ऑफ द रिकॉर्डः राम माधव और मुरलीधर को कैबिनेट विस्तार की प्रतीक्षा

Sunday, Oct 11, 2020 - 05:26 AM (IST)

नई दिल्लीः इस बात को लेकर अटकलें तेज हो गई हैं कि जब फेरबदल होगा तो किनको मोदी कैबिनेट में शामिल किया जा सकता है। शिवसेना और अकाली दल बाहर निकल चुके हैं और जद (यू), अन्नाद्रमुक दोनों ने मंत्रियों के चार्ज के लिए मजबूर नहीं किया है। अब लोजपा नेता रामविलास पासवान नहीं रहे हैं और किसी को भी यकीन नहीं है कि चिराग पासवान का क्या होगा।

वहीं यह पहली बार है जब पार्टी के 4 महासचिवों राम माधव, पी. मुरलीधर राव, सरोज पांडे और अनिल जैन को संगठन से बाहर का दरवाजा दिखाया गया है। इससे पहले कभी भी भाजपा में ऐसा नहीं हुआ। ऐसे में राम माधव और मुरलीधर को कैबिनेट विस्तार की प्रतीक्षा है। सभी की निगाहें राम माधव पर टिकी हैं और उनके विरोधी कह रहे हैं कि असम के एक शक्तिशाली मंत्री हेमंत बिस्व सरमा ने पार्टी से उनको बाहर निकलवा दिया।

सरमा का नॉर्थ ईस्ट में माधव के साथ द्वंद्वयुद्ध चल रहा था जहां वह इंचार्ज थे लेकिन सरमा केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के करीबी थे। सरमा ने कुछ समय पहले अमित शाह और जे.पी. नड्डा से भी मुलाकात की और उनके बारे में शिकायत की। अपने गुणों के कारण वह पी.एम. के पसंदीदा हैं लेकिन जब शिकायतें होती हैं तो मोदी दूसरे तरीके से देखते हैं।

दूसरे, माधव आर.एस.एस. के प्रचारक हैं और एक बार भाजपा कहती है कि हमें उनकी जरूरत नहीं है, ऐसे में वे आर.एस.एस. में वापस चले जाएंगे या जब तक कि मोदी यह नहीं कहेंगे कि वह उन्हें सरकार में शामिल करना चाहते हैं। दिलचस्प बात यह है कि राम माधव ने अपने ट्विटर अकाऊंट से भाजपा का संदर्भ भी हटा दिया है। वहीं अब केवल ‘इंडिया फाऊंडेशन बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के सदस्य’ का उल्लेख है। 

अन्य सदस्य एन.एस.ए. अजीत डोभाल के बेटे शौर्य डोभाल हैं। सरोज पांडे को भी सरकार का समर्थन मिल सकता है, क्योंकि उनके मुकाबले कोई भी वरिष्ठ महिला नेता नहीं हैं, जो पार्टी संगठन से जुड़ी हुई हों। पी. मुरलीधर राव के संबंध में पता चला है कि उन्हें तेलंगाना में पार्टी प्रमुख के रूप में भेजा जाएगा। अनिल जैन के समर्थकों का कहना है कि उन्हें मंत्री पद दिया जाएगा लेकिन किसी को भी इस पर यकीन नहीं है।

Pardeep

Advertising