नहाकर आते हैं, फिर राखी बंधवाएंगे ये कहकर चले गए भाई, घर लौटी लाशें, मंजर देख बेहोश हुई बहनें
Tuesday, Aug 04, 2020 - 10:38 AM (IST)
नई दिल्ली(नवोदय टाइम्स): रक्षाबंधन पर राखी बंधवाने से पहले नहाने गए दो सगे भाइयों की यमुना नदी में डूबने से मौत हो गई। दोनों के नाम अजय कश्यप (23) और करण (19) हैं। कोतवाली थाना पुलिस ने दोनों शवों को कब्जे में लेकर शवगृह में रखवा दिया है। बताया जाता है कि कई दिनों से पहाड़ों पर बारिश के चलते इन दिनों यमुना नदी का बहाव पहले की अपेक्षा तेज है, जिसके कारण ये हादसा हुआ। बोट क्लब इंचार्ज हरीश कुमार ने बताया कि करण जब जमुना में नहा रहा था। उस समय वह गहरे पानी में जाने लगा। तभी अजय उसे बचाने के लिए गया तो दोनों डूब गए। वहीं उनका एक साथी राकेश इन्हें बचाने का प्रयास कर रहा था, वह भी डूबने लगा। तभी रस्सी डालकर राकेश को जैसे-तैसे निकाला गया। पुलिस अखाड़े के संचालक और परिजनों से पूछताछ कर मामले की जांच कर रही है।
दोनों यमुना में नहाने के लिए गए थे
अजय और करण परिवार के साथ गली नंबर- 8 धर्मपुरा गांधीनगर में रहते थे। उनके परिवार में पिता राधेश्याम, मां उमा देवी और दो भाई राहुल और अरुण हैं। अजय सेल्समैन का काम करता था। जबकि करण नेल आर्टिस्ट था। चारों भाइयों को पहलवानी का शौक था। सोमवार सुबह दोनों पहलवानी के लिए अखाड़े में गए थे। उसके बाद दोनों यमुना में नहाने चले गए उनके साथ राकेश भी था। करण अचानक गहरे पानी में चला गया। अजय उसे बचाने लगा। दोनों भाई पानी में डूब गए। राकेश ने उन्हें बचाने का प्रयास किया लेकिन स्थानीय लोगों ने जैसे तैसे कर राकेश को रस्सी के सहारे बाहर निकाला। बोट क्लब इंचार्ज हरीश कुमार की टीम ने 7 गोताखोर एक मोटर बोट के सहारे रेस्क्यू कर दोनों शवों को बाहर निकाला।
चारों भाइयों को था कुश्ती का शौक
अजय के छोटे भाई अरुण ने बताया कि अजय और करण कई कुश्तियों में अव्वल आए थे। कुश्ती के साथ-साथ परिवार चलाने के लिए वह काम करते थे। अजय सेलमैन का और करण नेल आर्टिस्ट का काम करता था।
नहाकर आते हैं, फिर राखी बंधवाएंगे...कहकर गए, लौटे नहीं
रक्षाबंधन के त्यौहार पर सुबह से घर पर अपने भाइयों का इंतजार कर रही बहनों को जब दो भाइयों की मौत की सूचना मिली तो बहनें बेहोश हो गईं। खुशी का माहौल मातम में बदल गया। अखाड़े पर जाने से पहले दोनों भाई कह कर गए थे कि यमुना में नहाकर आएंगे और फिर बहना से राखी बंधवाएंगे। लेकिन किसी को क्या पता था कि उनका यह आखिरी रक्षाबंधन होगा। चचेरी बहन घर पर भाइयों का राखी बांधने के लिए इंतजार ही करती रहीं। अरुण ने बताया कि उनके चाचा ताऊ की बेटियां हैं। हमारे कोई बहन नहीं है। जिसके चलते घर पर चाचा-ताऊ की बेटियां उनके घर पर राखियां बांधने आती हैं। सोमवार सुबह सभी बहनें दोनों भाइयों के राखी बांधने का इंतजार कर रही थीं कि वह अखाड़े से आएंगे, तब उनके राखी बांध देंगे।
परिवार का रो-रो कर हुआ बुरा हाल
अजय और करण के एक रिश्तेदार ने बताया कि राधेश्याम के चारों बच्चे मेहनती हैं और वह मेहनत मजदूरी कर अपने परिवार का पालन पोषण कर रहे हैं। हालांकि राधेश्याम घर पर ही रहते हैं। जैसे ही दोनों बेटों की मौत की खबर सुनी तो उनकी मां उमा देवी कई बार रोते रोते बेहोश हो गई।