‘कम मेक इन इंडिया, कम मेक फॉर इंडिया और कम मेक फॉर द वर्ल्ड'', सैन्य उपकरण बनाने वाले देशों को राजनाथ का संदेश
Saturday, Dec 18, 2021 - 04:12 PM (IST)
नेशनल डेस्क: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शनिवार को कहा कि भारत ने अमेरिका, रूस, फ्रांस और अपने कई सहयोगी देशों को स्पष्ट रूप से बता दिया है कि कई सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिए भारतीय सशस्त्र बलों द्वारा आवश्यक सैन्य मंच (प्लेटफॉर्म) और उपकरण देश में निर्मित किए जाने हैं। क्षेत्रीय भू-राजनीतिक घटनाक्रमों का जिक्र करते हुए सिंह ने कहा कि ईश्वर ने भारत को कुछ ऐसे पड़ोसी दिए हैं जो इसकी वृद्धि को देखकर अच्छा महसूस नहीं करते हैं और जो विभाजन से पैदा हुआ वह भारत के विकास की चिंता में कमजोर होता जा रहा है।
Addressing the FICCI Annual Convention and the AGM. https://t.co/SUkyDtl2cT
— Rajnath Singh (@rajnathsingh) December 18, 2021
‘कम मेक इन इंडिया'
भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग महासंघ (फिक्की) के वार्षिक सम्मेलन को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि अमेरिका, रूस और फ्रांस सहित दुनिया के ज्यादातर देश भारत के मित्र हैं। इस संदर्भ में, उन्होंने कहा भारत ने साथ ही उन्हें यह स्पष्ट कर दिया कि भारतीय सशस्त्र बलों के लिए आवश्यक ‘सैन्य हार्डवेयर' का उत्पादन देश में करना होगा। उन्होंने कहा, ‘‘हमने हर मित्र देश से कहा है कि हम देश की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए भारत में ही सैन्य मंच, हथियार और गोला-बारूद का उत्पादन करना चाहते हैं।'' उन्होंने कहा, ‘‘हमने अमेरिका, रूस, फ्रांस और अन्य लोगों को भी यह संदेश दिया है और हम इस संदेश को संप्रेषित करने में संकोच नहीं करते हैं।'' रक्षा मंत्री ने कहा कि सैन्य उपकरण बनाने वाले देशों को संदेश दिया गया है कि ‘‘कम मेक इन इंडिया, कम मेक फॉर इंडिया और कम मेक फॉर द वर्ल्ड।''
एक उदाहरण का हवाला देते हुए सिंह ने कहा कि शुक्रवार को फ्रांस की रक्षा मंत्री फ्लोरेंस पार्ली के साथ बातचीत के बाद यह सहमति बनी थी कि एक प्रमुख फ्रांसीसी कंपनी रणनीतिक साझेदारी मॉडल के तहत एक भारतीय कंपनी के साथ हाथ मिलाकर भारत में ‘‘एक इंजन'' का उत्पादन करेगी। हालांकि उन्होंने इस संबंध में विस्तार से नहीं बताया। सिंह ने कहा कि भारत इन देशों के साथ दोस्ती बनाए रखेगा लेकिन साथ ही भारतीय धरती पर प्रमुख 'प्लेटफार्म' के उत्पादन पर जोर देने से नहीं हिचकिचाएगा। उन्होंने कहा, ‘‘हम दोस्ती बनाए रखेंगे लेकिन साथ ही यह भी स्पष्ट कर दें कि जो भी सैन्य उपकरण, हथियार और गोला-बारूद की जरूरत है, वह भारत में उत्पादित किया जाना है।'' उन्होंने कहा, ‘‘मैं इसे बहुत स्पष्ट और विश्वास के साथ बताता हूं। और आपको यह जानकर खुशी होगी कि मुझे उनकी ओर से सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली है।''
रक्षा मंत्री ने घरेलू रक्षा उद्योग को बढ़ावा देने के लिए 209 सैन्य उपकरणों का आयात नहीं करने के सरकार के फैसले का भी उल्लेख किया और संकेत दिया कि सूची के तहत इन वस्तुओं की संख्या लगभग 1,000 को छू सकती हैं। उन्होंने कहा, ‘‘जब मैं 'इंडिया बियॉन्ड 75' की बात करता हूं, तो मेरा मानना है कि यह ‘सकारात्मक सूची' इस दशक में लगभग 1000 वस्तुओं की होगी। मैं इसे लेकर बहुत सकारात्मक हूं।'' रक्षा मंत्री ने निजी और सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों के बीच ‘‘निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा'' की आवश्यकता के बारे में भी बात की और 200 साल से अधिक पुराने आयुध निर्माणी बोर्ड के निगमीकरण को स्वतंत्रता के बाद रक्षा क्षेत्र में सबसे बड़ा सुधार बताया। उन्होंने कहा, ‘‘वर्तमान में भारत का रक्षा और एयरोस्पेस विनिर्माण बाजार 85,000 करोड़ रुपये का है। मेरा मानना है कि 2022 में यह बढ़कर एक लाख करोड़ हो जाएगा।'' सरकार ने पिछले कुछ वर्षों में घरेलू रक्षा उद्योग को प्रोत्साहित करने के लिए कई कदम उठाए हैं।