राजस्थान में 'जानलेवा टैबलेट' का खेल! सैंपल फेल होने से पहले बिक चुकीं हजारों गोलियां, मचा हड़कंप
punjabkesari.in Wednesday, Oct 08, 2025 - 11:42 AM (IST)

नेशनल डेस्क: कफ सिरप से बच्चों की मौत का मामला अभी सुर्खियों में है, लेकिन इसी बीच राजस्थान में दवा सुरक्षा को लेकर एक और गंभीर स्थिति सामने आई है। राज्य के औषधि नियंत्रण विभाग की जांच में पता चला है कि पिछले एक साल में कई दवाओं के सैंपल फेल पाए गए हैं, लेकिन इससे पहले ही ये दवाइयां हजारों की संख्या में बाजार में बिक चुकी थीं।
इन फेल दवाओं में एंटीबायोटिक, एंटीएलर्जिक, एंटी डायबिटिक, स्टेरॉयड और कार्डियक दवाइयां शामिल हैं। इसके अलावा कैल्शियम और गैस संबंधित दवाओं के भी कई बैच फेल पाए गए। जांच में यह भी सामने आया कि कुछ दवाओं में आवश्यक तत्व जैसे साल्ट भी गायब थे।
फेल सैंपल की कुछ प्रमुख दवाएं:
एंटीबायोटिक: इमोक्सीसिलिन, क्लेवूलेनिक एसिड, सिफ्रोफ्लोक्सासिन, सेफपोडॉक्सिन और सेफट्राइजोन के कई बैच। मेडिरिच लिमिटेड की 1 लाख से अधिक गोलियां पहले ही बिक चुकी थीं।
स्टेरॉयड: बीटामेथॉसॉन के 3 बैच, 30 हजार गोलियां बिक चुकी थीं।
एंटीएलर्जिक: लिवोसिट्रोजिन और मोंटेलुकास्ट के 4 बैच, 35 हजार गोलियां बिक चुकी थीं।
एंटी डायबिटिक: ग्लिमिप्राइड और पायोग्लीटाजोन के 3 बैच, 18 हजार गोलियां बिक चुकी थीं।
पेनकिलर और सप्लीमेंट्स: एसीक्लोफिनेक, पेरासिटामॉल, कैल्शियम और विटामिन D3 के बैच भी फेल पाए गए।
राजस्थान औषधि नियंत्रक टी. शुभमंगलन ने बताया कि अगले दो दिनों में राज्य की 65 दवा कंपनियों में सघन जांच की जाएगी। उनका कहना है कि अमानक और नकली दवाओं को लेकर विभाग गंभीर है और इस पर कार्रवाई की जाएगी।
नियम और दोष:
नियमों के अनुसार, अगर किसी दवा का सैंपल फेल हो जाता है तो उसके खिलाफ तुरंत कोर्ट केस चलाना चाहिए। लेकिन राज्य में कई मामलों में ऐसा नहीं हुआ। फेल दवाओं के बैच को कोलकाता की सेंट्रल लेबोरेटरी में भेजा जाता है, ताकि राष्ट्रीय स्तर पर पाबंदी लगाई जा सके। इसके बावजूद राजस्थान में कई कंपनियां रिपोर्ट मिलने के बाद भी बैच को बाजार में भेजती रही।