देश भर से मिले प्यार से गदगद हुए रजनीकांत, बोले- मेरी प्रतिभा को पहचाने वालों का शुक्रिया

Friday, Apr 02, 2021 - 03:30 PM (IST)

नेशनल डेस्क: सुपरस्टार रजनीकांत ने प्रतिष्ठित दादा साहेब फाल्के पुरस्कार मिलने की घोषणा के बाद फिल्मी हस्तियों, राजनेताओं, शुभचिंतकों और प्रशंसकों से मिली शुभकामनाओं का शुक्रिया अदा किया। रजनीकांत को तीन मई को वर्ष 2019 के लिए दादा साहेब फाल्के पुरस्कार दिया जाएगा। अभिनेता ने शुक्रवार को ट्वीट किया कि प्रमुख राजनेताओं, फिल्म जगत के मेरे दोस्तों, सहकर्मियों, शुभचिंतकों, मीडिया, हरेक शख्स जिसने मुझे बधाई देने के लिए समय निकाला और भारत तथा दुनियाभर में बसे मेरे प्रिय प्रशंसकों का प्यार, शुभकामनाओं और बधाइयों का दिल से शुक्रिया।

केन्द्र को भी किया धन्यवाद
प्रतिष्ठित पुरस्कार देने के लिए 70 वर्षीय अभिनेता ने वीरवार को केन्द्र को धन्यवाद देते हुए कहा था कि वह इसे अपने दोस्त राज बहादुर, बड़े भाई सत्यनारायण राव और उन सभी को समर्पित कर रहे हैं, जिन्होंने रजनी को वह बनाया जो वह आज हैं। उन्होंने कहा था कि मैं यह पुरस्कार अपने दोस्त एवं बस चालक राज बहादुर जिसने मेरी अभिनय की प्रतिभा को पहचाना और मुझे प्रोत्साहित किया, अपने बड़े भाई सत्यनारायण राव गायकवाड़ जिन्होंने गरीबी से लड़ते हुए मुझे अभिनेता बनाने के लिए बहुत बलिदान दिए और अपने गुरु के. बालाचंद्र को समर्पित करता हूं जिन्होंने इस रजनीकांत को बनाया।

रजनीकांत को देवता मानते हैं प्रशंसक
एक बयान में रजनीकांत ने यह पुरस्कार निर्माताओं, निर्देशकों, वितरकों, थियेटर मालिकों, मीडिया, तमिल जनता को भी समर्पित किया, “जिन्होंने मुझे यह जीवन, दुनिया भर में मेरे प्रशंसक दिए। फिल्म जगत में वैसे तो अनेक करिश्माई सितारे हैं किंतु रजनीकांत का स्थान उनमें सबसे अलग है क्योंकि आज भी उनके कई प्रशंसक उन्हें किसी देवता की तरह पूजते हैं। बॉक्स ऑफिस पर उनकी सफलता की गाथा और उनके नाम पर आए दिन नये चुटकुले गढ़े जाना उनकी लोकप्रियता का प्रमाण है।


हिंदी फिल्मों में रजनीकांत का चला सिक्का
अभिनेता का असली नाम शिवाजी राव गायकवाड़ है, पहले कुली और फिर बस कंडक्टर के रूप में काम करते हुए रजनी फिल्मों तक पहुंचे और साल दर साल ‘एंथिरन' और ‘काला' जैसी अनेक फिल्में करते हुए दक्षिण भारत के बड़े स्टार बन गये। जाने-माने तमिल फिल्म निर्देशक के. बालचंद्र की सलाह पर रजनीकांत ने तमिल भाषा बोलना भी सीख लिया और उनकी 1975 में आई फिल्म ‘अपूर्व रंगांगल' से फिल्मों में पदार्पण किया। रजनी को पहली वास्तविक सफलता इसके अगले साल आई बालचंद्र की एक और फिल्म ‘मुंडरू मुडिचू' से मिली। शुरुआत में नकारात्मक किरदार अदा करने के बाद रजनीकांत ने ‘कविक्कुयिल', ‘सहोदरारा सवाल'(कन्नड) और ‘चिलकम्मा चेप्पिंडी' (तेलुगू) में सकारात्मक पात्रों का अभिनय किया। हिंदी फिल्मों में भी उनका सिक्का जमकर चला और ‘हम', ‘अंधा कानून', ‘चालबाज', ‘भगवान दादा' तथा ‘बुलंदी' जैसी फिल्मों में उनके काम को जमकर सराहा गया।

vasudha

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