Rajasthan में एक मां ने अपने ही जुड़वा बच्चों को सुला दिया मौत की नींद और खुद भी निगला जहर
punjabkesari.in Friday, Jan 03, 2025 - 11:02 AM (IST)
नेशनल डेस्क। राजस्थान के सिरोही जिले से दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है। यहां एक मां ने अपने सवा साल के जुड़वां बच्चों को जहर देकर मार डाला और बाद में खुद भी आत्महत्या कर ली। इस दर्दनाक घटना ने पूरे इलाके को झकझोर कर रख दिया है।
घटना का पूरा विवरण
सिरोही जिले के शिवगंज इलाके में रहने वाली रेखा नाम की महिला ने यह खौफनाक कदम उठाया। पुलिस की जांच में पता चला कि रेखा अपने सवा साल के जुड़वां बेटों, पूर्वांश और पूर्वित से परेशान थी। उसने पहले दोनों को दूध में जहर मिलाकर पिलाया और बाद में खुद भी जहर खा लिया।
रेखा के पति योगेश छींपा महाराष्ट्र में सिलाई का काम करते हैं जबकि रेखा अपनी मां के पास पाली जिले के सेवाड़ी में रह रही थी।
मरने से पहले रेखा ने बताई अपनी वजह
पुलिस ने रेखा का अस्पताल में इलाज के दौरान बयान लिया। रेखा ने कहा कि वह अपने बच्चों की देखभाल करते-करते परेशान हो चुकी थी। इसी कारण उसने दोनों बेटों को मारने और खुदकुशी करने का फैसला किया। अपनी योजना को अंजाम देने के लिए रेखा ने अपनी मां को सामान लाने के बहाने बाहर भेज दिया।
मां के घर से जाते ही उसने दोनों बच्चों को दूध में जहर मिलाकर पिला दिया। इसके बाद खुद भी वही जहर खा लिया।
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रेखा की मां ने पहुंचाया अस्पताल
जब रेखा की मां वापस घर लौटी तो उसने देखा कि रेखा और दोनों बच्चे बेहोश पड़े थे। यह देख वह घबरा गई और चिल्लाने लगी। आस-पड़ोस के लोग तुरंत मौके पर पहुंचे। सभी को फौरन अस्पताल ले जाया गया।
डॉक्टरों ने जांच के बाद दोनों बच्चों को मृत घोषित कर दिया। रेखा को गंभीर हालत में भर्ती किया गया। हालांकि गुरुवार शाम इलाज के दौरान रेखा ने भी दम तोड़ दिया।
पिता का हुआ बुरा हाल
जब बच्चों की मौत और रेखा की आत्महत्या की खबर उनके पिता योगेश को मिली तो उनका बुरा हाल हो गया। इस हादसे ने परिवार और पूरे इलाके को गमगीन कर दिया है।
पुलिस कर रही है जांच
पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है। शुरुआती जांच में यह साफ हुआ है कि रेखा अपने बच्चों की जिम्मेदारी उठाने से तंग आ चुकी थी। घटना को लेकर इलाके में लोग स्तब्ध हैं और इस दिल दहला देने वाली घटना पर दुख व्यक्त कर रहे हैं।
इस घटना से सबक
यह घटना इस बात को दिखाती है कि मानसिक तनाव और जिम्मेदारियों के बोझ से इंसान कितना टूट सकता है। ऐसी स्थिति में परिवार और समाज को आगे आकर मदद करनी चाहिए ताकि ऐसी दुखद घटनाओं को रोका जा सके।