई भव्य रैलियों का गवाह यह रामलीला मैदान रहा है। यहां सिर्फ दो प्रधानमंत्रियों एच.डी.देवगौड़ा व इंद्रकुमार गुजराल को छोड़ सभी प्रधानमंत्रियों द्वारा रैलियां की गईं हैं। यह मैदान आजादी की लड़ाई के समय महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू, सरदार पटेल सहित सभी बड़े नेताओं के लिए रामलीला मैदान अपने विरोध को जताने की पसंदीदा जगह बन गई थी। मालूम हो कि बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी यहां से चुनावी सभा को संबोधित किया। जवाहरलाल नेहरू से लेकर अन्ना आंदोलन तक इस मैदान ने राजनीति के कई उतार-चढ़ाव देखे हैं।

जब बाबा रामदेव भागे थे महिला के कपड़े पहनकर
जून 2011 में स्वदेशी व कालेधन के खिलाफ अनशन कर रहे बाबा रामदेव को जब पुलिस गिरफ्तार करने के लिए पहुंची तो वो तीन फीट ऊंचे मंच से कूदकर महिला के कपड़े पहनकर भाग रहे थे, पुलिस को शक हुआ और गिरफ्तार कर लिया गया।

अन्ना आंदोलन बना देशव्यापी
साल 2011 में अन्न्ना ने यहां से जनलोकपाल बनाए जाने को लेकर सत्याग्रह शुरू किया था, इस दौरान उन्होंने अन्न-जल भी ग्रहण नहीं किया था और उनका आंदोलन देशव्यापी बन गया। देश के कोने-कोने से लोग समर्थन करने के लिए पहुंचे थे।

केजरीवाल सरकार ने ली शपथ
वर्तमान में दिल्ली में स्थापित अरविंद केजरीवाल सरकार ने रामलीला मैदान में भारी संख्या में मौजूद लोगों के सामने मुख्यमंत्री पद की शपथ ग्रहण की थी।

श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने किया था सत्याग्रह
साल 1952 के दिसंबर महीने में रामलीला मैदान में जम्मू-कश्मीर के मुद्दे को लेकर श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने सत्याग्रह किया था। उनके इस सत्याग्रह से सरकार हिल गई थी। 

शास्त्री ने दिया था देश को संदेश
साल 1965 में जब पाकिस्तान ने हमला कर दिया था, उस समय लालबहादुर शास्त्री ने रामलीला मैदान से जनता को संबोधित कर संदेश दिया था कि वो घबराएं नहीं। यहीं पर जय जवान, जय किसान का नारा भी उन्होंने दिया था। 

जेपी की सभा के बाद लगी इमरजेंसी
जयप्रकाश ने रामलीला मैदान में इंदिरा गांधी के खिलाफ एक सभा की थी। जैसे ही जयप्रकाश की सभा समाप्त हुई ठीक उसके बाद देश में इमरजेंसी लगा दी गई और इंदिरा का विरोध कर रहे नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया।

इंदिरा ने मनाया था जीत का जश्न
साल 1972 में पाकिस्तान से युद्ध जीतने के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने यहां जीत का जश्न मनाया था। बता दें कि इसी युद्ध के बाद बांग्लादेश का निर्माण हुआ था और उन्हें जनता का भारी समर्थन प्राप्त हुआ था। 


 

Anil dev

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