राज्यसभा चुनावों में NOTA के इस्तेमाल पर कांग्रेस खेमें में खलबली

Tuesday, Aug 01, 2017 - 09:40 PM (IST)

नई दिल्लीः देश में पहली बार राज्यसभा के चुनावों में नोटा का इस्तेमाल होने जा रहा है। इसके लिए चुनाव आयोग ने बाकायदा नोटिफिकेशन भी जारी कर दिया है। लेकिन कांग्रेस को आयोग के रुख इतना ना गवार गुजरा कि पार्टी नेताओं ने संसद सत्र के प्रश्नकाल में हंगामा कर दिया। इसके चलते सदन की कार्रवाई दो बार स्थगित करनी पड़ी।

कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने इस समले को उठाते हुए कहा कि कांग्रेस पार्टी को इसकी जानकारी नहीं है। साथ ही चुनाव आयोग ने नोटिफिकेशन के दौरान ऐसा कोई जिक्र भी नहीं किया। इस पर जवाब देते हुए राज्यसभा के नेता अरुण जेटली ने इस मसले को यह कहकर खारिज कर दिया कि यह तो चुनाव आयोग का विशेष अधिकार है। बात दें, गुजरात के राजसभा चुनावों को लेकर कांग्रेस और बीजेपी के बीच तलवारें खिंची हुई हैं। राज्यसभा की तीसरी सीट से कांग्रेस सोनिया गांधी के राजनीतिक सलाहकार अहमद पटेल की राज्यसभा में वापसी की पुरजोर कोशिश कर रही है। वही भाजपा इस सीट पर सेंधमारी में जुटी है। 

नोटा के ऑप्शन पर कांग्रेस पार्टी को सब कुछ ठीक नहीं लग रहा है। इस पर अहमद पटेल ने को ट्वीट करते हुए कहा कि पहले तो राज्यसभा के चुनाव की तारीख आगे बढ़ा दी गई और उसके बाद नोटिफिकेशन के बाद नोटा लाने की वजह क्या है, यह चुनाव आयोग को ही मालूम है।

कांग्रेस के राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल ने भी चुनाव आयोग की टाइमिंग पर सवाल खड़े किए। उनका मानना है कि यह फैसला कानून की किताब में खरा नहीं बैठता। ये नोटा हो रहा है कि पोटा हो रहा है। उन्होंने कहा कि जो फैसला चुनाव आयोग ने लिया है मुझे लगता है कहीं ना कहीं मसला गुजरात का है। क्योंकि बंगाल में तृणमूल के पास इस वक्त संख्या है। चुनाव आयोग ने क्यों ऐसा फैसला लिया है? 

उन्होंने कहा कि यह तो खुली वोटिंग है। इनडायरेक्ट वोटिंग है, इसमें कोई डायरेक्ट वोटिंग नहीं है इसमें तो आप अपनी प्रेफरेंस देंगे तो यह फैसला कहां से आ गया? साथ ही उन्होंने कहा कि मैं कोई आरोप नहीं लगाना चाहता। अगर चुनाव आयोग ने फैसला लिया तो ज़रूर सोच-समझ कर लिया है। लेकिन इसकी टाइमिंग जो है वह ठीक नहीं है। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने पीयूसीएल के इलेक्शन में कहा था कि डायरेक्ट वोटिंग में आपको नोटा देना चाहिए। यह तो इलेक्शन कमीशन का अपना फैसला है। इसे चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट के जरिए नहीं लिया।

 

 

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