ये है भाई को राखी बांधने की सही विधि और शुभ मुहूर्त
Thursday, Aug 15, 2019 - 08:11 AM (IST)
ये नहीं देखा तो क्या देखा (Video)
राखी ईश्वर की ओर से बांधा जाने वाला साक्षात सुरक्षा कवच है। अत: मंगलकारी रक्षा बंधन पूर्ण श्रद्धा एवं विश्वास के साथ ग्रहण करें ताकि प्रभु सदैव आपकी रक्षा करें। उत्तर भारत में सुबह ही राखी बांध दी जाती है, परन्तु जो लोग ज्योतिष एवं मुहूर्त में विश्वास करते हैं, उन्हें इस बार निम्न मुहूर्त एवं अपनी राशि के अनुसार रक्षा बंधन मनाना चाहिए। आज 15 अगस्त, 2019 गुरुवार का दिन रक्षा बंधन के लिए पूरा दिन शुद्ध है।
शुभ मुहूर्त- प्रात: 6 से 7.30 एवं श्रेष्ठ मुहूर्त दोपहर 12 से 1.30 बजे तक है।
इस दिन भाई एवं बहनों को उत्तर दिशा एवं पश्चिम दिशा की यात्रा से बचना चाहिए। विशेषकर दिन में 3 से 4.30 काल योग में यात्रा एवं शुभ कार्य न करें वरना दुर्घटना के शिकार हो सकते हैं। विशेषकर मिथुन, धनु एवं तुला राशि वाले सावधान रहें।
स्नेह एवं ममता का प्रतीक रक्षा बंधन
भगवान की तरफ से दिया गया अनमोल तोहफा है भाई-बहन का रिश्ता...लाड़, प्यार से भरा...। खट्टी-मीठी नोक-झोंक से लेकर रूठने-मनाने की चाशनी में लिपटा हुआ यह सतरंगी रिश्ता अपने आप में कितनी ही उजली यादें ता-उम्र समेटता चला जाता है। त्यौहार हमारी सांस्कृतिक धरोहर को आज तक समेटे हुए हैं, तभी तो इनके माध्यम से हम रिश्तों की गहराई महसूस कर पाते हैं। सदियों से मनाया जाने वाला रक्षा बंधन भाई-बहन के स्नेह एवं ममता की डोर में बंधा ऐसा त्यौहार है, जिसे आज भी भाई-बहन शिद्दत से मनाते हैं। कभी बचपन की चंचलता, कभी हर बात में शरारत, कभी बातों में बड़प्पन, कभी बड़े भाई का पिता की कमी को पूरा करने का प्रयास तो कभी बड़ी बहन का मां की जगह ले लेना, कितनी ही बातें हैं, जो भाई-बहन के दिल में छुपे प्रेम, स्नेह और दुलार के भावों को दर्शाती हैं।
रिश्तों का पर्याय बन जाते हैं
देखा जाए तो भाई-बहन का रिश्ता ही ऐसा रिश्ता है, जो स्वयं में अनेक रिश्तों को समेटे हुए चलता है, कभी दोनों दोस्तों की तरह अपने हर राज को एक-दूसरे से सांझा करते हैं, तो मां और पिता से अपनी कोई फरमाइश पूरी करवाने से लेकर डांट से बचाने तक में किसी हमदर्द की तरह एक साथ खड़े हो जाते हैं। किसी क्षेत्र में नाम कराना हो, तो भी भाई-बहन की जोड़ी सुपर-डुपर हिट ही मानी जाती है।
वे किसी शिक्षक की तरह एक दूसरे को सही राह दिखाते और समझते भी हैं और माता-पिता में से किसी एक के न होने पर उनकी जगह खड़े हो जाते हैं। एक बहन को जितना भरोसा अपने भाई पर होता है, उतना किसी और पर नहीं होता, इसी प्रकार एक भाई को जितना स्नेह अपनी बहन से होता है, उतना दुनिया में किसी और से हो ही नहीं सकता।
झगड़े भी कम नहीं
जितना भाई-बहन एक-दूसरे से झगड़ते हैं, उतना तो वे न किसी और रिश्ते से और न ही दोस्तों से लड़ते हैं। दोनों के झगड़े में ससे ज्यादा मुश्किल में माता-पिता ही फंसते हैं कि आखिर वे किसका साथ दें, दोनों ही उन्हें प्यारे हैं और दोनों ही अपनी तरफ का समर्थन चाहते हैं। फिर भी यह तो तय है कि बड़े से बड़े झगड़े के बाद दोनों एक हो जाते हैं और दिलों में कड़वाहट की जगह स्नेह की धारा बहने लगती है।
बढ़ता है प्यार
ऐसी ही नोक-झोंक, तकरार और शरारतों से ही तो उनका प्यार बढ़ता है और यह रिश्ता संवरता है। सालों बाद भी यादों के पिटारे से कितनी ही बातें निकल कर उन्हें गुदगुदाती भी हैं, हंसती भी हैं और रुलाती भी हैं। दोनों में से कोई नहीं चाहता कि उनके स्नेहिल रिश्ते की यादें कभी धुंधली पड़ें, तभी तो आज भी मां की जुबान पर मामा से जुड़ी कितनी ही यादों के किस्से सुनने को मिल जाते हैं और नानी भी अक्सर रक्षा बंधन पर अपने भाई की बातें सुनाने बैठ जाती हैं।
बदलते समय का असर
आज की तेज रफ्तार जिंदगी का असर इस स्नेहिल रिश्ते पर भी देखने को मिलने लगा है। आज मीलों लम्बे रास्ते पल भर में तय करने आसान हैं, परन्तु दिलों के फासलों को मिटाना उतना आसान नहीं रह गया है। फिर भी इस रिश्ते में वह कशिश है कि मुश्किल पलों में भाई-बहन एक-दूसरे के पास पहुंचने को लालायित हो उठते हैं।
रिश्ते कानूनी एक्ट नहीं
भले ही आज कानून की दखलअंदाजी ने बहन को भी पिता की सम्पत्ति का वारिस बना दिया है, जिससे कहीं-कहीं दोनों के रिश्ते में खटास भी देखने को मिलती है, भाई-बहन के प्रति मन में ईष्र्या का भाव रखने लगा है तथा उसे कुछ नहीं देना चाहता, परन्तु रिश्ते कानूनी एक्ट नहीं होते, जो तर्क या तलीलों से चलते हों या जिसमें किसी तीसरे का हस्तक्षेप हो। रिश्ते तो भावनाओं का संगम होते हैं, जो एक-दूसरे को सहारा देते हैं।